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Friday, 22 November, 2024
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‘भारी कमी’ को पूरा करने के लिए ज्यादा IPS अधिकारियों को केंद्र में भेजें राज्य: मोदी सरकार

22 फरवरी को लिखे एक पत्र में गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि केंद्र में अधिकारियों की ‘भारी कमी’ से काडर प्रबंधन की गंभीर समस्या पैदा हो रही है.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने इस समस्या का संज्ञान लिया है कि राज्य भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों को केंद्रीय डेपुटेशन के लिए नहीं छोड़ रहे हैं और उसने मुख्य सचिवों को ‘व्यक्तिगत रूप से’, इस मामले को देखने के लिए कहा है.

22 फरवरी को लिखे एक पत्र में गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि केंद्र में अधिकारियों की ‘भारी कमी’ से काडर प्रबंधन की गंभीर समस्या पैदा हो रही है.

इस पत्र में जिसे दिप्रिंट ने देखा है, कहा गया है, ‘आपका ध्यान राज्य/काडर से आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय डेपुटेशन पर नियुक्तियों से संबंधित, इस मंत्रालय के कई पत्रों की ओर आकर्षित किया जाता है’.

पत्र में कहा गया है, ‘राज्यों/काडर्स से हर वर्ष केंद्रीय डेपुटेशन पर, आईपीएस अधिकारियों की पर्याप्त नियुक्तियां नहीं हुई हैं, जिससे विभिन्न केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीएपीएफ) में पुलिस अधीक्षक से लेकर महानिदेशक तक, विभिन्न स्तरों पर रिक्तियों को भरा जा सके’.

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आए आईपीएस अधिकारियों को आमतौर पर सीएपीएफ में तैनात किया जाता है, जैसे केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल आदि. इसके अलावा उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और इंटेलिजेंस ब्यूरो जैसे, केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओज़) में भी तैनात किया जाता है.

पत्र में कहा गया है कि ‘हर काडर में 40 प्रतिशत सीनियर ड्यूटी पद, सेंट्रल डेपुटेशन रिज़र्व (सीडीआर) पदों के तौर पर चिन्हित होते हैं’.

सीडीआर कोटा तमाम राज्य काडर्स के अधिकारियों की अधिकतम संख्या होती है, जिनकी केंद्रीय स्तर पर प्रतिनियुक्ति की जा सकती है.

2019 में केंद्रीय डेपुटेशन के लिए आईपीएस अधिकारियों की कमी के चलते सरकार ने केंद्रीय स्तर पर उनके लिए आरक्षित पदों में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी थी.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिसंबर 2019 में जारी एक पत्र के अनुसार, केंद्रीय डेपुटेशन पर आए आईपीएस अधिकारियों की संख्या केवल 428 थी, जबकि उनकी अधिकृत संख्या 1,075 या सीडीआर पदों का 39.81 प्रतिशत थी.

उसी पत्र में, मंत्रालय ने राज्यों को सूचित किया था कि केंद्र सरकार आईपीएस अधिकारियों का सीडीआर कोटा 1,075 से घटाकर करीब 500 कर रही है.

लेकिन, केंद्र सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस मामले में राज्यों से इनपुट्स लंबित होने की वजह से, ये काम अभी नहीं किया गया है. सूत्रों के अनुसार, सूबे अपने अधिकारियों को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने के अनिच्छुक रहे हैं, चूंकि राज्य-स्तर पर भी आईपीएस अधिकारियों की भारी संख्या में रिक्तियां हैं.

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से राज्य सभा में दिए गए एक लिखित जवाब के अनुसार, देश भर में कुल मिलाकर आईपीएस के 4,940 पद हैं, जिनमें से 2018 तक 970 यानि 19.64 प्रतिशत पद रिक्त थे.


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‘एक सचेत प्रयास’

फरवरी के अपने पत्र में भल्ला, सीनियर ड्यूटी पदों के लिए 40 प्रतिशत सीडीआर कोटा के बारे में लिखते हैं और आगे कहते हैं, ‘लेकिन, अनुभव ये रहा है कि कुछ राज्यों से मिली ऑफर लिस्ट में सीडीआर उपयोग के लिए नामों की संख्या पर्याप्त नहीं होती, जिनसे सीएपीएफ तथा सीपीओज़ में आईपीएस अधिकारियों के लिए आरक्षित पदों को भरा जा सके’.

भल्ला ने राज्यों से आग्रह किया है कि ‘एक सचेत प्रयास’ करते हुए डेपुटेशन के लिए अधिकारियों के नाम आगे बढ़ाएं, जिससे कि ‘हर पात्र अधिकारी को केंद्र में अलग-अलग स्तरों पर सेवा करने का अवसर मिले’.

उनका कहना है कि खासकर डीआईजी और एसपी स्तर पर ये समस्या ज़्यादा विकट है, जिसकी वजह से ‘केंद्र में अधिकारियों की तैनाती में काफी देरी होती है और चयन, डेपुटेशन, तथा काडर प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ता है’.

पत्र के समापन में कहा गया है, ‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखें, जिससे पर्याप्त संख्या में आईपीएस अधिकारियों के नाम केंद्रीय डेपुटेशन के लिए भेजे जा सकें, ताकि विभिन्न स्तरों पर रिक्तियों को भरा जा सके, जिनमें पुलिस अधीक्षक से लेकर महानिदेशक तक के पद शामिल हैं’.

आईपीएस अधिकारियों की कमी के बारे में सरकार का ये पत्र ऐसे समय आया है, जब सीएपीएफ के शीर्ष पदों पर आईपीएस डेपुटेशन के मामले में एक गतिरोध बना हुआ है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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