नई दिल्ली: ‘‘वादों से में अपने मुकरता नहीं, मरने से में कभी डरता नहीं’’, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान अमीर हैं, प्रसिद्ध हैं, उनका चार्म देश ही नहीं विदेशों में भी है, वो किसी खास पहचान के मोहताज़ नहीं हैं, लेकिन एक वक्त था जब खान को दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका में उनके सरनेम के कारण प्रवेश से रोका गया.
एक इंटरव्यू के दौरान इस बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा था- ‘‘मैं एक स्वतंत्रता सेनानी का बेटा हूं और मुझे ऐसे प्रमोशन की ज़रूरत नहीं है’’.
इसका एक नया उदाहरण मंगलवार को सामने आया जब, भारत के दौरे पर आए में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने खान से मुंबई में उनके बंगले मन्नत में मुलाकात की. इस बात की जानकारी खुद, गार्सेटी ने सोशल मीडिया पर दी है.
इस दौरान दोनों ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के अलावा दुनियाभर में पड़े बॉलीवुड के प्रभाव पर भी चर्चा की.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘क्या यह मेरे बॉलीवुड डेब्यू का समय है? सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ उनके आवास मन्नत में शानदार बातचीत हुई, मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री के बारे में और जानने और दुनियाभर में हॉलीवुड और बॉलीवुड के विशाल सांस्कृतिक प्रभाव पर चर्चा की.’’
Is it time for my Bollywood debut? 😉 Had a wonderful chat with superstar @iamsrk at his residence Mannat, learning more about the film industry in Mumbai and discussing the huge cultural impact of Hollywood and Bollywood across the globe. #AmbExploresIndia pic.twitter.com/SLRQyhhn8C
— U.S. Ambassador Eric Garcetti (@USAmbIndia) May 16, 2023
चलिए आपको बताते हैं कि इससे पहले खान को कितनी बार अमेरिका जाने से पहले रोका गया और किंग खान ने इसे किस अंदाज़ में ज़ाहिर किया.
‘माई नेम इज़ खान’
शाहरुख खान को अब तक तीन बार अमेरिका जाने से पहले एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोका है, जिस पर आखिरी बार उन्होंने कहा था कि ये बहुत दर्दनाक है और जिसके लिए अमेरिकी विदेश विभाग ने अंततः उनसे माफी भी मांगी थी. हालांकि, सनद रहे कि खान एक भी बार यहां गलत नहीं थे.
2009 में बॉलीवुड अभिनेता खान को न्यू जर्सी में नेवार्क लिबर्टी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उस समय केवल इसलिए हिरासत में लिया था क्योंकि उनका नाम कंप्यूटर की टेरर अलर्ट लिस्ट में सामने आया था. हालांकि, उन्हें दो घंटे के बाद छोड़ दिया गया था.
दरअसल, उस समय खान अपनी फिल्म ‘‘माई नेम इज खान’’ के प्रमोशन के लिए अमेरिका जा रहे थे. मुसलमानों की नस्लीय रूपरेखा से संबंधित विषय पर आई फिल्म में उनके किरदार का एक डायलॉग था, ‘‘माई नेम इज़ खान एंड आई एम नॉट ए टेररिस्ट’’, जो कि आज भी बहुत ज्यादा प्रासंगिक है.
खान के साथ हुआ ये वाकिया उस उस समय एक चर्चित अभियान बन गया था, जिसे अभिनेता के विरोधियों ने फिल्म के प्रमोशन से जोड़ दिया था. इसमें समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अमर सिंह भी शामिल थे.
इस पर एक इंटरव्यू में खान ने कहा था, ‘‘मैं एक स्वतंत्रा सेनानी का बेटा हूं और मुझे ऐसे प्रमोशन की ज़रूरत नहीं है.’’
उस समय इस विडंबना पर शाहरुख ने कहा था, ‘‘मैं कुछ आतंकवादी के होने से इतना परेशान हो गया था, संयोग से जिनका सरनेम मेरे सरनेम (खान) से मैच होता है. इस कारण मैंने मैं आतंकवादी नहीं हूं ये साबित करने के लिए ‘माई नेम इज़ खान’ फिल्म बनाई, लेकिन विडंबना देखिए कि जब मैं पहली बार अमेरिका में फिल्म के लिए जा रहा था, तब एयरपोर्ट पर मुझसे मेरे सरनेम के बारे में घंटों पूछताछ की गई थी. कभी-कभी, मुझे हैरानी होती है, क्या हर किसी के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, जिसका सरनेम सिर्फ ऐसा है.’’
अप्रैल 2012 में शाहरुख को न्यूयॉर्क में वेस्टचेस्टर काउंटी हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था, जब वह एक प्राइवेट जेट में नीता अंबानी के साथ यात्रा कर रहे थे. उन्हें येल यूनिवर्सिटी ने व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. प्रोग्राम में 3 घंटे देरी से पहुंचने पर शाहरुख ने अमेरिकी प्रणाली पर अपने अनोखे अंदाज़ से कटाक्ष किया था.
उन्होंने यूनिवर्सिटी में छात्रों के समक्ष अपने संबोधन में कहा था, ‘‘जब भी मैं अपने बारे में बहुत अहंकारी महसूस करना शुरू करता हूं, तो मैं हमेशा अमेरिका की यात्रा करता हूं. इमिग्रेशन वाले स्टार को स्टारडम से बाहर निकाल देते हैं. वे हमेशा मुझसे पूछते हैं कि मैं कितना लंबा हूं और मैं हमेशा झूठ बोलता हूं और कहता हूं कि 5 फीट 10 इंच. अगली बार तो, मैं और अधिक साहसी होने जा रहा हूं. (अगर वे मुझसे पूछेंगे) आप किस रंग के हैं, मैं सफेद कहने जा रहा हूं.’’
हालांकि, उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में ट्वीट किया था, ‘‘इंतज़ार करते हुए मैंने कुछ बहुत अच्छे पोकेमॉन पकड़े.’’ लेकिन बाद में उन्होंने ये ट्वीट हटा लिया था.
खान के साथ हुई इन घटनाओं के कारण काफी प्रदर्शन भी हुए थे, मगर स्टार ने इन सभी बातों को हास्यास्पद करार दिया.
अगस्त 2016 में आखिरी बार शाहरुख को लॉस एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था. उस समय कथित तौर पर अमेरिकी आतंकवादी निगरानी सूची में से एक के साथ उनका नाम मैच होने के कारण उन्हें रोका गया था.
भारतीय दूतावास द्वारा अमेरिकी विदेश विभाग और होमलैंड सुरक्षा विभाग के साथ मामला उठाए जाने के बाद स्टार को जाने दिया गया.
उस समय शाहरुख ने ट्वीट किया था, ‘‘दुनिया जिस तरह से है, मैं सुरक्षा को पूरी तरह से समझता हूं और उसका सम्मान करता हूं, लेकिन हर बार अमेरिकी इमिग्रेशन में हिरासत में लिया जाना सच में बेकार है.’’
सात साल में यह तीसरा मौका था जब उन्हें अमेरिका में इस तरह की जांच का सामना करना पड़ा था.
अमेरिकी विदेश विभाग ने इस घटना के बारे में माफी मांगी और स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि पूछताछ एक ऐसी चीज़ है जिसे ‘अमेरिकी राजनयिकों’ को भी भुगतना पड़ता है.
उस समय भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने एयरपोर्ट पर हुई असुविधा के लिए शाहरुख खान से माफी मांगी थी.
फरवरी, 2016 में सीएनएन के फरीद जकारिया को दिए एक इंटरव्यू में खान ने अप्रैल 2012 की घटना के बारे में कहा था, ‘‘अगर भारत में ऐसी स्थिति की मांग होती है तो जो आवाज़ें उठेंगी उनमें वो पहला शख्स मैं बनूंगा, जो इसकी मांग करेगा. यह बहुत बेकार है, कहीं उतरना और बिना किसी कारण के 2-3 घंटों के लिए हवाई अड्डे पर फंस जाना. इसे एक बड़े संदर्भ में देखना होगा, यह समय का संकेत है. दुनिया ऐसी ही है…आप लोगों के खिलाफ द्वेष नहीं रख सकते. हमें इसके साथ रहना होगा और कुछ चीज़ों के लिए तैयार रहना होगा.’’
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बाद में यह सामने आया कि खान को कर्नाटक में जन्मे इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक रियाज भटकल, जो इंटरपोल की मोस्ट वांटेड सूची में था, के नाम से मैच के कारण रोका गया था.
रिपोर्टों से पता चलता है कि भटकल ने ‘शाहरुख खान’ के नाम से खुद एक नकली पासपोर्ट बनवाया, जिसने नाम को ब्लैकलिस्ट कर दिया और बॉलीवुड स्टार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. उस समय आतंकवादी सर्च करने पर शाहरुख की तस्वीरें वायरल हुईं थी, जिन्हें बाद में सही किया गया.
अभिनेता ने खुद बताया था कि उनका हमनाम, जो अमेरिका में लुकआउट सूची में था, मिल गया है और इसलिए वह अब स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा था, ‘‘अब मुझे बताया गया है कि उस सज्जन का पता चला है. वे उस सूची से बाहर है, इसलिए मैं सूची से बाहर हूं. मैं अमेरिका में बहुत स्वतंत्र रूप से आ रहा हूं और जा रहा हूं. मैं अपने बच्चों के लिए कुछ विश्वविद्यालयों की तलाश कर रहा हूं. मैं एक विजिट पर आया था और यहां सब ठीक था.’’
आम आदमी की दुनिया से परे बी-टाऊन की चका-चौंध में रहने वाले खान ने ‘‘बीइंग ए खान’’ शीर्षक से नस्लीय भेदभाव के साथ अपने प्रयास के बारे में एक लेख भी लिखा था.
उन्होंने इसमें कहा था, ‘‘रूढ़िवादिता और प्रासंगिकता उस दुनिया का तरीका है जिसमें हम रहते हैं: एक ऐसी दुनिया जिसमें परिभाषा सुरक्षा के लिए केंद्रीय हो गई है. हम सीमित मात्रा में ज्ञान और ज्ञात मापदंडों के साथ- घटनाओं, वस्तुओं और लोगों को परिभाषित करते हैं. पूर्वानुमेयता जो स्वाभाविक रूप से इन परिभाषाओं से उत्पन्न होता है जो हमें अपनी सीमाओं के भीतर सुरक्षित महसूस कराता है.’’
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