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Saturday, 2 November, 2024
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क्या संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान देने चाहिए

मेघालय के गर्वनर ने पिछले दिनों ट्वीट किया कि कश्मीरियों का बायकॉट करें, अगले दो साल तक कश्मीर में घूमने ना आएं और अमरनाथ यात्रा पर भी ना आएं.

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नई दिल्ली: संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को क्या संविधान की रक्षा करनी चाहिए या फिर उसकी नींव को कमज़ोर करना चाहिए. मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय लगातार विवादास्पद बयान देने के लिए खबरों मेंं बने रहते हैं. हाल ही में उन्होंने पुलवामा हमले के बाद लिखा कि भारतीयों को कश्मीर का बॉयकॉट कर देना चाहिए ट्विटर पर उनके इस ट्वीट के बाद बहुत शोर मचा हुआ है.

मेघालय के राज्यपाल बनने से पहले तथागत रॉय भाजपा के नेता थे. वे लगातार अपने बयानों से विवादों में रहते आए है. हाल में उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल ने अपील की है, ‘अगले दो साल तक कश्मीर में घूमने ना आएं और अमरनाथ यात्रा पर भी ना आएं. सर्दियों में आने वाले कश्मीरियों से सामान भी ना खरीदें. कश्मीर की हर एक चीज़ का बहिष्कार करें.’ उन्होंने लिखा मैं इस बात से सहमत हूं. ये साफ-साफ संविधान का उल्लंघन है और हमारी एकजुटता और अस्मिता पर चोट पहुंचता है.

रॉय की राय ट्विटर पर लगातार दिखाई देती रहती है और उनके विवादों में घिरे रहने के बावजूद वो राज्यपाल के संवैधानिक पद पर बने हुए है.

रॉय इससे पहले गांधी और नेहरू पर भी टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने बंगाल में मुसलमानों की ज़्यादा आबादी के लिए नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराया था.

अक्सर अपने ट्वीट से गोले दागने वाले रॉय ने ट्ववीट में लिखा था कि वाजपेयी नहीं रहे पर बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था.

इससे पहले रॉय दिवाली में इस्तेमाल होने वाले पटाख़े से उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण की तुलना और अज़ान के लाउड स्पीकर को लेकर भी ट्वीट किया था.

उन्होंने पहले ‘सेक्युलर’ शब्द पर भी तंज किया है.

ऐसा नहीं है कि तथागत रॉय ने संवैधानिक पद पर रहते हुए इस किस्म बात की हो. मेघालय उच्च न्यायालय के जस्टिस एस आर सेन ने एक मामले पर फैसला देते हुए टिप्पणी पर कहा था कि ‘भारत को हिंदू राष्ट्र’ होना चाहिए था. जज ने कहा था कि भारत को बंटवारे के वक्त हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था. भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनने से रोकना चाहिए.’

जस्टिस एस आर सेन की टिप्पणी पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके निशाना साधा था.

संविधान को बनाने में हज़ारो और लाखों लोगों की मेहनत लगी है. संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत सम्प्रुभता सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है. लेकिन आज के दौर में संविधान की शपथ लेने वाला ही उसकी मर्यादा का पालन नहीं करते हैं. पर सवाल ये है कि क्या ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ कार्यवाई नहीं होनी चाहिए.

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