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Saturday, 28 December, 2024
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यूपी सरकार द्वारा सीएए विरोधियों के पोस्टर्स लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को सौंपा मामला

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने पूछा कि होर्डिंग्स लगाने का अधिकार उत्तर प्रदेश सरकार को किसने दिया.

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नई दिल्ली: लखनऊ में एंटी- प्रोटेस्टर्स के होर्डिंग्स लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया है और पूरे मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया है.

जस्टिस यूयू ललित और अनिरूद्ध बोस की बेंच ने कहा कि इस मामले को पर्याप्त संख्या वाली बेंच द्वारा देखे जाने की जरूरत है इसलिए इसे बड़ी बेंच को भेजा जा रहा है. बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने संबंधित कोई आदेश नहीं दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने पूछा कि होर्डिंग्स लगाने का अधिकार सरकार को किसने दिया. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में अपने तर्क रखे और कहा कि निजता के अधिकार के कई आयाम हैं.

मेहता ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान कोई व्यक्ति बंदूक लहराए और हिंसा में शामिल रहे वो निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि जो निर्णय लिया गया है वो कानून के दायरे में रखकर हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने होर्डिंग्स पर कथित आगजनी करने वालों का ब्योरा देने के लिए यह (कठोर) कदम उठाया है, वो राज्य की चिंता को समझ सकता है लेकिन अपने फैसले के बचाव के लिए उसके पास कोई कानून नहीं है.

रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी की वकालत कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि वो 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जो आईजी के पद से रिटायर हुए हैं. उन्होंने कहा कि होर्डिंग्स पर नाम लिखना लोगों को लिंच करने और मारने पर उकसाता है.

बता दें कि लखनऊ में एंटी-प्रोटेस्टर्स के होर्डिंग्स लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन को तुरंत सभी पोस्टर्स व होर्डिंग्स हटाने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने लखनऊ के डीएम व कमिश्नर से होर्डिंग्स हटाकर 16 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कोर्ट ने इसे राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन माना था.

लखनऊ के चौराहों पर लगे होर्डिंग्स में सार्वजनिक और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान की डिटेल्स हैं. इसके अलावा ये भी लिखा है कि सभी से नुकसान की भरपाई की जाएगी. पोस्टर्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सोशल एक्टिविस्ट व कांग्रेस नेता सदफ जफर, थिएटर आर्टिस्ट दीपक कबीर के भी नाम हैं.

बीते 19 दिसम्बर को लखनऊ में एंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान हिंसा हुई थी. इस दौरान कई स्थानों पर तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई थी. 100 से अधिक आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए. इन पोस्टर्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सोशल एक्टिविस्ट व कांग्रेस नेता सदफ जफर, थिएटर आर्टिस्ट दीपक कबीर के भी नाम हैं.

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