scorecardresearch
Thursday, 28 March, 2024
होमदेशअर्थजगतएसबीआई रिसर्च ने भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट की रघुराम राजन की बात को किया खारिज

एसबीआई रिसर्च ने भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट की रघुराम राजन की बात को किया खारिज

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान को लेकर आई है, जिन्होंने मीडिया से कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि राज कृष्ण की 'विकास की हिंदू दर' टर्म के करीब है.

Text Size:

नई दिल्ली : एसबीआई रिसर्च ने अपनी इकोरैप रिपोर्ट में कहा कि यह तर्क कि भारत ‘विकास की हिंदू दर’ की ओर बढ़ रहा है, बचत और निवेश पर संबंधित डेटा के बरक्स इसे आंकना ‘दुर्भावनापूर्ण, पक्षपातपूर्ण और अपरिपक्व’ है.

विकास की हिंदू दर शब्द 1978 में अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने 1947-1980 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में लगभग 3.5-4.0 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को दर्शाया था.

इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की तिमाही अनुक्रमिक Y-o-Y GDP वृद्धि FY23 में गिरावट में रही है. चुनिंदा तिमाहियों में को लेकर यह तर्क दिया गया है कि भारत राज कृष्ण की विकास दर (3.5-4 प्रतिशत) की ओर जा रहा है, जो 1947-1980 की अवधि में वृद्धि को दिखाता है. हम बचत और निवेश के आंकड़ों के विरुद्ध संख्याओं को आंकते समय इस को तर्क को गलत, पक्षपाती और समय से पहले पाते हैं.’

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान को लेकर आई है, जिन्होंने मीडिया को बताया कि भारत की आर्थिक वृद्धि राज कृष्ण की ‘विकास की हिंदू दर’ टर्म के करीब है.

इसके अलावा, एसबीआई रिसर्च ने तर्क दिया कि कुल सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की संस्थागत हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2012 से जीडीपी के क्रमशः लगभग 10 प्रतिशत और 34 प्रतिशत पर स्थिर रही है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सरकार द्वारा सकल पूंजी निर्माण 2021-22 में 11.8 प्रतिशत के उच्च स्तर तक पहुंच गया, जो 2020-21 में 10.7 प्रतिशत था. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेश पर भी इसका प्रभाव पड़ा है, जो इसी अवधि में 10 प्रतिशत से बढ़कर 10.8 प्रतिशत हो गया.

रिपोर्ट ने कहा कि वास्तव में, जीसीएफ के सकल उत्पादन अनुपात या नई क्षमता के निर्माण के लिए धन की कमी के रुझान से पता चलता है कि बजट में पूंजीगत व्यय पर जोर देने के कारण 2021-22 में राशन एक नए ऊंचाई पर पहुंच गया.

इसके अलावा, यह तर्क दिया गया है कि जमा जैसी वित्तीय बचत में तेज इजाफे से भारत में घरेलू बचत में महामारी के दौरान तेजी आई.

जबकि तब से घरेलू वित्तीय बचत 2020-21 में 15.4 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.1 प्रतिशत हो गई, भौतिक संपत्ति में बचत 2021-22 में तेजी से बढ़कर 11.8 प्रतिशत हो गई है, जो 2020-21 में 10.7 प्रतिशत थी.

एसबीआई रिसर्च के प्रथमदृष्टया एक विश्लेषण से पता चला है कि वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (आईसीओआर), जो अतिरिक्त इकाई का उत्पादन के लिए आवश्यक पूंजी निवेश की अतिरिक्त इकाइयों को मापता है, में सुधार हो रहा है. ICOR जो FY12 में 7.5 था, अब FY22 में केवल 3.5 है.

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वर्तमान वर्षों में आईसीओआर में इस तरह की कमी पूंजी की सापेक्ष बढ़ती दक्षता को दिखाता है. आईसीओआर पर बात प्रासंगिक हो जाती है कि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. अब यह भी स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि (एक वैश्विक घटना) अब पहले की तुलना में कम है. भविष्य में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7 प्रतिशत पर बनी रह सकती है जो कि किसी भी मानक से एक अच्छी संख्या हो सकती है!’


यह भी पढ़ें: हरियाणा की IAS पर ‘200 करोड़ का घोटाला’ निपटाने के लिए जबरन वसूली का आरोप, FIR दर्ज


 

share & View comments