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Friday, 22 November, 2024
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इस साल आ सकती है उच्च शिक्षा के लिए सिंगल नियामक संस्था, ड्राफ्ट बिल लगभग तैयार

यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार का कहना है कि भारतीय उच्च शिक्षा परिषद के मसौदा विधेयक पर सभी हितधारकों के साथ उनकी प्रतिक्रिया के लिए चर्चा की जाएगी.

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नई दिल्ली: भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (हायर एजुकेशन कॉउंसिल ऑफ इंडिया-एचईसीआई), जिसकी परिकल्पना एक ऐसे उच्च शिक्षा नियामक के रूप में की गई है, जो मौजूदा तीन संस्थाओं की जगह लेगी, इस साल एक वास्तविक आकर ले सकती है.

एचईसीआई, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन-यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन-एआईसीटीई) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (नेशनल कॉउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन – एनसीटीई) की जगह लेना चाहता है.

फिलहाल जहां यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की निगरानी करता है, वहीं एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करता है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए एक नियामक संस्था है.

सरकार में शामिल सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है कि यूजीसी एचईसीआई के गठन के लिए एक मसौदा विधेयक (ड्राफ्ट बिल) को अंतिम रूप देने के लिए तैयार है, जिसे 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है.

इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए, यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने दिप्रिंट को बताया: ‘हम एचईसीआई के ड्राफ्ट बिल पर काम कर रहे हैं. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एचईसीआई की संरचना को डिजाइन करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बात करके उनकी प्रतिक्रिया पर चर्चा की जाएगी.‘

पिछले सप्ताह वाराणसी में शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शिक्षा सम्मेलन, जिसमें देशभर के शिक्षाविद मौजूद थे, के दौरान भी मसौदा विधेयक के विवरण पर चर्चा की गई थी.

चार तरह के कार्य क्षेत्र

यूजीसी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि एचईसीआई तहत चार भिन्न कार्य क्षेत्रों वाली संस्थाएं काम करेंगी – सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों) के विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद (नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी कॉउंसिल – एनएचईआरसी), सभी संस्थाओं को मान्यता प्रदान करने के लिए एकल बिंदु के रूप में काम करने वाला राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (नेशनल एकक्रेडिटेशन कॉउंसिल – एनएसी), सभी प्रकार की संस्थानों को दिए गए अनुदान के वितरण की निगरानी करने के लिए उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (हायर एजुकेशन ग्रांट्स कॉउंसिल- एचईजीसी) और उच्च शिक्षा संस्थानों से अपेक्षित सीखने के परिणामों (लर्निंग आउटकम्स) की रुपरेखा तैयार करने के लिए एक सामान्य शिक्षा परिषद (जनरल एजुकेशन कॉउंसिल – जीईसी).

एचईसीआई, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेशनल एजुकेशन पालिसी- एनईपी) 2020 के तहत परिकल्पित प्रमुख नियामक है. हालांकि, एचईसीआई के विचार पर एक मसौदा विधेयक के रूप में पहले भी चर्चा की जा चुकी है.

पहली बार साल 2018 में इसे ‘भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम का निरसन) विधेयक- हायर एजुकेशन कॉउंसिल ऑफ इंडिया (रिपील ऑफ यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन एक्ट) -के रूप में पेश किया गया था, मगर उस समय एचईसीआई के मसौदा बिल को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था. एचईसीआई को हकीकत का रूप देने के लिए नए सिरे से प्रयास केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के तहत शुरू किए गए, जिन्होंने जुलाई 2021 में यह पदभार संभाला था.

एक एकल उच्च शिक्षा नियामक की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए, एनईपी 2020 के दस्तावेज में कहा गया है, ‘उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फिर से ऊर्जा भरने और इसे फलने-फूलने में सक्षम बनाने के लिए इसकी नियामक प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है.’

इसमें आगे यह भी कहा गया है कि नई प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विनियमन, मान्यता, वित्त पोषण और शैक्षणिक मानक के निर्धारण के विशिष्ट कार्य अलग-अलग, स्वतंत्र और अधिकार संपन्न निकायों द्वारा किए जाएं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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