नई दिल्ली: रूस ने शुक्रवार को 47 साल के बाद देश का पहला चंद्र मिशन लूना 25 लॉन्च किया. यह चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा. रूस स्थित समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि लूना-25 ने रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन लॉन्चिंग पैड से उड़ान भरी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक सोयुज-2 फ्रीगेट रॉकेट पर लॉन्च किए गए लूना 25 ने शुक्रवार को सुबह 8:10 बजे (स्थानीय समय) उड़ान भरी. TASS ने बताया कि प्रक्षेपण के लगभग 564 सेकंड बाद फ्रीगेट बूस्टर रॉकेट के तीसरे चरण से अलग हो गया. लॉन्च के करीब एक घंटे बाद लूना-25 अंतरिक्ष यान बूस्टर से अलग हो जाएगा. चंद्रमा पर पहुंचने में इस यान को 5.5 दिन तक का समय लगेगा.
अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर तीन से सात दिन बिताएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मिशन का प्राथमिक लक्ष्य सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक को बेहतर बनाना है. TASS के अनुसार, यह मिशन पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन सकता है.
अंतरिक्ष यान पानी सहित चंद्रमा पर मौजूद अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तलाश करेगा और चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष किरणों और विद्युत चुंबकीय उत्सर्जन के प्रभावों के बारे में रिसर्च करेगा. लूना 25, जिसे लूना-ग्लोब-लैंडर भी कहा जाता है, एक साल तक चंद्रमा की ध्रुवीय मिट्टी की संरचना और बहुत पतले चंद्र बाह्यमंडल या चंद्रमा के अल्प वातावरण में मौजूद प्लाज्मा और धूल का अध्ययन करेगा.
रूस द्वारा भेजे गए इस लैंडर में कई कैमरे लगे जो लैंडिंग के टाइमलैप्स फुटेज और चंद्रमा की तस्वीर लेकर यहां भेजेंगे.
रूस द्वारा भेजे गए इस रॉकेट की लंबाई 46.3 मीटर है जबकि इसका व्यास 10.3 मीटर है. इसका वजन 313 टन है. इसका वजन लगभग 1.8 टन है. इसमें एक अलग तरह की मशीन भी लगाई गई है जो चांद पर लगभग 6 इंच की खुदाई कर वहां की मिट्टी और पत्थर की जांच करेगा. यह संभवत: 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा. इसका लैंडर चांद की सतह पर 18 किलोमीटर ऊपर पहुंचने के बाद लैंडिंग शुरू करेगा.
इसे दुनिया भर में उत्सुकता से देखा जा रहा है क्योंकि यूरोप और अमेरिका यूक्रेन में युद्ध के बीच रूस को अलग-थलग हैं और दोनों एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही रूस गैर-पश्चिमी देशों के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. रूस द्वारा चंद्रमा पर भेजे गए मिशन को भी पश्चिमी देशों को एक जवाब के रूप में देखा जा रहा है.
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