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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोहनी में खरोच, उंगलियों और पीठ पर चोट के निशान, ‘अंकिता को नदी में जिंदा फेंका गया'- जांच में खुलासा

कोहनी में खरोच, उंगलियों और पीठ पर चोट के निशान, ‘अंकिता को नदी में जिंदा फेंका गया’- जांच में खुलासा

उत्तराखंड में गठित एसआईटी का कहना है कि पुलकित आर्य का कथित तौर पर 'हत्या' करने का 'मकसद' अंकिता पर 'मेहमानों के साथ यौन संबंध बनाने' के लिए दबाव डालने के अपने प्रयासों को छुपाना था, जिसके लिए अंकिता लगातार इंकार कर रही थी.

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ऋषिकेश: अंकिता भंडारी की कोहनी पर खरोंच थी. उसकी छोटी उंगली और रिंग फिंगर में मामूली चोटें थीं और उसकी पीठ पर एक गहरा चोट का निशान. 18 सितंबर की रात 9 से 9.40 बजे के बीच 19 साल की अंकिता की मौत हुई थी.

चिल्ला नहर के पास नदी का एक निचला पैरापेट – जहां वह रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी और उसे आखिरी बार रिसॉर्ट के तीन युवकों के साथ देखा गया था- इलाके के युवाओं के लिए एक आम हैंग-आउट की जगह है. लेकिन रात में यही सुनसान इलाका उसके लिए मौत का गढ़ बन गया.

उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि अंकिता को गहरी, मटमैली नदी में धकेल दिया गया था. उस समय वह जिंदा थी. उन्होंने कहा कि उसके शरीर पर लगे खरोंच और चोटों के निशान शायद गिरने की वजह से थे.

कथित हत्या के बाद उसके साथ रहने वाले तीन लोगों ने उसकी मौत को ‘गायब होने’ की सिलसिलेवार ढंग से कहानी गढ़ी. इसमें रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य (घटना के बाद भाजपा से निकाले गए नेता विनोद आर्य का बेटा) और उनके दो स्टाफ सदस्य सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता इसमें शामिल थे.

दो दिन बाद 20 सितंबर को मामले के मुख्य आरोपी आर्य गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के लिए राजस्व उप निरीक्षक के ऑफिस पहुंचे, जिनके अधिकार क्षेत्र में यह रिसॉर्ट क्षेत्र आता है. राजस्व उप निरीक्षक राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में पुलिस के रूप में भी दोहरी भूमिका निभाते हैं.

जैसे ही इस खबर के बारे में लोगों को पता चला, उनका गुस्सा फूट पड़ा. 24 सितंबर को तड़के 1.30 बजे एक बुलडोजर मौके पर पहुंचा और रिजॉर्ट की इमारत के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया. इसने ग्राउंड पर बने उस कमरे को चकनाचूर कर दिया, जहां अंकिता रहती थी. इससे महत्वपूर्ण सुरागों की जांच रुक गई. यह अभी भी साफ नहीं है कि बुलडोजिंग के आदेश किसने दिए. पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी विजय जोगदांडे ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

पुलिस ने कहा कि आर्य ने 19 सितंबर यानी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करने से एक दिन पहले कथित तौर पर अपना फोन पानी में फेंक दिया था ताकि पुलिस को कोई सबूत न मिल पाए. रिजॉर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे. कुल मिलाकर आरोपी ने मामले में मदद करने वाले सभी सबूतों को नष्ट कर दिया.

लेकिन हत्या के लगभग तीन हफ्ते बाद उत्तराखंड पुलिस ने गवाहों के साथ-साथ मैनुअल और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का ढेर इकट्ठा किया है. जो साफ-साफ आरोपियों के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाते दिख रहे थे. गुप्ता की उम्र 19 साल है, जबकि भास्कर और आर्य 30 के आस-पास के हैं.


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हत्या का मकसद

मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के पूछताछ अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को मिले सबूत बताते हैं कि तीन लोगों ने कथित हत्या को छिपाने के लिए सुनियोजित तरीके से कहानी गढ़ी थी.

पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी), एसआईटी का नेतृत्व कर रही पी रेणुका देवी ने दिप्रिंट को बताया, पौड़ी गढ़वाल के गंगा भोगपुर गांव में वनंत्रा रिसॉर्ट के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जो एक साल से ज्यादा समय से खराब पड़े हैं. लेकिन नदी के चारों ओर लगे कैमरों ने उस रात जो कुछ भी हुआ उसे कैप्चर कर लिया है.

पी रेणुका देवी, डीआईजी पुलिस, अंकिता भंडारी मर्डर केस की जांच करने वाली एसआईटी की हेड । क्रेडिटः प्रवीण जैन

रात करीब नौ बजे अंकिता, आर्य, भास्कर और गुप्ता दो बाइक पर सवार होकर चिल्ला नदी के पास नदी के एक छोटे से पुल कोडिया पुल पर पहुंचे. पुलिस के मुताबिक, इन तीनों ने अंकिता को अपने साथ ले जाने के लिए उसके साथ कोई जोर-जबरदस्ती की हो, उसके कोई संकेत नहीं मिले हैं. लेकिन रात 9.40 पर जब ये वहां से निकले तो सिर्फ तीन लोग थे. अंकिता उनके साथ नहीं थी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा, ‘बैराज फुटेज देखने के बाद अपराध के समय और स्थान के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता है. यह ऐसा सबूत है जिसे नकारा नहीं जा सकता है.’

फुटेज अंकिता के फोन रिकॉर्ड से भी मेल खाता है. पुलिस के अनुसार, अंकिता के फोन की आखिरी रिकॉर्डिंग नदी के पास की है.

लेकिन जिस जगह अंकिता को नदी में फेंका गया था, वह जगह कैमरे में साफ नजर नहीं आती है. और इसी आधार पर आर्य, भास्कर और गुप्ता बचने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने अंकिता को पानी में फेंक दिया था?

देवी ने बताया, ‘मामले की जांच चल रही है. पुलिस को बताई जाने वाली कहानी तैयार करने के लिए आरोपी के पास तीन दिन का समय था. हालांकि उनकी कहानियों में मामूली विरोधाभास हैं, लेकिन तीनों के नैरेटिव आपस में मेल खाते हैं.’

वह आगे कहती है, लेकिन हत्या का मकसद निर्धारित था.

आर्य कथित तौर पर अंकिता को वनंत्रा में आने वाले गेस्ट्स के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसने मना कर दिया. उसे चुप कराने का उसका मकसद कथित तौर पर यह सुनिश्चित करना था कि वह उसे बेनकाब न कर दे.

दिप्रिंट को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘कभी-कभी स्पा की आड़ में देह व्यापार चलाया जाता है. वह (पुलकित) अंकिता को इसमें शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा था. 17 सितंबर की अंकिता की चैट इस बारे में बताती नजर आती है. उसने इसे (अनुरोध) 17 तारीख को अस्वीकार कर दिया. 18 तारीख को वह परेशान हो गई और उसने अपने दोस्त से कहा कि वह यहां काम करना छोड़ देगी. 18 तारीख की शाम तक वह नहीं मानी तो उसने (आर्य) उसे चुप कराने की कोशिश की. क्योंकि उसे पता था कि उसका ये मकसद उसे वेश्यावृत्ति में धकेलने के आरोप में गिरफ्तारी का कारण भी बन सकता है.’

हालांकि रिसॉर्ट में किसी भी सीसीटीवी फुटेज के नहीं मिलने के कारण कोई यहां किसी भी तरह के विवाद का वैचारिक सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन अंकिता की प्राइवेट चैट के कुछ अंश, जो पहले मीडिया के एक वर्ग द्वारा रिपोर्ट की गए थे और रिसॉर्ट के कर्मचारियों के बयान बताते हैं कि आर्य के इस रिजोर्ट में क्या कुछ चल रहा था. राजस्व अधिकारी ने पुलिस के इस मामले को और मजबूत कर दिया. बयानों का विवरण अभी भी गुप्त रखा गया है.

वनंत्रा रिसॉर्ट के एक पूर्व कर्मचारी अभिनव ने दिप्रिंट को बताया कि 18 सितंबर की दोपहर को आर्य ने अंकिता के साथ मारपीट की थी.

उन्होंने कहा, ‘हमने ऊपर की मंजिल से देखा कि मैम (अंकिता) चिल्ला रही थी. पुलकित ने हमें ऊपर जाने के लिए कहा. वह रो रही थी और मदद के लिए चिल्ला रही थी, ‘मेरी मदद करो, मेरी मदद करो, मुझे यहां से जाने दो. मैं जाना चाहती हूं’, लेकिन पुलकित ने उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे के अंदर खींच लिया.’

अभिनव ने उन चार मेहमानों का भी जिक्र किया जो कुछ समय के लिए रिसॉर्ट में आए थे. लेकिन पुलिस अभी तक उन मेहमानों का पता नहीं लगा पाई है.

घटना के बाद की शुरुआती मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि आर्य कथित तौर पर वनंत्रा से वीआईपी के लिए एक बड़ा वेश्यावृत्ति और ड्रग्स रैकेट चला रहा था.

पुलिस का कहना है कि एक दिन के ये अकेला उदाहरण, यह दावा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि रिसॉर्ट वेश्यावृत्ति और विशेष मेहमानों के लिए ड्रग्स का केंद्र था.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ड्रग्स और वेश्यावृत्ति नेटवर्क से इंकार किया गया है क्योंकि वह क्षेत्र (पौड़ी गढ़वाल) इसके लिए नहीं जाना जाता है. और वैसे भी अभी तक इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि वहां ऐसा हो रहा था. बातचीत में उसने दबाव बनाए जाने की बात कही है, लेकिन वहां ड्रग्स का कोई जिक्र नहीं है.’

फिर होटल में वीआईपी किसके लिए था? देवी ने कहा, ‘कमरा अंकिता को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करने से जुड़ा नहीं है. हर होटल में अलग-अलग कमरे होते हैं. रिजॉर्ट के महंगे कमरे में ठहरने वाले गेस्ट वीआईपी गेस्ट होते हैं. इन्हें वीआईपी कमरे कहा जाता है’ देवी ने आगे बताया, यह थ्योरी चारों ओर घूम रही है कि एक स्पेशल गेस्ट 19 सितंबर को आया और अंकिता को उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था. लेकिन इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आरोपियों से व्यक्तिगत रूप से कई बार वीआईपी गेस्ट के बारे में पूछा गया है. लेकिन ऐसा कोई वीआईपी गेस्ट नहीं है. हम अभी भी काम पर हैं. अगर कुछ सामने आता है, तो हम उस एंगल से भी पूछताछ करेंगे’

रिसॉर्ट के गेस्ट रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि सितंबर के महीने में उनके पास मुश्किल से चार से पांच मेहमान थे. हालांकि, एंट्री रजिस्टर से कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलता है क्योंकि रिसोर्ट के मालिक या मैनेजर की मर्जी के मुताबिक एंट्रीज को छोड़ा जा सकता है.


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एक कवर अप?

अंकिता को अंतिम बार देखे जाने के एक दिन बाद गंगा भोगपुर गांव के राजस्व उपनिरीक्षक वैभव प्रताप सिंह छुट्टी पर चले गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि पटवारी (राजस्व उप-निरीक्षक के कहा जाता है) आर्य के करीबी थे.

उदयपुर वल्ला 1 थाना में राजस्व उप-निरीक्षक विदेश तोमर ने कहा, ‘हमें वैभव के अगले दिन छुट्टी लेने पर भी संदेह है. उनकी कॉल ट्रेस की जानी चाहिए.’

गुमशुदगी की रिपोर्ट आखिरकार राजस्व उपनिरीक्षक विवेक कुमार के पास पहुंची, जो 20 सितंबर को ड्यूटी पर थे और प्राथमिकी दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर उन्होंने आर्य पर संदेह जताया. तोमर ने कहा, ‘यह गलत है कि लड़की के पिता को इंतजार करने के लिए कहा गया था या प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी. पुलकित की एफआईआर रिपोर्ट में लड़की के पिता की रिपोर्ट अटैच की गई है. विवेक उसी दिन लड़की के पिता के साथ मौके पर गए थे. 24 घंटे के भीतर अदालत को रिपोर्ट दी गई और अगली सुबह तक केस की फाइल लक्ष्मण झूला थाना, ऋषिकेश के पास थी.’

सिंह और कुमार को निलंबित कर दिया गया है. दिप्रिंट ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे. दिप्रिंट को पता चला है कि कुमार ने अपना फोन नंबर बदल दिया है.

पुलिस ने कहा कि अपराध और आरोपी की गिरफ्तारी के बीच के समय में सबूत नष्ट करने के लिए एक ठोस प्रयास किया गया था. लेकिन आर्य की योजना ने उसके खिलाफ ही काम किया.

‘फोन रिकॉर्ड बताते हैं कि पुलकित ने अगले दिन जांच को गुमराह करने के लिए अपराध स्थल पर अपना फोन फेंक दिया था. लेकिन उसने पुलिस को बताया कि अंकिता ने गुस्से में आकर उसका फोन 18 सितंबर को वहां फेंका था.

अधिकारी ने कहा कि घटना के समय से उसका फोन बंद था. लेकिन उसका व्हाट्सएप अगले दिन तक काम कर रहा था. उन्होंने कहा कि पुलकित, अंकिता के दोस्त पुष्प पर दोष मढ़ना चाहता था और आरोप लगाता रहा कि वह उसके साथ भाग गई है.

लेकिन यह अभी तक साफ नहीं है कि वनंतरा रिसॉर्ट को गिराने का आदेश किसने दिया था. जेसीबी मशीन को मौके पर लाने का पहला कॉल गांव के राजाजी रिट्रीट के मालिक मोहित शर्मा के पास गया, जो जेसीबी मशीन किराए पर देते हैं.

शर्मा ने कहा, ‘आधी रात के करीब एक जूनियर इंजीनियर का फोन आया, लेकिन मेरे ड्राइवर ने उसे मना कर दिया. क्योंकि काफी रात हो चुकी थी. मना करने की दूसरी वजह ये थी कि हम अपने ही गांव में तोड़-फोड़ नहीं करना चाहते थे.’

उनका कहना है कि तब हरिद्वार से एक मशीन मंगवाई गई.

स्थानीय लोगों ने कहा कि अंकिता की मौत ने क्षेत्र के लोगों को भावनात्मक रूप से काफी उत्तेजित कर दिया है.

रिमांड के बाद वकील जितेंद्र सिंह रावत ने कोटद्वार कोर्ट में आरोपी की जमानत अर्जी लगाई तो उन्हें धमकियां मिलने लगीं. रावत ने कहा, ‘मैंने अपनी याचिका वापस ले ली क्योंकि मुझे फेसबुक पर धमकी, और चेतावनी मिलने लगी थी. कोर्ट के बाहर लोगों ने हंगामा मचाना शुरु कर दिया था.’

पुलिस का दावा है कि उनके पास घटना से पहले, घटना और घटना के बाद के साइंटेफिक और मैनुअल सबूतों की मजबूत कड़ी है. मामला सिर्फ हत्या पर फोकस करते हुए आगे बढ़ रहा है.

अंकिता के वकील जितेंद्र सिंह रावत ने कहा, ‘फिलहाल सिर्फ हत्या की जांच की जा रही है. अगर सबूत सामने आते हैं कि ड्रग्स और वेश्यावृत्ति का एक बड़ा नेटवर्क था, तो अलग से मामला दर्ज किया जाएगा.’

देवी ने दिप्रिंट को बताया कि तीनों आरोपियों की पुलिस हिरासत में की गई पूछताछ में उन्हें मामले में बहुत सारे विवरण मिले हैं जो मामले को तेजी से आगे बढ़ने में मदद करेंगे.

हरिद्वार में अंकित गुप्ता के घर पर उनके माता-पिता को उम्मीद है कि भगवान उनके बेटे की मदद करेंगे. उसके पिता राजेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा ‘हम बात नहीं करना चाहते हैं. जब मेरी नौकरी चली गई और हम भुखमरी के कगार पर थे, तो अंकित ही था जिसने हमें काम करके बचाया.’

पृथ्वीराज सिंह के इनपुट्स के साथ.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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