नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में राज्य में रह रहे लोगों के आंकड़ों, चेहरों और कैंपेन में बिहार की छाप साफ़ दिखाई देती है. दिप्रिंट की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली में रह रहा तीन में से दो व्यक्ति या तो बिहार से है या यूपी से. इन्हीं वजहों से बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव यहां के चुनाव में जमकर अपना ज़ोर लगा रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के सहयोगी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) दिल्ली में दो और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) यहां एक सीट पर चुनाव लड़ रही है.
कांग्रेस ने अपने सहयोगी लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए चार सीटें छोड़ी हैं. सीटों के लिहाज़ से तीनों का मिलाकर होने वाला सात का आंकड़ा भले ही बड़ा ना लगे, लेकिन चेहरों और प्रतीकों के लिहाज़ से ये काफ़ी बड़ा नज़र आने लगता है.
यह भी पढ़ेंः दिल्ली के कैब, ऑटो चालक केजरीवाल और आप से नाराज़ हैं, जानिए वो कैसे करेंगे वोट
ऐसे ही एक प्रतीक के तहत दिल्ली भाजपा ने अपनी कमान बिहारी पहचान वाले मनोज तिवारी के हाथों में सौंप रखी है. कांग्रेस इसी लिहाज़ से बिहार के दरभंगा से आने वाले कीर्ति आज़ाद को दिल्ली की राजनीति में लेकर आई. आज़ाद की पत्नी पूनम संगम विहार से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
आम आदमी पार्टी (आप) ने तो अपने 28 वादों वाले घोषणा पत्र में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र पर दबाव के वादे को भी जगह दे दी है. पटना के शैलेंद्र कुमार जेडीयू के टिकट पर दिल्ली के बुराड़ी और पूर्व भाजपा विधायक शिव चरण लाल गुप्ता जेडीयू के निशान पर संगम बिहार से चुनाव लड़ रहे हैं.
इन उम्मीदवारों के लिए स्वयं राज्य के सीएम नीतीश कुमार के अलावा बिहार के कई मंत्री, 35 के करीब विधायक और एमएलसी के अलावा कई दिग्गज मोहल्ला सभा और डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के 16 लोकसभा सांसदों में से सभी और चार राज्यसभा संसादों में से दो भी इस कैंपेन का हिस्सा बने.
राज्य के सीएम ने अब तक तीन चुनावी रैलियां की हैं. ऐसी ही एक रैली के दौरान कुमार ने कहा, ‘दिल्ली तो पूरे देश की है, यहां हर जगह से लोग आते हैं. मंच पर मौजूद (भाजपा अध्यक्ष) नड्डा साहब भी मौलिक रूप से बिहारी ही हैं.’ इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि इतना पिछड़ा राज्य है बिहार फिर भी इसके विकास की दर 11.03 प्रतिशत हो गई है.
नीतीश ने आरोप लगाया कि दिल्ली की कमान जिसको मिली उसने कोई काम नहीं किया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने ये तक कहा कि दिल्ली का विकास बिहार की तर्ज पर होना चाहिए.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 1.43 करोड़ आबादी का 25-30 प्रतिशत हिस्सा पूर्वांचल (बिहार, झारखंड, यूपी) से आता है जिसके हाथ में इस चुनाव की चाबी होगी. पिछले दो चुनावों में इन वोटरों का पूरी तरह से आप को समर्थन रहा है.
यह भी पढ़ेंः नए-पुराने वादों का मिश्रण ‘आप’ का मेनिफेस्टो, नहीं की कोई धमाकेदार घोषणा
2015 में जब पार्टी ने 67 सीटें जीती थीं तो इनमें से 13 विधायक पूर्वांचल के थे. इसी को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल ने 2019 में बिहार के बड़े त्यौहार छठ पूजा को मनाने में दिल्ली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. वहीं दिल्ली के स्कूलों में सूबे की मैथिली जैसी भाषा को पढ़ाना भी शुरू किया गया.
लालू की पार्टी राजद के उम्मीदवारों के लिए पार्टी के चेहरा तेजस्वी ने दिल्ली के कई हिस्सों में चुनावी सभाएं की. इस दौरान उन्होंने बजट में बिहार को ‘ठेंगा’ दिखाए जाने जैसे मुद्दे उठाए. हालांकि, अंतिम क्षण तक कैंपेन में प्राण झोंक रहे आप और एनडीए के बीच अधमरी कांग्रेस की तरह तेजस्वी भी आख़िरी क्षणों में बिहार लौट गए.
दिल्ली चुनाव से जुड़े कैंपन की रफ्तार पर बृहस्पतिवार को पूर्ण विराम लग जाएगा. ऐसे में 8 तारीख़ को होने वाली वोटिंग में शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी के अलावा सीएए-एनआरसी-एनपीआर और शाहीन बाग़ जैस मुद्दों में बंटी दिल्ली में बिहारी वोटरों की भूमिका बेहद अहम होगी.
चुनाव के नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.