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बुधवार, 16 अप्रैल, 2025
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धर्म से अलग लेकिन नुकसान में एकजुट, मुर्शिदाबाद में वक्फ विरोध प्रदर्शन के बाद दो परिवारों की स्थिति

जाफराबाद में ज़्यादातर दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल और कॉलेज बंद हैं. स्थानीय निवासी मीडिया और पुलिस के उनके इलाके से चले जाने के बाद फिर से हमलों की आशंका से चिंतित और भयभीत हैं.

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मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ अधिनियम के खिलाफ हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों के केंद्र शमशेरगंज के जाफराबाद इलाके की सड़कों पर पिछले शुक्रवार और शनिवार को हुई हिंसा के निशान नहीं दिखते.

नगरपालिका के कर्मचारी ईंटों, टूटे हुए शीशों और जले वाहनों को हटाने के लिए तेज़ी से आगे बढ़े. प्रशासन ने 11 अप्रैल को गंगा के उपजाऊ मैदानों के किनारे बसे इस जिले को आगजनी के कगार पर पहुंचाने वाले सारे निशान मिटा दिए.

लेकिन एक घर पर अभी भी निशान मौजूद थे. 70-वर्षीय हरगोविंद दास और उनके बेटे 40-वर्षीय चंदन दास का लूटा गया दो मंजिला मकान जाफराबाद शहर में फैली उन्माद की भयावह गवाही देता है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 93 प्रतिशत से अधिक है.

हरगोविंद की विधवा पारुल दास ने बताया, “शनिवार सुबह 10 बजे से करीब दो घंटे तक वह सामने के गेट और दरवाजे पर धमाका करते रहे. पूरे इलाके में उत्पात मचाते रहे. आखिरकार, उन्होंने इसे तोड़ दिया. मेरे पति और बेटे ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्हें घसीटकर बाहर निकाला गया और उनकी हत्या कर दी गई.”

घर के मैन गेट और आंगन में ईंटों, फर्नीचर और बर्तनों के टूटे हुए टुकड़े बिखरे हैं. दास के घर के ठीक बगल में एक पड़ोसी की रसोई जलकर राख हो गई है.

भीड़ कहां से आई, यह अभी मालूम नहीं है. राजमिस्त्री का काम करने वाले हरगोविंद के दामाद विश्वजीत दास ने कहा, “हमें नहीं पता. वह इस छोटी सी हिंदू बस्ती के आसपास के मुस्लिम इलाकों से आए होंगे, उनके चेहरे ढके हुए थे. हम बस उनकी आंखें देख पाए.”

दस किलोमीटर दूर, काशिमनगर में, जो मुख्य रूप से मुस्लिम इलाका है, एक और परिवार एक मौत का शोक मना रहा है — वह भी हिंसक और अस्पष्ट.

एज़ाज़ अहमद की मां, पत्नी और बेटी, जिनकी उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह अपने मामा के घर से लौट रहे थे | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
एज़ाज़ अहमद की मां, पत्नी और बेटी, जिनकी उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह अपने मामा के घर से लौट रहे थे | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

21-वर्षीय एज़ाज़ अहमद को उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने परिवार का एकमात्र कमाने वाला बताया. उनकी युवा पत्नी सलमा खातून खामोश बैठी हैं. उनकी मां साइमा बीबी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि उनका बेटा — जो एक दिन बाद ही चेन्नई के एक होटल में काम पर वापस जाने वाला था — कैसे निशाना बन सकता है.

मां ने कहा, “वह शुक्रवार को अपने मामा के घर से लौट रहा था. हमें बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर शजूर मोड़ पर राजमार्ग जंक्शन के पास एक वाहन से बाहर निकलते ही उसे गोली मार दी गई. अस्पताल में, मरने से पहले उसने मुझे बताया कि गोली पुलिस ने चलाई थी.”

साइमा बीबी ने जल्दी से यह भी कहा कि एज़ाज़ और काशिमनगर के अन्य लोग स्थानीय मस्जिद के इमाम के निर्देशों का पालन करते हुए वक्फ विरोध प्रदर्शन से दूर रहे, जिन्होंने सड़कों पर उतरने से पहले प्रशासनिक मंजूरी का इंतज़ार करने की सलाह दी थी.

परिवार को न तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली है और न ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है.

21-वर्षीय एज़ाज़ अहमद के परिवार के सदस्य मोबाइल पर उनकी तस्वीर दिखाते हुए. एज़ाज़ अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
21-वर्षीय एज़ाज़ अहमद के परिवार के सदस्य मोबाइल पर उनकी तस्वीर दिखाते हुए. एज़ाज़ अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

दूरी और धर्म से अलग, दोनों परिवार अब कई अनसुलझे सवालों से जूझ रहे हैं. उनके अपनों का कत्ल किसने किया? उन्हें क्यों निशाना बनाया गया? और प्रशासन इस खून-खराबे का अनुमान लगाने या उसे रोकने में विफल क्यों था?

जाफराबाद में, हरगोविंद और चंदन दास के पड़ोसी इस बात पर जोर देते हैं कि बकरियों के गर्भाधान का कारोबार चलाने वाले पिता और बेटे का कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं था.

विश्वजीत ने कहा, “हम ऐसे परिवार से हैं जिनका राजनीति में बस मतदान से ही संबंध है. हां, मेरे ससुर (हरगोविंद) एक बार वामपंथी दलों में सक्रिय थे जब वह सत्ता में थे, लेकिन उनके हारने के बाद, उन्होंने कभी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं लिया.”

दास के घर के अंदर, कांग्रेस के प्रतीक वाली एक सफेद टोपी बिना प्लास्टर वाली दीवार पर जंग लगे हुक से लटकी हुई है. इसे देखते ही, विश्वजीत किसी भी तरह की धारणा को खारिज कर देते हैं.

सफेद कफन में चुपचाप पास में खड़े चंदन के बेटे आकाश और कुशाल की ओर देखते हुए, जो पांचवीं और आठवीं क्लास में पढ़ते हैं, विश्वजीत ने कहा, “बच्चों में से किसी ने इसे कहीं से उठाया होगा. छोटा बेटा बार-बार बेहोश हो रहा है. वह पिछले दो दिनों की घटनाओं को समझ नहीं पा रहा है.”

मुर्शिदाबाद के जाफराबाद में हुई हिंसा में दास परिवार ने अपने दो पुरुष सदस्यों को खो दिया | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
मुर्शिदाबाद के जाफराबाद में हुई हिंसा में दास परिवार ने अपने दो पुरुष सदस्यों को खो दिया | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

जबकि पश्चिम बंगाल पुलिस, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों के साथ सड़कों पर गश्त कर रही है, इलाका अभी भी तनावग्रस्त है. रविवार को दिप्रिंट की टीम ने जाफराबाद में जो कुछ घंटे बिताए, उस दौरान दो बार सुरक्षा बलों ने दास परिवार से सटी गलियों में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गश्त लगाई.

ज़्यादातर दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल और कॉलेज बंद हैं. स्थानीय लोग नए हमलों को लेकर चिंतित और भयभीत हैं. स्थानीय निवासी गोपाल दास ने पूछा, “हम इस तरह कैसे रहेंगे? कई परिवार इलाके को छोड़कर दूसरे जिलों में रिश्तेदारों के यहां या अस्थायी कैंप में शरण ले चुके हैं, जब सुरक्षा बल और मीडिया चले जाएंगे, तो हमारा क्या होगा?”

वीकेंड में, हिंसा प्रभावित क्षेत्र से लगभग 400 लोग भाग गए और पड़ोसी मालदा जिले के एक सरकारी स्कूल में शरण ली. अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) जावेद शमीम ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि मुर्शिदाबाद और मालदा जिला प्रशासन की कोशिशों के बाद करीब 19 परिवार अपने घरों को लौट आए हैं.

ताज़ा हिंसा की अफवाहों के तेज़ी से फैलने के बीच शमीम ने निवासियों से घबराने से पहले सूचना की पुष्टि करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “अगर हमें शांति बनाए रखनी है तो अफवाहों का प्रसार बंद होना चाहिए.”

प्रशासन लोगों को गलत सूचनाओं का शिकार न होने की सलाह देने के लिए लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल कर रहा है. अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए जिले के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं.

मुर्शिदाबाद के शजूर मोड़ पर सुरक्षाकर्मी यात्रियों की जांच कर रहे हैं | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
मुर्शिदाबाद के शजूर मोड़ पर सुरक्षाकर्मी यात्रियों की जांच कर रहे हैं | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

काशिमनगर में निवासियों का आरोप है कि पुलिस शुक्रवार से ही संदिग्धों को पकड़ने के नाम पर इलाके के युवकों को परेशान कर रही है. स्थानीय युवक अब्दुल्ला ने कहा, “वह आधी रात को दरवाज़ा खटखटाते हैं. इलाके के परिवारों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता है. वह सड़क पर खड़ी मोटरसाइकिलों को नुकसान पहुंचाते हैं, यहां तक ​​कि सीसीटीवी भी तोड़ देते हैं और युवकों को बेतरतीब ढंग से उठा लिया जाता है. हम लगातार दहशत में जी रहे हैं.”

पुलिस सूत्रों के अनुसार, रविवार तक हिंसा के सिलसिले में 210 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं.

रविवार को अतिरिक्त महानिदेशक (पूर्व) रवि गांधी के नेतृत्व में बीएसएफ के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल ने मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. गांधी ने संवाददाताओं से कहा, “हमने पीड़ितों से बात की और उन्हें उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाया. हमने स्थानीय लोगों और वहां तैनात हमारे जवानों से बातचीत की. स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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