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Friday, 26 April, 2024
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महाराष्ट्र में कोविड से निपटने का जिम्मा शरद पवार के हाथ, शिवसेना को कोई ऐतराज नहीं है

शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वे पवार की भूमिका को हस्तक्षेप के रूप में नहीं देखते और बताते हैं कि उनका अनुभव मूल्यवान है.

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मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार कोरोनोवायरस संकट के बीच महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अगाड़ी (एमवीए) सरकार को चला रहे हैं.

चाहे वह सिविल सेवकों और मुख्यमंत्री का मार्गदर्शन करना हो या सहायता के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करना हो, पवार महामारी के लिए राज्य की प्रतिक्रिया को आगे बढ़ाने का बीड़ा उद्धव के साथ उठा रहे हैं. उद्धव, जो राजनीती में नए हैं, बड़े पैमाने पर अपने सहयोगी गठबंधन के नेतृत्व का अनुसरण कर रहे हैं.

महाराष्ट्र शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को मिलाकर एक त्रिपक्षीय गठबंधन द्वारा शासित है.

मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के छह महीने में ठाकरे खुद को कोरोना महामारी जैसे एक अभूतपूर्व संकट से जूझते हुए पाते हैं.

लॉकडाउन होने के बावजूद, महाराष्ट्र ने सभी राज्यों की तुलना में कोरोनोवायरस मामलों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की है. सोमवार तक, महाराष्ट्र में 50,231 कोरोना मामले (14,600 ठीक / छुट्टी, 1,635 मौतें) दर्ज किए गए, जो भारत के कुल मामलों का 36 प्रतिशत है. इसमें से 30,542 मामले अकेले आर्थिक राजधानी मुंबई से सामने आए हैं.

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इस संकट के बीच, शिवसेना का कहना है कि पवार का मार्गदर्शन एक संपत्ति की तरह है, पार्टी उनकी भागीदारी को हस्तक्षेप के रूप में नहीं देखती है.

एक मार्गदर्शक

महाराष्ट्र की कोरोना से लड़ाई में पवार की मुख्य भूमिका काफी स्पष्ट रही है. सोमवार सुबह महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, जिन्होंने कोरोना की स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया, ने पवार को राजभवन में एक बैठक के लिए आमंत्रित किया.

राज्यपाल राज्य में महामारी की स्थिति की स्वतंत्र रूप से निगरानी कर रहे थे और एमवीए के सूत्रों के अनुसार, महामारी के लिए राज्य द्वारा लिए गए फैसलों नाखुश थे. कोश्यारी ने पिछले सप्ताह ठाकरे को आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने पीए को भेजा.

पिछले कुछ हफ्तों में, पवार ने ठाकरे के साथ नियमित बैठकें की हैं और राज्य के सिविल सेवकों द्वारा कोविड -19 ब्रीफिंग में एक सक्रिय भागीदार भी रहे हैं.

पिछले हफ्ते, पवार ने चार दिनों की अवधि में ठाकरे के साथ दो बैठकें कीं- 19 मई और 23 मई को, मालाबार हिल में राज्य सरकार के गेस्ट हाउस सह्याद्री में और दादर में पुराने मेयर के बंगले पर. वे 15 मई को भी मिले, और पहले भी कई बैठकें कीं थी.

एमवीए के सूत्रों ने कहा कि पिछले हफ्ते की बैठकों में, पवार ने मंत्रालयों से मंत्रियों द्वारा काम के जरिये जनता में विश्वास जगाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

मंत्रालय महाराष्ट्र कोविड-19 नियंत्रण कक्ष के रूप में कार्य कर रहा है. लेकिन अधिकांश गतिविधि राज्य के सिविल सेवकों द्वारा संचालित होती है, मंत्रियों के साथ वर्चुअल ट्यूनिंग है.

केवल कुछ मुट्ठी भर मंत्री वर्तमान में मुंबई में मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों से काम कर रहे हैं. चूंकि मुंबई में मामले बढ़ रहे हैं, जो कि विस्तारित अवधि के लिए रेड जोन में जारी रह सकता है, ऐसे में शहर में रहने वाले मंत्री भी अपने बंगलों से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं.

ठाकरे मोटे तौर पर पने बांद्रा आवास मातोश्री से काम कर रहे हैं, निरीक्षण के लिए कभी कभार जाते हैं और उनके कुछ ही मंत्रियों को काम करते और प्रत्यक्ष रूप से स्थिति की निगरानी करते देखा गया है.

यह पता चला है कि पवार ने मुख्यमंत्री से कहा है कि सरकारी मुख्यालयों में काम करने वाले मंत्रियों की छवि जनता में विश्वास पैदा करेगी.

एमवीए के सूत्रों ने कहा कि पवार भी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री खुद अपने कार्यालय से मंत्रालय में काम करना शुरू करें.

सूत्रों ने कहा कि पवार ठाकरे को समझाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को कम किया जा सके. सूत्रों के अनुसार, पवार ने ठाकरे से कहा कि अनिश्चितकालीन लॉक डाउन से जनता का धैर्य ख़त्म हो जाएगा और वे सरकार के खिलाफ हो जाएंगे.

दिप्रिंट से बात करते हुए एक प्रमुख सचिव ने कहा कि ‘एक वर्चुअल सरकार का काम करना आसान नहीं है.’

प्रमुख सचिव ने कहा, ‘जब हम जोखिम ले रहे हैं और मंत्रालय में आ रहे हैं, तो यह मंत्रियों का कर्तव्य और जिम्मेदारी भी है कि वे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें, महामारी के समय में सरकार को वर्चुअल सेटिंग से नहीं चलाया जा सकता है.’

एक दूसरे वरिष्ठ सिविल सेवक ने कहा ‘महाराष्ट्र वीडियो बैठकों पर नहीं चल सकता है.’

सिविल सेवक ने कहा, ‘पहले इन मंत्रियों ने कैबिनेट में शामिल होने के लिए लड़ाई लड़ी. फिर वे कैबिनेट बर्थ पर लड़े. अब, जब एक महामारी है, जो हमने पहले कभी नहीं देखा था,तब ये मंत्री घर से काम कर रहे हैं.’

राज्य का मामला प्रस्तुत करना

हालांकि, यह केवल एक सलाहकार की भूमिका नहीं है जो पवार निभा रहा है.

15 मई को ठाकरे के साथ बैठक के बाद पवार ने बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए ) ग्राउंड में नवनिर्मित कोविड-19 केंद्र का दौरा किया और नागरिक एजेंसी द्वारा निर्मित क्वारंटाइन और अस्थायी अस्पताल का भी निरीक्षण किया.

पवार कृषि, शिक्षा और उद्योगों से संबंधित मुद्दों और लॉकडाउन के दौरान चुनौतियों पर जनता के साथ नियमित रूप से फेसबुक लाइव से बातचीत कर रहे हैं.

वह नियमित रूप से लॉकडाउन से संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर भी ट्वीट करते हैं. इस महीने की शुरुआत में, केंद्र सरकार द्वारा विशेष श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों के दिए जाने के बाद फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को घर से निकालने के लिए उन्होंने ट्विटर पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से अनुरोध किया कि कुछ राज्य मज़दूरों को वापस जाने से मना कर रहे हैं इस मुद्दे को देखें.

15 मई को, उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने पीएमओ को लिखा था, “महामारी कोविड-19 के मद्देनजर अभूतपूर्व राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से तेजी से बढ़ रहे संकट से शुगर उद्योग को बाहर निकालने के लिए उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.

26 अप्रैल को, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को महाराष्ट्र के लिए वित्तीय पैकेज का सुझाव देते हुए लिखा कि यह कोविड-19 महामारी के आर्थिक संकट से संबंधित है.

उन्होंने एक पत्र में लिखा था जो मीडिया को जारी किया गया था, जिसमें लिखा था, ‘अब तक, मुंबई कोविड-19 प्रकोप और लंबे समय तक लॉकडाउन की स्थिति में सबसे प्रभावित शहर है. इसने महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं, अगर इसे तत्काल संबोधित नहीं किया जाता है.’

पिछले सप्ताह, उन्होंने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं के वर्चुअल सम्मेलन में भाग लिया.

‘मूल्यवान मार्गदर्शन’

शिवसेना पवार की पहल से प्रभावित नहीं हुई और उनके मार्गदर्शन का ध्यान दिया गया.

इस रविवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम में राज्यसभा सांसद संजय राउत ने उन मंत्रियों को चेतावनी दी है जो मंत्रालय से दूर रहे हैं. राउत ने कहा कि कई मंत्री अपनी नौकरी खो सकते हैं यदि वे मंत्रालय से काम शुरू नहीं करते हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्होंने पवार की भूमिका को हस्तक्षेप के रूप में नहीं देखा, उन्होंने कहा उनका अनुभव मूल्यवान है क्योंकि यह मुश्किल समय में सरकार को दिशा देता है.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता और एमएलसी डॉ. नीलम गोरे ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ पवार की बातचीत ‘सरकार के लिए रचनात्मक बातचीत’ थी.

उन्होंने कहा, ‘मूल ​​रूप से, शिवसेना के पवार साहब के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. उनका अनुभव सरकार के लिए मूल्यवान है.’

शिवसेना के एक अन्य नेता ने कहा कि अधिकारियों से उनका सीधा संवाद उनको एक पैर पर खड़ा रखेगा क्योंकि नौकरशाही पवार का सम्मान करती है.

वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘नौकरशाही सरकार की मदद नहीं कर रही है. वे आपस में बंटे हुए हैं और अहंकार की लड़ाई में लगे हुए हैं. अब, वे एक लाइन में आ गए हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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