नई दिल्ली: दिल्ली की सीमा पर पिछले 50 दिनों से अधिक समय से चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह ‘बेहद निराश’ है.
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ‘ क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं.’
उसने कहा, ‘हम सरकार और किसानों की बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.’
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने लगभग सख्त लहजे में केंद्र सरकार से कहा, ‘या तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम रोक लगा देंगे.’
सीजेआई ने यह भी पूछा क्या कानून को लागू करने से पहले कुछ समय के लिए होल्ड (रोका) पर नहीं जा सकता है.
Farm laws: CJI asks, can the implementation of laws be put on hold for the time being https://t.co/cf2mkANm6T
— ANI (@ANI) January 11, 2021
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‘हमारे हाथों में किसी का खून नहीं चाहिए.’
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं.’
पीठ ने कहा, ‘हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.’
पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे.
शीर्ष अदालत प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी.
उसने कहा ‘ यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है.’
पीठ ने कहा, ‘ हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के लिए अच्छे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा.
उसने केन्द्र से कहा, ‘हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं; आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?’
हालांकि अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करे.
वेणुगोपाल ने बहस के दौरान आगे कहा, ‘कोर्ट तब तक संसद से पारित कानून पर रोक नहीं लगा सकती, जब तक कानून विधायी क्षमता के बिना पारित हुआ हो या फिर कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो.’
इस पर सीजेआई ने तुरंत कहा, ‘हम कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं लेकिन उनके अमल होने पर रोक लगा रहे हैं.’
इस पर अटॉर्नी जनरल ने सवाल किया कि कोर्ट किन हिस्सों के अमल होने पर ‘रोक’ लगाएगी तो इस पर कोर्ट ने कहा कि इस बात को हम दोहराना नहीं चाहते लेकिन कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा रही है.
वहीं, न्यायालय ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा, ‘आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे.’
वहीं सीजेआई ने सुनवाई करते हुए कहा, ‘अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा.’
सीजेआई की तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘हमारे हाथों में किसी का खून नहीं चाहिए.’
Each one of us will be responsible if something goes wrong. We don't want anybody's blood on our hands, says CJI hearing batch of petitions challenging the constitutional validity of the three farm laws
— ANI (@ANI) January 11, 2021
सीजेआई बहस के दौरान लगभग नाराज ही दिखे, उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली है, बूढ़े और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा हैं. ये क्या हो रहा है ?’
CJI ने कहा, ‘एक भी याचिका दायर नहीं की गई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून अच्छे हैं.’
केन्द्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया था. जबकि किसान नेताओं ने कहा था कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी.
केन्द्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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