नई दिल्ली: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेडिंग रेट (एमसीएलआर) में 10 बैसिक प्वाइंट की कटौती का ऐलान किया है. पहले एमसीएलआर 8.25 फीसदी थी, जिसे अब घटकर 8.15 फीसदी सालाना कर दी गई है. यह नई दरें 10 सितंबर से लागू हो जाएंगी.
एसबीआई के फैसले के बाद और भी कई बैंक एमसीएलआर दर में कटौती कर सकते हैं. वित्त वर्ष 2019-20 में एसबीआई ने एमसीएलआर दर में लगातार पांचवी बार कटौती की है. एसबीआई ने फिक्स्ड डिपोजिट रेट पर भी 20-25 बैसिक प्वाइंट की कटौती की है.
State Bank of India (SBI) has announced a reduction in its Marginal Cost of Funds-based Lending Rate (MCLR) by 10 basis points (bps) across all tenors. The 1 Year MCLR would come down to 8.15% p.a. from 8.25% p.a. with effect from 10 September, 2019. pic.twitter.com/f9yJOBigM6
— ANI (@ANI) September 9, 2019
एसबीआई का होम लोन और ऑटो लोन में 30-35 प्रतिशत का मार्केट शेयर है. आपको बता दें कि पिछले कई महीनों में रिजर्व बैंक ने कई बार रेपो और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किए थे. जिससे निवेश में बढ़ोतरी हो सकें. एमसीएलआर रेट कम होने से होम लोन और ब्याज दरें भी कम हो जाएंगी.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी माना है कि निवेश में भारी कमी हो रही है. जिस कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. पिछले कुछ दिनों के भीतर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बार प्रेस के सामने आकर आर्थिक हालातों के बारे में देश को जानकारी दी है. सरकार ने बजट में प्रस्तावित कई चीजों में बाद में बदलाव किए हैं, जिससे निवेश की स्थिति ठीक हो सकें.
सरकार ने बैंकों के विलय का प्लान तैयार किया है. इनमें पब्लिक सेक्टर के कई बैंकों का आपस में विलय किया जाएगा. इसके बाद अब देश में महज 12 सरकारी बैंक ही रह जाएंगे. वित्तमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में पंजाब नैशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय किया जाएगा, जिससे देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक तैयार होगा, जिनका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ रुपये होगा. उन्होंने कहा कि यह बैंकिंग के रिफार्म के लिए किया जा रहा है. बैंक सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत है. बैंकों में कोई दखल देने की जरूरत नहीं है.