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Saturday, 21 December, 2024
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सेक्स वर्कर्स को अब एड्रेस प्रूफ के बिना ही मिलेगा आधार कार्ड, UIDAI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

यूआईडीएआई ने तय किया है कि अब यौनकर्मियों से एड्रेस प्रूफ नहीं मांगा जाएगा और इसकी जगह पर नाको के राजपत्रित अधिकारी या राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी प्रमाणपत्र को स्वीकार किया जाएगा.

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नई दिल्ली: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अब सेक्स वर्कर्स से आधार कार्ड के लिए एड्रेस प्रूफ मांगने पर जोर नहीं दिया जाएगा, इसकी जगह राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) का प्रमाणपत्र स्वीकार्य होगा.

यूआईडीएआई एक वैधानिक प्राधिकरण है जो आवेदक के नाम, लिंग, आयु और पते के अनिवार्य डेटा के साथ-साथ वैकल्पिक डेटा जैसे ईमेल या मोबाइल नंबर आदि का ब्यौरा जुटाने के बाद आधार कार्ड जारी करता है.

हालांकि, यौनकर्मियों के मामले में यूआईडीएआई ने तय किया है कि वह उनसे एड्रेस प्रूफ मांगने पर जोर नहीं देगा, इसकी जगह वह प्रमाणपत्र ही स्वीकार कर लिया जाएगा जो नाको के गजटेड ऑफिसर या राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किया गया होगा.

नाको केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एक विभाग है, और यौनकर्मियों पर केंद्रीय डेटाबेस का प्रबंधन संभालता है.

यूआईडीएआई ने सोमवार को प्रमाणपत्र का एक प्रस्तावित खाका उस समय शीर्ष कोर्ट के समक्ष रखा, जब जस्टिस एल.एन. राव की अध्यक्षता वाली बेंच देशभर में यौनकर्मियों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ सुनिश्चित करने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सामाजिक सुरक्षा योजना के लाभ के तहत उन लोगों के पुनर्वास की योजना तैयार करना भी शामिल है जो देह व्यापार से निकलना चाहते हैं.

शीर्ष कोर्ट 2011 से ही इस मामले की मॉनिटरिंग कर रही है.

यूआईडीएआई ने यह हलफनामा कोर्ट के 10 जनवरी के आदेश के जवाब में दाखिल किया है, जिसमें प्राधिकरण से यह पता लगाने को कहा गया था कि क्या नाको के पास मौजूद जानकारियों को यौनकर्मियों के निवास प्रमाणपत्र के तौर पर स्वीकारा जा सकता और क्या उसके आधार पर उन्हें आधार नंबर दिया जा सकता है.


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सुप्रीम कोर्ट में क्या दी गईं दलीलें

जनवरी में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण और पीयूष के. रॉय—जो इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे हैं—ने कोर्ट का ध्यान महामारी के दौरान सेक्स वर्कर्स के समक्ष पेश आने वाली दिक्कतों की ओर आकृष्ट किया. उन्होंने बताया कि कैसे कोर्ट द्वारा सूखा राशन मुहैया कराने के लिए राज्यों को निर्देश दिए जाने के बावजूद इन्हें मुश्किलें उठानी पड़ीं.

भूषण और रॉय ने कोर्ट से ये सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि कोविड-19 के मामलों में गिरावट के साथ यौनकर्मियों को सूखा राशन मुहैया कराना बंद न हो. दोनों ने अदालत को यह भी बताया कि आधार नामांकन की कोशिश करते समय यौनकर्मियों के सामने कैसी कठिनाइयां पेश आती हैं. उन्होंने बताया कि आधार फॉर्म भरने के लिए एड्रेस प्रूफ की जरूरत पड़ती है और सेक्स वर्कर इसे पेश नहीं कर पाते हैं.

समाधान के तौर पर दोनों वकीलों ने सुझाव दिया कि आधार कार्ड जारी करने के लिए यौनकर्मियों पर नाको की तरफ से तैयार की गई सूची को आधार माना जा सकता है.

यूआईडीएआई सहमत

इस सुझाव को स्वीकार करते हुए यूआईडीएआई ने सोमवार को अपने हलफनामे में कहा कि नाको के अधिकारी या राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र को आधार संख्या बनाने के लिए पहचान के औपचारिक प्रमाण या एड्रेस प्रूफ के दस्तावेज के विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जाएगा.

एजेंसी ने अपने हलफनामे में कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त प्रक्रिया का पालन करते हुए निवास संबंधी किसी औपचारिक प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी और आधार नामांकन के उद्देश्य से किसी औपचारिक एड्रेस प्रूफ की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है.’

इस बीच, गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के दबाव में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने यौनकर्मियों को मतदाता पहचानपत्र और राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

14 दिसंबर 2021 को सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि राज्य सभी यौनकर्मियों को राशन कार्ड और मतदाता पहचानपत्र जारी करने के उसके 2011 के आदेश का पालन करने में नाकाम रहे हैं.

आदेश में कहा गया, ‘गरिमा के साथ जीना एक मौलिक अधिकार है जो इस देश के प्रत्येक नागरिक को उसकी पहचान/उसके व्यवसाय पर ध्यान दिए बिना हासिल है. इस देश के सभी नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना सरकार के लिए एक बाध्यकारी कर्तव्य है.’

कोर्ट ने कहा था, ‘राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया जाता है कि नाको द्वारा तैयार सूची में शामिल सेक्स वर्कर्स को राशन कार्ड/मतदाता पहचानपत्र जारी करने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करें.’

कोर्ट में सोमवार को पेश की गई ताजा स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने अपने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे सभी यौनकर्मियों को चुनाव पहचान पत्र मिलना सुनिश्चित करें.

हरियाणा ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से कहा है कि वह यौनकर्मियों को मतदाता पहचान पत्र जारी करने के साथ-साथ सूखा राशन बांटे जाने से जुड़े अधिकारियों की हरसंभव सहायता करें. केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी ने भी इस दिशा में कुछ उपाय किए हैं, लेकिन महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की तरफ से कोर्ट को इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी गई है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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