नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को लांच करने जा रहा है. यह यान पृथ्वी से चंद्रमा की ओर श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई की रात को रवाना होगा. लांच के ठीक एक हफ्ते पहले इसरो ने अपनी वेबसाइट पर चंद्रयान की तस्वीरें जारी की हैं. लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन को जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट से लांच किया जाएगा.
इस स्पेसक्राफ्ट का वजन 3.8 टन है. छह पहिए वाले रोबोट वाहन है जो संस्कृत में अनुवाद करता है इसमें 3 मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान). प्रज्ञान छह पहिएवाला रोबोट वाहन है. यह सौर ऊर्जा से कार्य करता है और केवल लैंडर विक्रम के साथ संवाद कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ लैंडर को चंद्र सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉक्टर विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है.
#Lander को चंद्र सतह पर एक नरम लैंडिंग निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है
जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया#Chandrayaan2? #ISROMissions #GSLVMk-III pic.twitter.com/FWVQv2VYQt
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) July 8, 2019
15 जुलाई को उड़ान भरने वाला चंद्रयान-2 छह या सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा. ऐसा होते ही भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद पर भेज चुका है. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि कई वर्ष पहले चांद की सतह पर पहुंच चुके ये देश भी अबतक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना यान नहीं उतार पाए हैं. चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसका वजन करीब 6000 क्विंटल है. पूरी तरह से लोडेड यह रॉकेट पांच बोइंग जंबो जेट के बराबर है. यह अंतरिक्ष में काफी वजन ले जाने में सक्षम है.
#Rover, #Pragyan एक 6-पहिए वाला रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में अनुवाद करता है
यह सौर ऊर्जा से कार्य करता है और केवल लैंडर विक्रम के साथ संवाद कर सकता है#Chandrayaan2? #ISROMissions #GSLVMk-III pic.twitter.com/nknXGzudt5
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इसरो के चंद्रयान-2 में सबसे खास बात यह है कि इस यान की पूरी जिम्मेदारी दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में है. चंद्रयान -2 की दो मिशन डायरेक्टर महिला हैं. जबकि यान की देखरेख में विशेष रोवर ‘प्रज्ञान’ की कई तकनीक आईआईटी कानपुर में तैयार की गई हैं.
मोशन प्लानिंग यानी चांद की सतह पर रोवर कैसे, कब और कहां उतरेगा और किस तरह से यह जांच करेगा इसका पूरा खाका आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने तैयार किया है. इसमें अहम भूमिका निभाई है सीनियर प्रोफेसर केए वेंकटेश और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर आशीष दत्ता ने.
#Chandryaan2: यह पृथ्वी से चंद्रमा की ओर श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को आधी रात को रवाना होगा, इसका वजन 3.8 टन है और यह एक हजार करोड़ का मिशन है#ISROMissions https://t.co/lvnICKPG1h
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बता दें कि महज 10 साल में दूसरी बार चांद पर इसरो अपना यान उतारने जा रहा है. चंद्रयान-1 2009 में भेजा गया था. हालांकि, उसमें रोवर शामिल नहीं था. चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था. इसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था.