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Thursday, 25 April, 2024
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UP में BJP से निकल रहे विधायकों पर बोले सिद्धार्थ नाथ सिंह-पसंद के क्षेत्र से टिकट न मिलने का है डर

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक पार्टियां अपना चुनावी गणित बनाने में लग गई हैं. इसी बीच यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी में उथल-पुथल का माहौल देखने को मिल रहा है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को छोड़कर जा रहे मंत्री और विधायकों का यह सिलसिला लगातार जारी है. बीजेपी छोड़कर जा रहे विधायकों का कहना है कि पार्टी ने पिछड़े लोगों को नजरअंदाज किया है. कैबिनेट मंत्री का पद और भाजपा छोड़ने के बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव के साथ बैठक भी की थी, अब योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इन मंत्री और विधायकों पर बड़ा बयान दिया है.

उनका कहना है कि इस देश के सबसे बड़े ओबीसी नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘इन विधायकों के बीजेपी छोड़ने के कई कारण हैं, कुछ अपने निजी फायदे के लिए जा रहे हैं, दूसरों को डर है कि उन्हें अपनी पसंद के निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं मिलेगा… लोगो ने 5 साल तक बीजेपी के साथ रहकर मलाई काने का काम किया.’

उन्होंने कहा, राज्य में ओबीसी और दलितों को गुमराह किया जा रहा है. वे (भाजपा छोड़ने वाले विधायक) सपा द्वारा ओबीसी और दलितों के लिए 10 कल्याणकारी योजनाओं की सूची दें. सपा केवल मुसलमानों और यादवों के लिए काम करती है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अन्य ओबीसी समुदाय कभी भी मुस्लिम और यादवों में शामिल नहीं होंगे.’

इससे पहले उत्तर प्रदेश के मंत्री बृजेश पाठक ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास ‘अपना कुछ नहीं है और वह दूसरों की मदद से दुकान चलाने’ की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह इसमें सफल नहीं होंगे.

स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ धर्म सिंह सैनी, विधायक मुकेश वर्मा, विधायक विनय शाक्य और बाला प्रसाद अवस्थी ने गुरुवार को ही इस्तीफा दिया है. बाला प्रसाद अवस्थी ने इससे पहले सपा विधायक मनोज पांडेय संग जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. जिसके बाद उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सपा सरकार के मुकाबले काम नहीं हुआ है.
विधायक मुकेश वर्मा ने  कहा कि भाजपा सरकार द्वारा 5 साल के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी गई व दलित, पिछड़ों किसानों व बेरोजगारों की उपेक्षा की गई.

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