नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थानों के साथ-साथ बस डिपो और रेलवे स्टेशन जैसी सार्वजनिक जगहों पर सही तरीके से बाड़ लगाई जाए, ताकि आवारा कुत्ते अंदर न आ सकें. कोर्ट ने देशभर में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह आदेश दिया.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को इन आदेशों का सख्ती से पालन करवाने की जिम्मेदारी दी गई है.
इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस आदेश को भी दोहराया जिसमें हाईवे और एक्सप्रेसवे से आवारा गायों और अन्य जानवरों को तुरंत हटाने की बात कही गई थी.
तीन जजों की पीठ — जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया ने कहा, “राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश दो हफ्तों के अंदर सभी सरकारी और प्राइवेट शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान करें और वहां बाड़ लगवाएं, ताकि आवारा कुत्ते अंदर न आ सकें.”
कोर्ट ने यह भी कहा कि हर संस्थान में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो परिसर की देखरेख करेगा. स्थानीय निकाय या पंचायत को हर तीन महीने में एक बार इन जगहों का निरीक्षण करना होगा.
कोर्ट ने दोहराया कि दफ्तरों में आवारा कुत्तों को खाना खिलाना एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) रूल्स, 2023 का उल्लंघन है.
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई थी कि सरकारी कर्मचारी ऑफिस में कुत्तों को खाना खिलाते हैं, जबकि इसके लिए खास जगह तय करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है. कोर्ट ने फिर कहा कि आवारा कुत्तों को हटाने और दूसरी जगह भेजने का काम एबीसी रूल्स के तहत ही होना चाहिए.
यह आदेश आवारा कुत्तों के प्रबंधन मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि संस्थानों से पकड़े गए कुत्तों को उसी इलाके में वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए. “अगर उन्हें वहीं छोड़ दिया गया तो कुत्तों को हटाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा.”
गायों को हटाने पर आदेश
हाईवे और एक्सप्रेसवे पर पाए जाने वाले आवारा पशुओं को हटाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग, नगर निकायों और सड़क एवं परिवहन विभाग को मिलकर अभियान चलाने का आदेश दिया.
कोर्ट ने कहा, “हमने कहा है कि राजस्थान हाई कोर्ट का आदेश लागू किया जाए और सभी विभाग मिलकर हाईवे और एक्सप्रेसवे से गायों को हटाएं और उन्हें तुरंत शेल्टर में भेजें.”
कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए, ताकि कहीं जानवर दिखें तो लोग सूचना दे सकें.
सख्त आदेश
कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने आठ हफ्तों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट जमा करने को कहा है, जिसमें बताया जाए कि आदेश कैसे लागू किए गए.
पहले भी कोर्ट ने कई राज्यों को नोटिस दिया था क्योंकि उन्होंने एबीसी रूल्स लागू करने पर रिपोर्ट नहीं दी थी. अब इन नए आदेशों के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा जानवरों को नियंत्रित करने और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए एक संयुक्त नीति लागू करने की कोशिश की है.
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