सुंदरगढ़: ओडिशा के कंधमाल स्थित जिला मुख्यालय अस्पताल में 19 वर्षीय मगदलिनी दिगंबर अपनी मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट और पर्चा पकड़े एक हेल्पडेस्क पर पहुंचती है, जिसमें ऊपर ‘बीजू स्वास्थ्य कल्याण’ लिखा है.
उनके साथ हॉस्टल की रूममेट 22 वर्षीय एस्टोरी मलिक भी हैं, जिनके हाथ में दवाओं का एक लिफाफा है. दोनों दर्द से बेहाल हैं और किसी भी तरह से थोड़ी राहत चाहती हैं. हेल्पडेस्क का अधिकारी उनके कागजात चेक करने लगता है और वो दोनों थोड़ी आश्वस्त दिखती हैं.
मगदलिनी और एस्टोरी कंधमाल जिले में फूलबनी स्थित सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्राएं हैं और अपने गृहनगर जी. उदयगिरि से लंबी यात्रा से बचने के लिए यहां छात्रावास में रहती हैं. उन्होंने कहा कि अचानक उठे दर्द ने उन्हें चिंता में डाल दिया था, खासकर इसलिए भी क्योंकि वे अपने घरों से दूर हैं. लेकिन जब उन्होंने पाया कि आसानी से इलाज की सुविधा मिल सकती है तो उन्हें बहुत राहत मिली.
मगदलिनी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे माता-पिता पहले तो काफी चिंतित हुए थे लेकिन अब ठीक हैं क्योंकि उन्हें पता चल गया है कि किसी डॉक्टर से मिलना, हमारे टेस्ट होना और आवश्यक दवाएं मिलना कितना आसान है. डॉक्टर बहुत ही अच्छे थे और उन्होंने बताया कि हमें कैसे इलाज कराना है.’ यही नहीं, नवीन पटनायक सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना, बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (बीएसकेवाई) के तहत डॉक्टर का परामर्श और दवाएं पूरी तरह से मुफ्त थीं.
हालांकि, बीएसकेवाई योजना का नाम मुख्यमंत्री के दिवंगत पिता बीजू पटनायक—जो खुद दो बार मुख्यमंत्री रहे थे—के नाम पर होना थोड़े विवाद की वजह भी बना था.
ओडिशा उन चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (अन्य दिल्ली, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं) में से एक है जिन्होंने गरीबों के लिए मोदी सरकार की स्वास्थ्य कवरेज योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) को लागू नहीं किया है.
सितंबर 2018 में जब आयुष्मान भारत योजना लॉन्च हुई थी तभी ओडिशा ने इसे लागू करने से मना कर दिया था, उसका दावा था कि लगभग एक माह पूर्व शुरू की गई उसकी अपनी योजना ज्यादा बेहतर है. पिछले कुछ वर्षों में, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री (और अब भाजपा अध्यक्ष) जेपी नड्डा और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तरह से आलोचना किए जाने के बावजूद अपने कदम पीछे खींचने से इनकार कर दिया है.
यह बताते हुए कि राज्य ने केंद्र सरकार की योजना लागू क्यों नहीं की, ओडिशा के स्वास्थ्य सेवा निदेशक बी.के. महापात्र ने कहा कि बीएसकेवाई राज्य के लोगों के ज्यादा अनुकूल है क्योंकि इसकी आयुष्मान भारत से बेहतर पहुंच है और इसके तहत अधिक बीमारियों को कवर किया गया है.
दिप्रिंट ने ओडिशा के कई शहरों और जिलों का दौरा किया—जिनमें पुरी, भुवनेश्वर, कंधमाल, कालाहांडी, बोलांगीर और सुंदरगढ़ शामिल हैं—और यह पाया कि हालांकि बीएसकेवाई से तमाम लाभार्थी जुड़े हैं, लेकिन इस सुविधा के पात्र लोगों का ऐसा वर्ग भी हैं जो अभी तक इसके बारे में जानता तक नहीं है.
राज्य सरकार वर्तमान में दूर-दराज के गांवों में भी स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड वितरित करके इन कमियों को दूर करने की कोशिश कर रही है.
ओडिशा में बीएसकेवाई को क्यों ‘श्रेष्ठ’ माना जा रहा
इंडिया टुडे की 2021 जनमत सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, नवीन पटनायक अपने राज्य में देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं. बीजू जनता दल (बीजद) के नेता ने ओडिशा के बाहर लो-प्रोफाइल बना रखा है, लेकिन राज्य में उनका कद बहुत बड़ा है.
दूरदराज के गांवों में भी पटनायक के पोस्टर नजर आते हैं, और सड़क पर लोगों के साथ अनौपचारिक बातचीत से पता चलता है कि उन्हें आम तौर पर काफी पसंद किया जाता है. बहुत से लोग कहते हैं कि वे सरकार की नीतियों के समर्थक हैं, जिनमें स्वास्थ्य योजना भी खास अहमियत रखती है.
स्वास्थ्य सेवा निदेशक बी.के. महापात्र के मुताबिक, बीजू स्वास्थ्य योजना सफल रही है क्योंकि इसे ओडिशा के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘बीएसकेवाई में लगभग 92 फीसदी आबादी को कवर किया गया है, जबकि आयुष्मान भारत की पहुंच 60 प्रतिशत तक ही है. आयुष्मान भारत के तहत कोई केवल भर्ती होने के दौरान ही सेवाओं का लाभ उठा सकता है, जबकि बीएसकेवाई के तहत इनपेशेंट और आउट पेशेंट दोनों को इलाज की सुविधा मिलती है.’
महापात्रा ने कहा, ‘आयुष्मान भारत के लिए पैकेज की सीमा 5 लाख रुपये प्रति वर्ष है, लेकिन ओडिशा में बीएसकेवाई के तहत कोई भी परिवार अपने घर की महिला सदस्यों के लिए दोगुना यानी 10 लाख रुपये तक के पैकेज का लाभ उठा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य हमारी आबादी को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देना और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को भारी-भरकम स्वास्थ्य खर्च के कारण गरीबी के दुष्चक्र में फंसने से बचाना है.’
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योजना में क्या-क्या कवर किया गया
ओडिशा में सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मरीज की आय या निवास की स्थिति पर गौर किए बगैर बीएसकेवाई के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करती हैं.
इसके अलावा, योजना के तहत उन परिवारों के लिए निजी अस्पतालों को भी सूचीबद्ध किया गया है जिनके पास बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड, अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) कार्ड है, या जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 50,000 रुपये और 60,000 रुपये से कम है.
प्रति परिवार 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवरेज दिया जाता है. इसके ऊपर, महिला सदस्यों वाले परिवारों को 5 लाख रुपये का अतिरिक्त कवरेज मिलता है, जिससे कुल कवरेज 10 लाख रुपये हो जाता है.
बीजू स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज के लिए 15,000 से अधिक बीमारियों/चोटों को कवर किया गया है, जिसमें जलने और छोटी-मोटी दुर्घटनाओं से लेकर तपेदिक और मलेरिया तक का इलाज शामिल हैं. डायलिसिस और कीमोथेरेपी जैसे लंबे समय तक चलने वाले इलाज भी योजना के दायरे में आते हैं.
वैसे तो मरीजों को अमूमन किसी निजी अस्पताल में इलाज के लिए सरकारी अस्पताल की तरफ से रेफर किए जाने की जरूरत होती है लेकिन आपात स्थिति और गंभीर स्थितियों जैसे दिल का दौरा, गंभीर शारीरिक चोट और कैंसर आदि में इसकी जरूरत नहीं हैं.
कोविड की जांच और उपचार—चाहे टेस्ट किया जाना हो या 30 दिन आईसीयू में रहना—सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह से मुफ्त है. सरकार ने राज्य भर के 88 निजी अस्पतालों को भी मुफ्त कोविड इलाज के लिए सूचीबद्ध किया है.
योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाएं और इलाज की सुविधा सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार ने जिला अस्पतालों से लेकर सामुदायिक क्लीनिकों तक सभी सरकारी अस्पतालों में अलग से बीएसकेवाई हेल्पडेस्क स्थापित की है, ताकि लोग इन सेवाओं के लाभ के बारे में उचित जानकारी हासिल कर सकें.
फूलबनी जिला अस्पताल में बीएसकेवाई हेल्प डेस्क संभाल रही भाग्यलक्ष्मी बारिक ने दिप्रिंट को बताया कि इस योजना के तहत हर दिन करीब 200-300 लोग मुफ्त इलाज की सुविधा उठा रहे हैं.
हालांकि, सभी जगह हेल्प डेस्क इतनी अच्छी तरह काम करती नजर नहीं आती हैं.
बलिगुडा (कंधमाल जिले) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीएसकेवाई लोगो वाली डेस्क पर कोई मौजूद नहीं था और दिप्रिंट ने जिन कर्मचारियों और मरीजों से संपर्क किया उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी नहीं थी. एक डॉक्टर ने कहा कि वह इस योजना के बारे में जानते हैं लेकिन किसी अन्य के पास इस सवाल का जवाब नहीं था.
पुरी जिले के पिपली में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीएसकेवाई हेल्प डेस्क पर कोई अधिकारी नहीं था, हालांकि कर्मचारियों और मरीजों ने कहा कि उन्हें पता है कि योजना क्या है, उन्हें एक सप्ताह पहले ही कार्ड मिले हैं.
ओडिशा सरकार अब देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले उड़िया लोगों को बीएसकेवाई सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य के बाहर करीब 200 निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध करने की योजना बना रही है. महापात्रा ने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रवासी श्रमिकों की विशाल आबादी भी इस योजना का लाभ उठा सके.’
क्या लोगों को वास्तव में योजना का लाभ मिल रहा?
15 अगस्त 2018 को योजना शुरू होने के बाद से राज्य में 69 लाख से अधिक परिवारों को बीएसकेवाई के तहत लाभार्थी के तौर पर पंजीकृत किया जा चुका है. अब लक्ष्य 96.5 लाख परिवारों को कवर करना है.
हालांकि, बीएसकेवाई लागू होने के तीन साल बाद भी अभी इसके बारे में जागरूकता, खासकर गांवों में, अभी उतनी ज्यादा नहीं है जितनी उम्मीद की जा रही थी.
ऐसी ही एक शख्स हैं स्विंदी साहू, जिन्होंने दिप्रिंट को बताया कि पिछले हफ्ते फूलबनी के जिला अस्पताल में बच्चे के जन्म के दौरान अस्पताल का सारा खर्च खुद ही उठाया. इसी तरह, दरिंगबाड़ी निवासी कुंजबती मलिक ने बताया कि उन्हें हाल ही में बुखार हुआ था और उन्हें एक डॉक्टर को दिखाने और दवाइयां लेने के लिए अपनी तरफ से भुगतान करना पड़ा. यह सब बीएसकेवाई के तहत कवर किया जा सकता था.
ऐसी समस्याएं दूर करने के लिए राज्य सरकार ने अक्टूबर में योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से बीजू स्वास्थ्य कल्याण स्मार्ट कार्ड लॉन्च किया.
अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव शुभानंद महापात्र ने दिप्रिंट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम/राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत पंजीकृत 96.5 लाख परिवारों को दो स्मार्ट कार्ड दिए जाएंगे जिनका इस्तेमाल हर सदस्य स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करने के लिए कर सकता है.
यह बताते हुए कि कार्ड कैसे काम करते हैं, उन्होंने कहा कि हर सदस्य का विवरण कार्ड और बीएसकेवाई ट्रांजेक्शन मैनजमेंट सिस्टम में स्टोर किया जाता है. पहली बार कार्ड का उपयोग करने पर उपयोगकर्ता ‘मान्य’ हो जाता है. इसके बाद कभी भी जरूरत पड़ने पर कार्ड का इस्तेमाल करके वे कैशलेस उपचार का लाभ उठा सकते हैं.
कालाहांडी के जिला मजिस्ट्रेट पराग हर्षद गवली ने दिप्रिंट को बताया कि बीजू स्वास्थ्य कार्ड का उद्देश्य लोगों को ‘सशक्त बनाना’ है. उन्होंने कहा, ‘यह उनके लिए एक एटीएम कार्ड की तरह है और अस्पतालों और राज्य के लिए रिकॉर्ड रखना भी आसान बनाता है.’
सभी जिलों में कार्ड बांटे जाने का काम जोर-शोर से चल रहा है, पंचायतें उन्हें कई दूरदराज के गांवों में लोगों को सौंप रही हैं. सुंदरगढ़ के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी सरोज कुमार मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि जिले में 4.3 लाख से अधिक स्मार्ट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, जबकि कंधमाल के जिला मजिस्ट्रेट ब्रुंधा डी. ने बताया कि उनके जिले में 1.7 लाख से अधिक कार्ड वितरित किए गए हैं.
कालाहांडी जिले का 26 वर्षीय किसान निर्तमा प्रधान, जिसे अभी एक सप्ताह पहले ही स्मार्ट कार्ड मिला है, काफी प्रसन्न है. प्रधान ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारे परिवार के पास कार्ड है और हम जानते हैं कि किसी के बीमार पड़ने पर ये हमारे लिए मददगार साबित होगा. तब सरकार मुफ्त में इलाज मुहैया कराएगी.’
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