नई दिल्ली: संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को क्या संविधान की रक्षा करनी चाहिए या फिर उसकी नींव को कमज़ोर करना चाहिए. मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय लगातार विवादास्पद बयान देने के लिए खबरों मेंं बने रहते हैं. हाल ही में उन्होंने पुलवामा हमले के बाद लिखा कि भारतीयों को कश्मीर का बॉयकॉट कर देना चाहिए ट्विटर पर उनके इस ट्वीट के बाद बहुत शोर मचा हुआ है.
मेघालय के राज्यपाल बनने से पहले तथागत रॉय भाजपा के नेता थे. वे लगातार अपने बयानों से विवादों में रहते आए है. हाल में उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल ने अपील की है, ‘अगले दो साल तक कश्मीर में घूमने ना आएं और अमरनाथ यात्रा पर भी ना आएं. सर्दियों में आने वाले कश्मीरियों से सामान भी ना खरीदें. कश्मीर की हर एक चीज़ का बहिष्कार करें.’ उन्होंने लिखा मैं इस बात से सहमत हूं. ये साफ-साफ संविधान का उल्लंघन है और हमारी एकजुटता और अस्मिता पर चोट पहुंचता है.
An appeal from a retired colonel of the Indian Army: Don’t visit Kashmir,don’t go to Amarnath for the next 2 years. Don’t buy articles from Kashmir emporia or Kashmiri tradesman who come every winter. Boycott everything Kashmiri.
I am inclined to agree— Tathagata Roy (@tathagata2) February 19, 2019
रॉय की राय ट्विटर पर लगातार दिखाई देती रहती है और उनके विवादों में घिरे रहने के बावजूद वो राज्यपाल के संवैधानिक पद पर बने हुए है.
रॉय इससे पहले गांधी और नेहरू पर भी टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने बंगाल में मुसलमानों की ज़्यादा आबादी के लिए नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराया था.
अक्सर अपने ट्वीट से गोले दागने वाले रॉय ने ट्ववीट में लिखा था कि वाजपेयी नहीं रहे पर बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था.
इससे पहले रॉय दिवाली में इस्तेमाल होने वाले पटाख़े से उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण की तुलना और अज़ान के लाउड स्पीकर को लेकर भी ट्वीट किया था.
Every Diwali fights start over noise pollution from crackers. A few days in a year. But no fight about Azaan over loudspeakers at 4.30 AM!
— Tathagata Roy (@tathagata2) October 17, 2017
उन्होंने पहले ‘सेक्युलर’ शब्द पर भी तंज किया है.
ऐसा नहीं है कि तथागत रॉय ने संवैधानिक पद पर रहते हुए इस किस्म बात की हो. मेघालय उच्च न्यायालय के जस्टिस एस आर सेन ने एक मामले पर फैसला देते हुए टिप्पणी पर कहा था कि ‘भारत को हिंदू राष्ट्र’ होना चाहिए था. जज ने कहा था कि भारत को बंटवारे के वक्त हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था. भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनने से रोकना चाहिए.’
जस्टिस एस आर सेन की टिप्पणी पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके निशाना साधा था.
His Honour had one job: to READ the Constitution by which he was made a judge. Instead, he's chosen to sing paens for Mitron. This judgment looks more like a Whatsapp forward than a document written by someone trained in rule of law & Constitution.https://t.co/Urj1n7uFSA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2018
संविधान को बनाने में हज़ारो और लाखों लोगों की मेहनत लगी है. संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत सम्प्रुभता सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है. लेकिन आज के दौर में संविधान की शपथ लेने वाला ही उसकी मर्यादा का पालन नहीं करते हैं. पर सवाल ये है कि क्या ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ कार्यवाई नहीं होनी चाहिए.