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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशराम मंदिर जैसी बलुआ पत्थर की दीवारें, संगमरमर का फर्श- उद्घाटन के लिए तैयार हो रहा बंगाल का जगन्नाथ धाम

राम मंदिर जैसी बलुआ पत्थर की दीवारें, संगमरमर का फर्श- उद्घाटन के लिए तैयार हो रहा बंगाल का जगन्नाथ धाम

22 एकड़ में फैला और समुद्र के किनारे स्थित, भव्य जगन्नाथ धाम को तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को लगभग 143 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. मंदिर के निर्माण में लगभग 1,000 कर्मचारी शामिल हैं.

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दीघा: असिस्टेंट इंजीनियर आलमगीर हुसैन अस्थायी रूप से काम के लिए अपने परिवार से दूर पश्चिम बंगाल के पुरबा मेदिनीपुर जिले में स्थानांतरित हो गए हैं. उनका दिन सुबह 7 बजे शुरू होता है और इसे रात 8 बजे ख़त्म हो जाना चाहिए, जो कि वास्तव में कभी नहीं होता है.

फिर भी, पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माने जाने वाले दीघा में जगन्नाथ धाम का निर्माण करने वाली टीम का हिस्सा हुसैन कहते हैं कि थकान उनके दिमाग से कोसों दूर है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मुझे नहीं पता कि इस भावना को कैसे समझाऊं. हम सभी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के लिए बहुत लंबे समय से काम कर रहे हैं, और कोई शक्ति है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.”

समुद्र के किनारे और न्यू दीघा रेलवे स्टेशन के निकट स्थित, 22 एकड़ में फैले भव्य जगन्नाथ धाम पर पश्चिम बंगाल सरकार को लगभग 143 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.

यह मंदिर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक पसंदीदा परियोजना है, जो मार्च 2024 में पूरा होने की उम्मीद है.

Two tigers and 69 lions will be erected on and around the temple premises | Sreyashi Dey | ThePrint
मंदिर परिसर और उसके आसपास दो बाघ और 69 शेर बनाए जाएंगे | श्रेयसी डे | दिप्रिंट

जनवरी में एक बड़े समारोह में अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कुछ महीने बाद, इसे अप्रैल में भक्तों के लिए खोलने की संभावना है. ये दोनों कार्यक्रम 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हो रहे हैं, जिसके जरिए मोदी सरकार सत्ता में तीसरा कार्यकाल सुरक्षित करना चाह रही है.

जगन्नाथ धाम को भाजपा द्वारा उन्हें “हिंदू विरोधी” और “अल्पसंख्यक तुष्टिकरणकर्ता” के रूप में पेश करने के प्रयासों के जवाब के रूप में देखा जाता है.

भाजपा ने पूरे मंदिर परियोजना को एक दिखावा करार दिया है और कहा है कि राज्य सरकार किसी धार्मिक संस्थान के निर्माण के लिए करदाताओं के पैसे का उपयोग नहीं कर सकती है.

विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने पहले दिप्रिंट को बताया था, निर्माणाधीन संरचना एक मंदिर नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र है.

अपनी ओर से, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है और बस इतना कहा है कि वे स्थानीय निवासियों की इच्छाओं का सम्मान कर रहे हैं.

यदि मंदिर राजनीतिक मुद्दा बन भी गया है तो दीघा के निवासियों को इसकी कोई परवाह नहीं है.

पास के एक गांव में रहने वाली सुषमा जेना ने कहा, “मुख्यमंत्री ने हमसे यहां एक मंदिर बनाने का वादा किया था और उन्होंने इसे पूरा किया है. हम बहुत खुश हैं और बड़ी संख्या में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के यहां आने का इंतजार कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “इससे हमारे लिए व्यावसायिक संभावनाएं बढ़ेंगी. हम होमस्टे और दुकानें खोल सकते हैं, और यहां के पुरुष पर्यटकों को लाने-ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक रिक्शा चला सकते हैं. हमें पैसा कमाने के लिए अपना गृह राज्य छोड़ने की ज़रूरत नहीं है. यह भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद है.”


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‘मंदिर खास है’

जगन्नाथ धाम का निर्माण पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डब्ल्यूबीएचआईडीसीओ) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कोलकाता स्थित सैलिएंट डिजाइन स्टूडियो डिजाइन और वास्तुकला का काम संभाल रहा है.

2005 में स्थापित, सैलिएंट का नेतृत्व पूर्व आईआईटी-रुड़की स्वर्ण पदक विजेता विवेक सिंह राठौड़ कर रहे हैं, जो इसके डिजाइन प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं, और उनकी पत्नी अनुराधा राठौड़ लैंडस्केप प्रिंसिपल हैं.

इसकी अन्य परियोजनाओं में सिटी सेंटर पटना के अलावा कोलकाता स्थित लक्जरी ताज ताल कुटीर, बुटीक होटल राजकुटीर, मदर्स वैक्स म्यूजियम, मिलन मेला कन्वेंशन सेंटर और बांग्ला मिस्टी हब – जो स्थानीय मिठाइयों को बढ़ावा देने के लिए एक सरकारी पहल है, शामिल हैं.

जगन्नाथ धाम की आधारशिला 2019 में, कोविड से ठीक पहले रखी गई थी.

तीन साल बाद निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 1,000 से अधिक निर्माण श्रमिक मंदिर को जीवंत बनाने के लिए रात-दिन काम कर रहे हैं.

हुसैन ने कहा, “हमने मई 2022 में निर्माण शुरू किया. रिकॉर्ड समय में, हम मंदिर के द्वार खोलेंगे. मंदिर की एक झलक पाने के लिए करोड़ों भक्त, यूट्यूब व्लॉगर्स पहले से ही यहां आ रहे हैं. लेकिन चूंकि निर्माण कार्य चल रहा है, इसलिए बाहरी लोगों को अंदर जाने की अनुमति नहीं है.”

काम करने वाली टीम में आगरा के 72 वर्षीय लियाकत अली भी शामिल हैं, जो पत्थर तराशने में माहिर हैं. उनके अधीन, 15-20 श्रमिकों की एक टीम राजस्थान के विशेष बंसी पहाड़पुर बलुआ पत्थर से बनी दीवारों पर जटिल आकृतियां उकेर रही है, जिसका उपयोग अयोध्या राम मंदिर के निर्माण में भी किया जा रहा है.

Intricate carvings on the walls of the temple | Sreyashi Dey | ThePrint
मंदिर की दीवारों पर कठिन नक्काशी | श्रेयसी डे | दिप्रिंट

अली ने हल्के गुलाबी पत्थर को सावधानीपूर्वक तराशते हुए दिप्रिंट को बताया, “पत्थर पर एक आकृति उकेरने में 10-15 दिन लगते हैं. मैंने कई पूजा स्थल बनाए हैं और यह वास्तव में विशेष होगा.”

तिरपाल की छतरी के नीचे, प्रदीप जेना और ओडिशा के अन्य श्रमिक झुककर बैठे, बलुआ पत्थर के 8 फुट के ब्लॉक पर एक शेर बना रहे हैं जिसे मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगाया जाएगा.

Photo credit: Sreyashi Dey | ThePrint
फोटो क्रेडिट, श्रेयसी डे | दिप्रिंट

मंदिर परिसर और उसके आसपास दो बाघ और 69 शेर बनाए जाएंगे. पुरी मंदिर में, जो दीघा जगन्नाथ धाम को प्रेरित करता है, दो द्वार बाघों और शेरों से जुड़े हुए हैं, जिनका विशेष महत्व है.

टीम ने कहा कि प्रत्येक जानवर की आकृति को तराशने में एक महीने तक का समय लगता है, जबकि छोटी आकृतियों को बनाने में लगभग 15 दिन लगते हैं.

जब दिप्रिंट ने दौरा किया, तो श्रमिकों का एक अन्य समूह मंदिर के गर्भगृह के ऊपर पत्थर रख रहा था, जो 214 फीट की ऊंचाई पर होगा.

हुसैन ने कहा, “श्रमिकों का इस ऊंचाई पर चढ़ना एक टास्क था. कई लोगों ने ऊपर चढ़ने से इनकार कर दिया और चले गए. हमें ऐसे श्रमिकों का एक नया समूह लाना था जो इस ऊंचाई पर पहुंच सकें और काम कर सकें. उनकी घबराहट को कम करने के लिए, हमने टावर को हरे कपड़े से ढक दिया है, ताकि श्रमिकों को नीचे देखने से चक्कर न आए.”

मंदिर का फर्श वियतनाम से आयातित संगमरमर का होगा. स्लैब को कोलकाता बंदरगाह से ट्रकों में भरकर साइट पर लाया जा रहा है.

परिसर में दो प्रवेश बिंदु होंगे, एक आम भक्तों के लिए और दूसरा वीआईपी के लिए. मंदिर बगीचों से घिरा होगा, इसमें मंदिर का भंडार कक्ष, भोग हॉल और पार्किंग की सुविधा भी होगी.

निकटवर्ती गांव भागीभरमपुर में, निवासी इस परियोजना पर गहरी नजर रख रहे हैं.

पुष्पिता जेना ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि भगवान जगन्नाथ हमारे गांव में आएंगे. हम मंदिर के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “चूंकि अब प्रवेश की अनुमति नहीं है, हम अपनी छत पर खड़े होकर काम होते हुए देखते हैं.” जेना ने कहा कि जिस जमीन पर मंदिर बन रहा है, वहां ऊंची रेत की पहाड़ियां और बहुत सारे पेड़ हुआ करते थे और यह अक्सर बंगाली फिल्मों की शूटिंग स्थल थी.

उन्होंने कहा, “हमने देव, नुसरत, प्रोसेनजीत और रितुपर्णा जैसे अभिनेताओं को देखा है, लेकिन अब हम तीन देवताओं के हमारे बीच वास करने के लिए और भी अधिक उत्साहित हैं.”

सियासी बवाल 

जब सीएम ममता बनर्जी ने 4 अप्रैल को वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साइट का दौरा किया, तो उन्होंने कहा, “यह जगन्नाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक संरचना नहीं होगी, बल्कि हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रतीक होगी.”

उन्होंने कहा, “इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. यह मंदिर सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ आने और हमारी साझा मान्यताओं का जश्न मनाने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.”

हालांकि, भाजपा ने इस परियोजना की आलोचना की है, विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा है कि “हमारे देश का संविधान सरकारों को किसी भी धार्मिक बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोकता है.”

उन्होंने कहा, “यदि आप राम मंदिर देखते हैं, तो केंद्र सरकार या यूपी सरकार इसका निर्माण नहीं कर रही है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भव्य राम मंदिर का निर्माण कर रहा है.”

पश्चिम बंगाल में भाजपा का दृष्टिकोण ममता पर निशाना साधने पर केंद्रित रहा है, जिसे वे तुष्टिकरण की राजनीति कहते हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि ममता इस हमले से कुछ हद तक प्रभावित हुई हैं, लेकिन मंदिर उनके लिए राजनीतिक लाभ बढ़ा सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक स्निग्धेंदु भट्टाचार्य ने कहा, “ममता बनर्जी और उनकी पार्टी अपने चुनावी अभियान में राज्य सरकार की विकास योजनाओं, [जिसे वे कहते हैं] मोदी सरकार के ‘अलोकतांत्रिक दृष्टिकोण’ और ‘बंगाल के प्रति प्रतिशोधपूर्ण रवैये’ पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं.”

उन्होंने कहा, “मंदिर का उद्घाटन – अगर यह अंततः निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होता है, तो उन्हें मोदी द्वारा हिंदुओं के लिए स्वर्णिम समय लाने की भाजपा की कहानी से लड़ने में मदद मिलेगी.”

भट्टाचार्य के अनुसार, “ममता बनर्जी की हिंदू विरोधी ब्रांडिंग जो भाजपा ने 2014-2021 के दौरान की थी, यह आरोप लगाते हुए कि उनकी सरकार मुसलमानों को खुश करने के लिए दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा को रोकने की कोशिश कर रही है, उसने पिछले तीन-चार वर्षों में बनर्जी के हिंदू समर्थक आउटरीच कार्यक्रम को काफी हद तक कमजोर कर दिया गया है.”

उन्होंने कहा, “इस तरह के मंदिर के उद्घाटन से बनर्जी को हिंदुओं के लिए अपने धार्मिक कार्यों को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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