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Friday, 15 November, 2024
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कोविड-19 के कारण स्कूलों की सलाह है कि गर्मी की छुट्टी पहले कर दी जाए: सीबीएसई सचिव

आम तौर पर अकादमिक सत्र अप्रैल के महीने में शुरू होता है और गर्मी की छुट्टियां मई से जून तक होती हैं. इस साल लॉकडाउन की वजह से स्कूलों ने बोर्ड को सलाह दी है कि गर्मी की छुट्टियां पहले कर दी जाएं.

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नई दिल्ली: केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ख़़ुद से जुड़े स्कूलों से ऐसी चर्चा कर रहा है कि गर्मी की छुट्टियां पहले ही कर दी जाएं. इसके पीछे का करण कोविड-19 की वजह से लगाया गया लॉकडाउन है. ये जानकारी सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने दिप्रिंट को दिए गए एक साक्षात्कार के दौरान दी. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ़ किया कि इस पर कोई भी फ़ैसला लॉकडाउन को लेकर उभरती स्थिति के हिसाब से ही लिया जाएगा.

त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षकों, परिजनों और स्कूलों से बोर्ड इस बारे में चर्चा कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम शिक्षकों और छात्रों से चर्चा कर रहे हैं कि शैक्षणिक सत्र शुरू करने के बजाए, हमें गर्मी की छुट्टियां पहले कर देनी चाहिए. आम तौर पर ये छुट्टियां मई से जून के बीच होती हैं…कुछ स्कूलों ने ऐसा भी अनुरोध किया है कि अगर हम गर्मी की छुट्टियां पहले कर देते हैं तो इससे अकादमिक सत्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा.’

उन्होंने कहा, ‘हम कोई भी फ़ैसला लॉकडाउन के समाप्त होने और असली स्थिति का पता लगने के बाद ही ले पाएंगे. अंतिम निर्णय लेना राज्यों के ऊपर भी निर्भर करता है. हम छात्रों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए फ़ैसला लेने की कोशिश करेंगे.’

आम तौर पर अकादमिक सत्र अप्रैल के महीने में शुरू होता है और गर्मी की छुट्टियां मई से जून तक होती हैं. इस साल लॉकडाउन की वजह से स्कूलों ने बोर्ड को सलाह दी है कि गर्मी की छुट्टियां पहले कर दी जाएं.

अकादमिक सत्र में बाधा पड़ने के अलावा स्कूलों के सामने कई और चुनौतियां हैं. इनमें कोविड-19 की वजह से बोर्ड की कुछ परीक्षाओं का स्थगित हो जाना शामिल है. बोर्ड ने इसी से संबंधित एक सर्कुलर पिछले हफ्ते जारी करते हुए कहा कि 10वीं और 12वीं की बाकी की बोर्ड परीक्षा में सिर्फ 29 विषय ही शामिल होंगे. इनमें बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन, होम साइंस, भूगोल जैसे 10वीं और 12वीं के अहम विषय ही शामिल हैं. हालांकि पूर्वोत्तर दिल्ली के इलाकों को इस मामले में अपवाद माना गया है.

सचिव ने कहा कि बोर्ड ने सिर्फ़ उन अहम विषयों की परीक्षा कराने का निर्णय लिया है जो आगे की उच्च शिक्षा और रोज़गार में काम आते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम छात्रों के हितों को सबसे ऊपर रखते हुए फ़ैसले ले रहे हैं. हमने सिर्फ़ उन्हीं विषयों की परीक्षा लेने का फ़ैसला किया जो अहम हैं और जिसमें बहुत से छात्र शामिल होते हैं. हम छात्रों के अकादमिक भविष्य को ध्यान में रखना चाहते हैं, ऐसे में हमने उन विषयों को चुना जो भविष्य में कॉलेज में दाखिले के लिहाज़ से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तौर पर अहम हैं.’


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अभी तक परीक्षा की नई तारीख़ों का एलान नहीं किया गया है. त्रिपाठी ने साफ़ किया कि तारीख़ों के एलान से पहले सबको कम से कम 10 दिन का समय दिया जाएगा.

दुनिया के अन्य देशों में पढ़ रहे सीबीएसई के छात्रों की जो परीक्षाएं बाकी रह गई हैं, बोर्ड ने उन्हें नहीं कराने का फ़ैसला लिया है. उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि अन्य देशों में लॉकडाउन कब ख़त्म होगा, ऐसे में हमने स्कूलों से कहा है कि वो छात्रों का आकलन पहले से ली गई परीक्षाओं के आधार पर करें और कोई नई परीक्षा ना कराएं.’

बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े नतीजों के बारे में उन्होंने कहा कि बोर्ड जून के महीने तक सभी नतीजे देने की कोशिश करेगा. हालांकि, इसमें ये बात अहम होगी कि लॉकडाउन समय से समाप्त हो जाए और कॉपियां जांचना संभव हो. उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन की वजह से हमें ना सिर्फ परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं बल्कि कॉपियां भी नहीं जांची जा सकीं. अगर लॉकडाउन समाप्त होता है तो हम इस प्रक्रिया को शुरू करने की स्थिति में होंगे और उम्मीद है कि जून तक नतीजे दे देंगे.’

बोर्ड ने हाल ही में उससे जुड़े स्कूलों से कहा कि पहली से आठवीं तक के बच्चों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में भेज दिया जाए. इंटरनल असेसमेंट को उन्हें अगली कक्षा में भेजने का आधार बनाया जाए. नौवीं और 11वीं क्लास के लिए भी अब ऐसी ही एडवाइज़री जारी की गई है.

उन्होंने कहा, ‘काफ़ी सारे स्कूलों ने पहले ही अपने यहां इटरनल असेसमेंट कर लिया है और जिन्होंने नहीं भी किया उन्हें भी हमने पहली से आठवीं तक के छात्रों को बिना परीक्षा के प्रमोट करने को कहा है. हाल ही में हमने नौवीं से 11वीं तक के छात्रों के लिए भी ऐसा ही कहा है. इन दोनों क्लासों में यूनिट टेस्ट और इंटरनेट असेसमेंट होते हैं. बच्चों के साल भर के काम का मूल्यांकन करके उन्हें प्रमोट किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं होगी.’


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एक तरफ जहां बोर्ड स्कूलों के साथ अकादमिक सत्र को बदलने को लेकर चर्चा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई स्कूलों ने अपने सत्र ऑनलाइन शुरू कर दिए हैं. ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियां बताते हुए त्रिपाठी ने कहा, ‘कई स्कूल ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, ऐसे स्कूल जिनके पास सुविधाएं नहीं हैं वो मेल, व्हाट्सएप और योजनाबद्ध कैलेंडर के जरिए शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. हमारा मानना है कि शिक्षकों का विकल्प ऑनलाइन गतिविधियां नहीं हो सकती हैं. लेकिन छात्र और शिक्षक अपने तरफ से बेहतरीन करने की कोशिश कर रहे हैं. लॉकडाउन ने हमारे लिए ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता खोला है और मेरा मानना है कि हमें इसका भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए.’

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