scorecardresearch
Thursday, 17 July, 2025
होमदेश‘जांच में गड्ढे बना रही है SIT’ — कर्नल बाथ हमले के मामले में HC की चंडीगढ़ पुलिस को फटकार

‘जांच में गड्ढे बना रही है SIT’ — कर्नल बाथ हमले के मामले में HC की चंडीगढ़ पुलिस को फटकार

हाईकोर्ट ने बुधवार को मामला CBI को सौंपते हुए चंडीगढ़ पुलिस को फटकार लगाई, कहा—जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई और अदालत मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती.

Text Size:

नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा की गई जांच को ‘दागदार’ बताते हुए आर्मी ऑफिसर कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाथ पर हुए कथित हमले के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है.

हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि तीन महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई और उन्होंने भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (हत्या की कोशिश) को हटाने की सिफारिश भी कर दी थी.

यह सुनवाई कर्नल बाथ द्वारा दायर एक अर्जेंट याचिका पर हो रही थी, जिसमें उन्होंने लंबे समय से मामले को निष्पक्ष जांच के लिए CBI को सौंपे जाने की मांग की थी.

कर्नल बाथ और उनके बेटे अंगद पर 13-14 मार्च की रात पंजाब के पटियाला में एक मशहूर ढाबे के बाहर पंजाब पुलिस के 7-8 कर्मियों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया था. आरोपियों में रॉनी सिंह सलह, हरजिंदर सिंह ढिल्लों, हैप्पी बोपरॉय, राजवीर सिंह और सुरजीत सिंह शामिल थे.

शुरुआत में पंजाब पुलिस ने ढाबा मालिक की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन मामला बढ़ने के बाद 22 मार्च को अपने ही पुलिसकर्मियों पर हत्या की कोशिश की धाराओं के तहत केस दर्ज किया.

हालांकि, पंजाब पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एडीजीपी स्तर के अधिकारी की निगरानी में SIT गठित की थी, लेकिन कर्नल बाथ ने इस पर भरोसा न जताते हुए हाईकोर्ट का रुख किया.

कोर्ट ने भी FIR दर्ज करने में देरी और प्रक्रिया में खामियों पर चिंता जताते हुए, 3 अप्रैल को चंडीगढ़ के डीजीपी को निर्देश दिया था कि एक एसपी रैंक के आईपीएस अधिकारी को जांच सौंपी जाए, जो चार महीने के भीतर जांच पूरी करें.

बुधवार के आदेश में जस्टिस राजेश भारद्वाज ने कहा, “मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को कानून के पैमाने पर परखने के बाद कोर्ट मानता है कि चंडीगढ़ पुलिस से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की कोई संभावना नहीं है.”

उन्होंने आगे कहा, “ऐसे हालात में कोर्ट मूक दर्शक नहीं बना रह सकता, क्योंकि जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली निष्पक्ष नहीं लग रही. इसलिए, इस मामले की जांच तत्काल प्रभाव से चंडीगढ़ पुलिस से लेकर CBI को सौंपी जाती है.”


यह भी पढ़ें: पहलगाम हमले के आतंकी पहचान में आए, जल्द मारे जा सकते हैं: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा


आरोपी ‘लापता’, धारा 109 हटाने पर सवाल

बुधवार को हाईकोर्ट का यह आदेश कर्नल बाथ की अर्जेंट याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस की SIT द्वारा जांच में कोई ठोस प्रगति न होने की बात कही थी.

कर्नल बाथ ने आरोप लगाया कि SIT ने मुख्य आरोपी रॉनी सिंह सलह को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया, जबकि यूनियन टेरिटरी पुलिस (UT Police) ने कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि उसकी अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज होने पर उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा. हाईकोर्ट ने सलह की अग्रिम ज़मानत याचिका 23 मई को खारिज कर दी थी.

कर्नल बाथ के वकीलों — प्रीतिंदर सिंह अहलूवालिया और दीपिंदर सिंह विर्क — की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने SIT का नेतृत्व कर रहे IPS अधिकारी मंजीत (एसपी रैंक) को पेश होने का आदेश दिया.

जांच अधिकारी ने कोर्ट में एक डॉक्टर की राय पेश करते हुए कहा कि कर्नल बाथ और उनके बेटे अंगद सिंह बाथ को जो चोटें आईं थीं, वो “गंभीर” नहीं थीं. इसलिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 109 (जिसे पहले IPC की धारा 307 यानी हत्या की कोशिश कहा जाता था) को लागू नहीं किया जा सकता.

इसके बाद अधिकारी ने यह भी कहा कि जब हत्या की कोशिश की धारा ही नहीं लगती, तो आरोपियों को हिरासत में लेने की ज़रूरत नहीं रह जाती.

लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को सख्ती से खारिज कर दिया और कहा कि जांच सही दिशा में नहीं बढ़ रही है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जांच पूरी हुए बिना ही SIT ने हत्या की कोशिश की धारा को हटाने का मन बना लिया, जो जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है.

जस्टिस राजेश भारद्वाज ने आदेश में कहा, “जहां तक जांच की प्रगति की बात है, तो ‘जांच चल रही है’—इसके अलावा कोर्ट को कोई ठोस बात नहीं बताई गई. चार महीने की समय-सीमा लगभग खत्म हो चुकी है, लेकिन जांच एजेंसी ने बिना जांच पूरी किए ही धारा 109 (BNS) हटाने का फैसला कर लिया है. इससे यह आशंका और मजबूत होती है कि जांच एजेंसी जानबूझकर आरोपी को फायदा पहुंचाने के इरादे से पक्षपाती तरीके से काम कर रही है.”

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि मामले को पंजाब से बाहर स्थानांतरित करने की मुख्य वजह यही थी कि जांच निष्पक्ष हो, लेकिन चंडीगढ़ पुलिस भी उस उम्मीद पर खरी नहीं उतरी.

आदेश में कहा गया, “मामले की परिस्थितियां यह साबित करती हैं कि जांच एजेंसी सिर्फ जांच में छोटे-छोटे छेद नहीं, बल्कि बड़े-बड़े गड्ढे बना रही है, ताकि जब यह चार्जशीट कोर्ट में पहुंचे, तो अभियोजन पक्ष की दलीलें अदालत में घिसटती हुई नज़र आएं.”

कोर्ट में मौजूद CBI के वकील ने एजेंसी की ओर से नोटिस स्वीकार कर लिया, जिससे CBI अब इस मामले में केस दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘तुम्हें उनकी नहीं, एक डिक्शनरी की ज़रूरत है’ — SC ने अली खान महमूदाबाद के केस में SIT को दी नसीहत


 

share & View comments