नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को कम करने में जिन विषयों को हटाया गया है उसे लेकर बोर्ड और एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की जमकर आलोचना हो रही है. कांग्रेस नेताओं और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसे लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर भी सवाल उठाए हैं.
इसके पहले रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंगलवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 प्रतिशत तक कम करने से जुड़ी जानकारी को अपने ट्वीट में ज़ोर शोर से बताया था. उन्होंने लिखा, ‘सीखने के महत्व को देखते हुए, मुख्य अवधारणाओं को बरकरार रखते हुए सिलेबस को 30 प्रतिशत तक तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है.’
?Considering the importance of learning achievement, it has been decided to rationalize syllabus up to 30% by retaining the core concepts.@PMOIndia @HMOIndia @HRDMinistry @mygovindia @transformIndia @cbseindia29 @mygovindia
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 7, 2020
हालांकि, बाद में ये जानकारी निकलकर सामने आई कि 30 प्रतिशत सिलेबस कम करने के नाम पर सीबीएसई ने 11वीं की राजनीति विज्ञान की किताबों से संघवाद, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता और 12वीं की राजनीति विज्ञान से भारत के पड़ोसियों से संबंध जैसे अन्य विषयों को हटा दिया है.
सामाजिक विज्ञान के तहत आने वाले 10वीं के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लिंग, धर्म और जाति’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’ और ‘लोकतंत्र के लिए चुनौतियां’ पर पूरे अध्याय को हटा दिया गया है. देश के बड़े नेता इन बदलावों का विरोध कर रहे हैं.
इस पर अचरज जताते हुए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर लिखा, ‘कोविड संकट के दौरान सीबीएसई का कोर्स कम करने के नाम पर केंद्र सरकार ने नागरिकता, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और बंटवारे जैसे विषयों को हटा दिया.’ बनर्जी ने इसका घोर विरोध करते हुए एचआरडी मंत्रालय से अपील की है कि इन अहम चीज़ों को किसी कीमत पर न हटाया जाए.
Shocked to know that the Central Govt has dropped topics like Citizenship, Federalism, Secularism & Partition in the name of reducing CBSE course during #COVIDCrisis.
We strongly object to this & appeal @HRDMinistry, GoI to ensure these vital lessons aren't curtailed at any cost. https://t.co/pkBaVI4VKM— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 8, 2020
कुछ ऐसी ही भावनाओं से गुज़र रहे कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा, ‘सीबीएसई के छात्रों के कोर्स का भार कम करने को लेकर मैं रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देने वाला था, लेकिन फिर मेरी नज़र उन चीज़ों पर पड़ी जिन्हें डिलीट किया गया है.’
1/3 I was going to congratulate @DrRPNishank on reducing the CBSE students' course-load, till i saw what they're deleting: https://t.co/DQKboUeJ6k
So children of Std.X will no longer learn about 'democracy &diversity', 'gender, religion &caste', 'popular struggles& movements'…— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 8, 2020
अपनी बधाई रोकने का कारण बताते हुए थरूर ने कहा कि 10वीं के छात्र अब लोकतंत्र और विविधता, लिंग धर्म और जाति, अहम संर्घष और मुहिम के बारे में नहीं पढ़ पाएंगे. सिलेबस कम करने के नाम पर हटाई गई चीज़ों को लेकर थरूर ने कहा कि ये अहम विषय हैं. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने हटाए गए विषयों को चुना है उनकी नीयत पर शक किया जाना चाहिए.’
कर्नाटक से कांग्रेस के राज्य सभा सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. उन्होंने लिखा, ‘लोकतांत्रिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और अन्य अध्यायों को स्कूल के कोर्स से हटा दिया गया है. ऐसे शासन से क्या उम्मीद करें जिसका नेतृत्व करने वाले ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ में डिग्री होने का दावा करते हैं? स्वघोषित संविधान भक्ति का ये भयानक पाखंड चौंका देने वाला है.’
Democratic Rights, Secularism & other chapters dropped from school courses:
What else to expect from a regime headed by someone claiming to have a degree in 'entire political science'? Sheer hypocrisy of self-proclaimed Constitution-bhakts is staggering!https://t.co/qGuJOvVuTn
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 8, 2020
इस विवाद पर सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘जो 190 के करीब विषय हैं उन्हें इस तरह से कम किया गया है जिससे बच्चों का लर्निंग गैप कम हो. जो 30 प्रतिशत चीज़ें हटाई गई हैं वो बोर्ड की परीक्षा में नहीं आएंगी. इन विषयों से बच्चों को किसी न किसी तरह से अवगत कराया जाएगा.’
अधिकारी ने कहा कि जो हटाया गया है वो बच्चों को पहले ही पढ़ाया जा चुका है. होता ये है कि आगे की कक्षाओं में ये विषय व्यापक हो जाते हैं. लेकिन बच्चों ने पिछली कक्षाओं में इसे पढ़ लिया है. अधिकारी ने कहा कि ये कहना गलत होगा कि इन विषयों का पूरा कॉन्सेप्ट ही खत्म कर दिया गया है.