नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हल्द्वानी में रेलवे द्वारा दावा की गई 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक से संबंधित उसका आदेश सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं के लंबित रहने तक जारी रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को एक अंतरिम आदेश में 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगा दी थी और इसे ‘मानवीय मुद्दा’ करार दिया था. अदालत ने कहा था कि 50,000 लोगों को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता है.
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुनवाई के लिए आज न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थीं, जिस पर अदालत ने कहा कि याचिकाओं की सुनवाई लंबित रहने के दौरान स्थगनादेश जारी रहेगा. इसके साथ ही पीठ ने निर्देश के लिए मामले को अगस्त के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध कर दिया.
रेलवे के मुताबिक, ज़मीन पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है. ज़मीन पर कब्जा रखने वाले परिवार पहले हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि वे ज़मीन के असली मालिक हैं.
सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को सूचित किया गया कि इस मामले में एक स्थगन पत्र जारी किया गया है.
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले को सुनने और फैसला करने की जरूरत है और पीठ इसे जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकती है.
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में आपको संरक्षण मिला है. समस्या को देखते हुए इसका समाधान ढूंढना इतना आसान नहीं है, लेकिन समाधान वह भी नहीं था, जो उच्च न्यायालय ने दिया था.’’
अदालत ने कहा, ‘‘हमने उस आदेश पर रोक लगाने के कारण दर्ज किए थे.’’
पीठ ने इसके बाद रेलवे और राज्य सरकार की ओर से पेश वकीलों से पूछा कि इस मामले का समाधान खोजने में उन्हें कितना वक्त लगेगा.
पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि राज्य सरकार के वकील ने दलील दी है कि यथाशीघ्र एक उचित समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
पीठ ने निर्देश के लिए मामले को अगस्त के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध किया और कहा कि याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान रोक का आदेश जारी रहेगा.
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