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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशइन छह मौक़ों पर सीबीआई और ईडी भाजपा प्रतिद्वंद्वियों के पीछे पड़ी

इन छह मौक़ों पर सीबीआई और ईडी भाजपा प्रतिद्वंद्वियों के पीछे पड़ी

अरसे से केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की कठपुतली होने का आरोप झेल रही सीबीआई कोलकाता के घटनाक्रम के बाद फिर से खबरों में है.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के सीबीआई के प्रयास पर आपत्ति उठाई तो पूरे देश के विपक्षी दल उनके समर्थन में उठ खड़े हुए.

शारदा पोंज़ी घोटाले की जांच करने वाली विशेष टीम का नेतृत्व कर चुके कुमार पर दस्तावेज़ों को नष्ट करने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही है, पर गत वर्ष राज्य के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को मिली ‘सामान्य सहमति’ वापस लेकर राज्य सरकार ने जांच प्रक्रिया को लेकर अस्पष्टता की स्थिति बना दी – अब प्रत्येक मामले के आधार पर सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति लेने की ज़रूरत होती है.

पश्चिम बंगाल सरकार इस संबंध में आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार के पदचिन्हों पर चली. आंध्र प्रदेश सरकार ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सीबीआई के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया था.

हालांकि, भारत की मुख्य जांच एजेंसी पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी, भाजपा हो या कांग्रेस, के इशारे पर काम करने के आरोप नये नहीं हैं. अन्य केंद्रीय एजेंसियों, जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), पर भी इसी तरह के आरोप लगते रहे हैं.

अभी जबकि बंगाल में सीबीआई को लेकर तनातनी जारी है, दिप्रिंट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के शासन काल के उन मामलों पर एक नज़र डाली है जिनको लेकर सीबीआई और ईडी पर कथित रूप से अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करने के आरोप लगे हैं.

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, 2019

जींद में होने वाले बहुप्रतीक्षित उपचुनाव के ठीक पहले 25 जनवरी 2019 को सीबीआई ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ मामला दर्ज़ किया. उन पर गुरुग्राम में किसानों की ज़मीन के अधिग्रहण मामले में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.

यह हुड्डा के खिलाफ सीबीआई की तीसरी प्राथमिकी थी. उनके खिलाफ ज़मीन सौदों में अनियमितताओं के दो और मामले हैं, जो राज्य में कांग्रेस शासन की अवधि के हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2017 में इस मामले में जांच का आदेश दिया था. इसमें आरोप है कि किसानों को, धोखे से, सैंकड़ों एकड़ ज़मीन निजी बिल्डरों को सौंपने के लिए विवश किया गया था.

प्राथमिकी दर्ज़ किए जाने के बाद सीबीआई ने हुड्डा के रोहतक स्थित आवास पर, तथा दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र स्थित 20 अन्य ठिकानों पर छापे मारे. राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले मारे गए इन छापों को हुड्डा ने उनकी आवाज़ दबाने के लिए ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ की कार्रवाई करार दिया है.

प्राथमिकी दर्ज़ किए जाने से सिर्फ तीन सप्ताह पहले पंचकूला में सीबीआई की एक अदालत ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को कथित तौर पर अवैध रूप से ज़मीन के पुनर्आवंटन के मामले में हुड्डा को ज़मानत दी थी.

समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी 2019

नए साल की शुरुआत उत्तर प्रदेश के दो पुराने प्रतिद्वंद्वियों समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन पर चर्चा से हुई थी.

लखनऊ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा किए जाने से एक सप्ताह पहले सीबीआई ने हमीरपुर में सपा के शासनकाल में 2012 से 2016 के बीच खनिजों के अवैध खनन संबंधी आरोपों को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में छापे मारे.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2016 के एक आदेश के बाद सीबीआई ने पूरे उत्तर प्रदेश में कथित अवैध खनन के मामलों की जांच शुरू की थी. इसके तहत हमीरपुर मामले में प्राथमिकी रिपोर्ट सीबीआई की तीसरी ऐसी कार्रवाई है.

प्राथमिकी में अन्य लोगों के साथ आईएएस अधिकारी चंद्रकला, सपा एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा और बसपा टिकट पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले संजय दीक्षित के नाम हैं. प्राथमिकी में कहा गया है कि सरकार में कुछ महीनों तक खनन मंत्रालय का भी प्रभार संभाल चुके पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ करनी पड़ सकती है.

सपा प्रमुख अखिलेश ने सीबीआई की कार्रवाई को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया है, जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने इसे भाजपा की ‘राजनीतिक दुश्मनी’ का नतीजा बताया है.

जनवरी में ईडी ने लखनऊ के सात ठिकानों पर कथित ‘स्मारक घोटाले’ के संबंध में छापे मारे थे. मामला उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार के कार्याकल में स्मारकों के निर्माण की योजना में कथित रूप से कालेधन को सफेद किए जाने से संबंधित है. इस योजना के कार्यान्वयन की अवधि में बसपा प्रमुख मायावती मुख्यमंत्री थीं. ईडी ने इस संबंध में पहली बार जनवरी 2014 में मामला दर्ज़ किया था.

कांग्रेस सांसद अहमद पटेल, 2018

अगस्त 2018 में, स्टर्लिंग बायोटेक के ऋण चुकता नहीं करने और कथित मनी-लॉन्ड्रिंग के मामले से गुजरात से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमत पटेल का नाम दूसरी बार जोड़ा गया.

गुजरात स्थित यह कंपनी काले धन को सफेद बनाने की कथित गतिविधियों के कारण ईडी के जांच दायरे में है. हज़ारों करोड़ रुपये के ऋण को चुकाने में असमर्थता को लेकर कंपनी पर सीबीआई ने भी मामला दर्ज़ कर रखा है. इससे पहले इस मामले में पटेल का नाम अगस्त 2017 में तब आया था जब ईडी ने स्टर्लिंग ग्रुप पर छापे मारे थे. यह घटना कांग्रेस के उस अभियान के एक सप्ताह बाद की है, जिसके तहत गुजरात में राज्यसभा के चुनाव से पहले 42 पार्टी विधायकों को दल-बदल संबंधी आशंकाओं के मद्देनज़र कर्नाटक ले जाया गया था. पार्टी की आशंकाओं के मूल में कांग्रेस के छह विधायकों के एक-एक कर इस्तीफे देने का घटनाक्रम था.

गत वर्ष दिसंबर में, गुजरात विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद, कंपनी के एक अधिकारी सुनील यादव ने पूछताछ के दौरान कथित रूप से ईडी को बताया कि संदेसरा ग्रुप के मालिकों में से एक चेतन संदेसरा ने पटेल के दामाद इरफ़ान सिद्दीक़ी को भारी मात्रा में नकदी का भुगतान किया था. उसने कथित रूप से यह भी कहा कि संदेसरा के निर्देश पर उसने पटेल के पुत्र फ़ैसल को पैसे भिजवाए थे.

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनयाक की पार्टी बीजेडी के सदस्य, 2017

ओडिशा में 2017 के पंचायती चुनावों से ठीक पहले सीबीआई ने बीजेडी के एक सांसद, एक विधायक और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कार्यालय के एक अधिकारी के घर पर छापे मारे थे.

जांच एजेंसी ने इस कार्रवाई को सीशोर ग्रुप नामक कंपनी द्वारा कथित चिटफंड घोटाले में निवेशकों के 500 करोड़ रुपये हड़पे जाने से जोड़ा था.

इससे पहले पटनायक के एक करीबी अधिकारी सरोज साहू से 2014 के एक मामले में पूछताछ की जा चुकी थी. सीबीआई ने यह पूछताछ सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच के लिए कहे जाने के बाद की थी. जब लोकसभा और ओडिशा विधानसभा के चुनाव कुछ महीने दूर रह गए हैं, पिछले महीने सीबीआई ने एक बार फिर साहू से और बीजेडी के एक अन्य नेता से पूछताछ की है.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, 2016

उत्तराखंड में 2016 में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान संकट की अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई थी. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नौ विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया, और इसके कारण 70-सदस्यीय सदन में पार्टी अल्पमत में आ गई थी.

इसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया था. ऐसे में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. अदालत ने 31 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया. अब बागी विधायकों ने आरोप लगाया कि रावत ने वोट के खातिर रिश्वत की पेशकश की थी. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में 26 मार्च को बनाई गई कथित ‘स्टिंग सीडी’ भी जारी की.

भाजपा नेता रघुनाथ सिंह चौहान की एक जनहित याचिका के आधार पर सीबीआई ने 29 अप्रैल को जांच शुरू कर दी. सीबीआई ने रावत को 9 मई को, सदन में शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले, पूछताछ के लिए बुलाया था. दो बार पहले ही टल चुके शक्ति परीक्षण के मद्देनज़र रावत ने सीबीआई के समक्ष पेश होने के लिए और समय दिए जाने का आग्रह किया.

सदन में शक्ति परीक्षण में आखिरकार कांग्रेस की जीत हुई. राज्य मंत्रिमंडल ने इसके बाद राज्य से जुड़ा मामला होने के कारण जांच के लिए एक विशेष एसआईटी टीम का गठन करते हुए सीबीआई से अपनी जांच बंद करने को कहा, पर एजेंसी ने मंत्रिमंडल के निर्णय को मानने से इनकार कर दिया.

इनेलो प्रमुख ओपी चौटाला, 2014

हरियाणा में 15 अक्तूबर 2014 को होने वाले विधानसभा चुनाव से 10 दिन पूर्व सीबीआई ने इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलोद) प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला की ज़मानत को तत्काल निरस्त करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सज़ायाफ़्ता चौटाला उन दिनों चिकित्सा कारणों से ज़मानत पर थे.

सीबीआई ने अपनी याचिका का आधार इस तथ्य को बनाया कि पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला 25 सितंबर को जींद में चुनाव प्रचार करते पाए गए थे. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए चौटाला की ज़मानत को रद्द कर दिया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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