बेंगलुरू: युवराज स्वामी का काम करने का तरीक़ा बेंगलुरू क्राइम ब्रांच पुलिस अधिकारियों के अनुसार बिल्कुल सरल था.
संत से ठग बना व्यक्ति, जिसे बेंगलुरू पुलिस ने पिछले दिसंबर में गिरफ्तार किया, वीवीआईपी आयोजनों, हवाई अड्डों, और बीजेपी नेताओं के घरों में दोस्ती गांठता था और उन्हें यक़ीन दिला देता था कि वो दिल्ली में पार्टी आलाकमान का क़रीबी है.
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने, जो युवराज को गिरफ्तार करने की मुहिम का हिस्सा थे, दिप्रिंट को बताया कि अपनी बातचीत के दौरान ये ठग, बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं के नामों का ज़िक्र करता था और फिर अपने फोन से इन ‘संपर्कों’ को कॉल करने का नाटक करता था.
अधिकारी ने कहा, ‘वो इतनी चिकनी-चुपड़ी बातें करता है कि कुछ समय के बाद आदमी उस पर यक़ीन कर लेता है. अपनी लच्छेदार बातों से उसने इतने सारे लोगों को अपने जाल में फंसा लिया’.
उसकी बातें इतनी विश्वसनीय लगती थीं कि बीजेपी के एक राज्यसभा सांसद, जो दूसरा कार्यकाल चाह रहे थे, उसके झांसे में आ गए.
पुलिस का कहना है कि वो उस धोखेबाज़ तक तब पहुंची, जब सांसद को, जिसका नाम बताने से उन्होंने मना कर दिया, 20 करोड़ रुपए का चूना लग गया, जो संसद में एक और कार्यकाल पाने के लिए, पिछले साल युवराज को दिए गए थे. उसके बाद से सांसद का संसदीय कार्यकाल ख़त्म हो गया है.
और वो अकेले हाई-प्रोफाइल पीड़ित नहीं हैं. युवराज पर राजनेताओं, व्यवसाइयों और अदाकारों के साथ धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें वो प्रतिष्ठित राजनीतिक पदों, तबादलों और फिल्म अनुबंधों का झांसा देता था. कुल मिलाकर पुलिस ने इस जालसाज़ के खिलाफ धोखाधड़ी के 14 मामले दर्ज किए हैं.
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शातिर अपराधी
आरएसएस से संबद्धता के दावे और शाखाओं की काम-चलाऊ जानकारी से लैस युवराज ने भगवा वस्त्रों को त्यागकर सफेद क़मीज़ और धोती पहननी शुरू कर दी और माथे पर सिंदूरी रंग लगाने लगा.
ऊपर हवाला दिए गए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वो बीजेपी के बड़े नेताओं से मिलता-जुलता था और ऐसी भविष्यवाणियां करता था, जो वो सुनना चाहते थे.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने समझाया, ‘उसने ये भविष्यवाणी भी की थी कि येदियुरप्पा 2006 में सीएम बनेंगे. इस भविष्यवाणी ने सियासी हलक़ों के दिल के तारों को छू लिया’.
कुछ सालों में उसका प्रभाव इतना बढ़ गया कि जल्द ही बेंगलुरू के नागरभवी में उसके घर के बाहर राजनेताओं और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की लाइनें लगने लगीं. वो ऐसा ज्योतिषी बन गया, जिसके पास अपनी क़िस्मत बनाने के लिए, बहुत से लोग आने लगे.
बीजेपी के महत्वपूर्ण आयोजनों के दौरान भी, जहां अन्य नेताओं के अलावा, गृहमंत्री अमित शाह और सुषमा स्वराज जैसी बड़ी हस्तियां मौजूद होती थीं, वो उनके साथ होता था और उनके साथ खुलकर बातचीत करता था. उसकी गिरफ्तारी के बाद से, शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ उसके फोटो सोशल मीडिया पर ख़ूब चल रहे हैं.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान युवराज ने दावा किया कि आरएसएस और बीजेपी के साथ उसके क़रीबी रिश्ते थे, विशेषकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के साथ.
यही वो संबंध हैं जिनकी वजह से, विपक्षी कांग्रेस इस मामले में पुलिस जांच को संदेह की दृष्टि से देखती है.
कर्नाटक कांग्रेस प्रवक्ता वाईबी श्रीवत्स ने कहा, ‘ये व्यक्ति स्पष्ट रूप से बीजेपी और आरएसएस के नेताओं के साथ निकटता रखता है. उनके नाम का इस्तेमाल करके, इसने लोगों से करोड़ों रुपए ठगे हैं’. प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार, इस डर से उसे बचा रही है कि वो इनकी नापाक हरकतों को बेनक़ाब कर देगा. कुछ बीजेपी नेता अपने अंदरूनी हिसाब चुकता करने के लिए उसका इस्तेमाल कर रहे हैं’.
लेकिन, कर्नाटक बीजेपी महासचिव रवि कुमार ने कहा कि युवराज का मौजूदा सरकार के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाना, इस बात को दर्शाता है कि पार्टी किसी को बचा नहीं रही है.
उन्होंने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति जो अवैध हरकतों में लिप्त है, बख़्शा नहीं जाएगा, भले ही वो दावा करे कि ये पार्टी गतिविधियों का हिस्सा था’.
लोगों से 150 करोड़ रुपए ठगे
युवराज की तलाश तब शुरू हुई जब सांसद और शिक्षाविद ने शिकायत दर्ज कराई कि उसने इस जालसाज़ को राज्यसभा सीट का कार्यकाल बढ़ाने के लिए 20 करोड़ रुपए दिए थे.
एक पुलिस सूत्र के अनुसार, कुछ मुलाक़ातों के बाद सांसद की समझ में आ गया कि वादे पूरे नहीं हो रहे हैं और उसने अपना पैसा वापस मांग लिया. जब उनकी टीम पैसा मांगने के लिए युवराज के घर पहुंची, तो उसने कथित रूप से उन्हें गालियां दीं और सांसद की अपराधिक गतिविधियों को बेनक़ाब करने की धमकी दी’.
इससे राजनेता को मजबूरन पुलिस के पास जाना पड़ा.
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब जांच-पड़ताल शुरू हुई तो और मामले सामने आने लगे.
संत से घोटालेबाज़ बने इस व्यक्ति ने कर्नाटक हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज बीएस इंद्रकला को कथित रूप से एक प्रमुख पद दिलाने का झांसा देकर 2018 में उनसे 8.27 करोड़ रुपए वसूल लिए. कथित रूप से वो इंद्रकला को वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से मिलाने दिल्ली ले गया और इस तरह उनका भरोसा जीतकर उनसे पैसे झटक लिए.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, युवराज ने मैसूर स्थित एक व्यवसायी गुरुराज रवि के साथ भी, कथित रूप से धोखाधड़ी करके, 97 करोड़ रुपए हड़प लिए.
पुलिस को अपनी शिकायत में रवि ने इल्ज़ाम लगाया है कि युवराज एक कॉमन मित्र के ज़रिए उनके पास आया और उन्हें बेंगलुरू इंटरनेशनल के पास एक विवादित प्रॉपर्टी में साथ मिलकर निवेश करने की पेशकश की, लेकिन पैसा ट्रांसफर किए जाने के बाद वो डील नहीं करा सका.
ये पैसा 2018 से 2020 के बीच दो वर्षों में ट्रांसफर किया गया और उसके बाद अभियुक्त कथित रूप से रवि से बचने लगा. यही वो समय था जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई.
16 दिसंबर को जब आख़िरकार, बेंगलुरू अपराध शाखा ने युवराज स्वामी को गिरफ्तार किया तो बेंगलुरू में उसके नागरभवी आवास से कथित रूप से 91 करोड़ रुपए के चेक्स बरामद किए गए.
पुलिस ने उसे एक मामले में पकड़ा, जो एक अन्य व्यवसायी ने दायर किया था, जिसमें उसने दावा किया था कि युवराज ने उसे कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम का अध्यक्ष बनवाने का वादा करके, उससे 1.5 करोड़ रुपए ठग लिए.
दिप्रिंट ने ज्वॉइंट कमिश्नर (क्राइम) संदीप पाटिल से संपर्क किया, जो युवराज की गिरफ्तारी में शामिल थे लेकिन उन्होंने टेक्स्ट या कॉल्स का जवाब नहीं दिया. उनका जवाब मिलने पर इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.
संत से बना घोटालेबाज़
युवराज, जो बंजारा समाज से ताल्लुक़ रखता है, अपनी कॉलेज शिक्षा ख़त्म करते ही एक धार्मिक संप्रदाय में शामिल हो गया.
चित्रदुर्ग ज़िले के देवरापुरादा हट्टी में जन्मा युवराज, मुरुगा मठ के सैकड़ों दूसरे शिष्यों में शामिल हो गया, जो वहां बासव दर्शन पढ़ रहे थे.
मुरुगा मठ के तत्कालीन प्रमुख, डॉ. शिवामूर्ति शरण स्वामी ने उसका अभिषेक किया और उसका नाम बदलकर स्वामी संगनाबासव रख दिया गया. 1997-98 में वो संप्रदाय के सेवालाल बंजारा गुरू पीठ का संत हो गया.
बंजारा समुदाय के वरिष्ठ नेता लिंगा नायक ने समझाया, ‘अपनी जवानी के दिनों में उसने बहुत मेहनत की और उसका ख़ास ध्यान साक्षरता पर था. उसने हॉस्टल्स बनवाए और बंजारा समाज के छात्रों के लिए लोन दिलवाए’. उन्होंने आगे कहा, ‘वो मुख्यमंत्रियों से मिलता था और समुदाय की सहायता के लिए अनुदान और विशेष भत्तों की मांग करता था’.
वर्ष 2000 के शुरू में, वरिष्ठ संत डॉ. शिवमूर्ति शरण को कथित रूप से, युवराज के भ्रष्ट आचरण की शिकायतें मिलने लगीं. युवराज को जबरन उसके पद से हटा दिया गया. उसके खिलाफ यौन हमलों के आरोप भी थे.
बाद में पुलिस ने 2004 में उसके खिलाफ, आठ मामले दर्ज किए जिनमें उस पर आरोप था कि संप्रदाय के ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे, एक डेंटल कॉलेज में सीटें दिलाने के नाम पर उसने छात्रों के साथ धोखाधड़ी की. ये कालेज श्री सेवालाल कालेज ऑफ डेंटल साइंसेज़ एंड हॉस्पिटल के नाम से पंजीकृत था.
बढ़ते क़र्ज़ और धोखाधड़ी के आरोप में, एक पुलिस केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी के डर से युवराज ने मठ और अपने भगवा वस्त्र, दोनों को छोड़ने का फैसला कर लिया.
उसके बाद युवराज के बारे में कुछ नहीं सुना गया और 2006 में वो फिर से सामने आया, जब बीजेपी ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करना शुरू किया.
इस तरह शुरू हुआ युवराज का राजनीतिक उदय, जब उसने ख़ुद को एक ज्योतिषी के तौर पर पेश किया और दलितों, ओबीसी तथा बंजारा समाज समेत अन्य छोटे वर्गों के बीच पैठ बनाने की, बीजेपी की कोशिशों का फायदा उठाया.
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