scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशफेसबुक की प्रतिबंधित सूची में है 'सनातन संस्था' लेकिन इससे जुड़े नफरत फैलाने वाले दूसरे पेज अब भी सक्रिय

फेसबुक की प्रतिबंधित सूची में है ‘सनातन संस्था’ लेकिन इससे जुड़े नफरत फैलाने वाले दूसरे पेज अब भी सक्रिय

फेसबुक की नीति है कि ‘ख़तरनाक’ समझे जाने वाले व्यक्तियों और संगठनों को बैन कर दिया जाता है, अगर वो कोई ऐसी ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करते हैं, जो वास्तविक दुनिया में नुक़सान पहुंचा सकती है.

Text Size:

नई दिल्ली: कई पेज और ग्रुप्स, जिन्हें दो दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़ा माना जाता है और जो कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से उत्तेजक सामग्री पोस्ट करते हैं, फेसबुक पर अभी भी सक्रिय हैं, जबकि अमेरिका स्थित सोशल मीडिया कंपनी को हफ्तों पहले, इनके बारे में अवगत करा दिया गया था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

ये दो संगठन हैं- सनातन संस्था (एसएस) जिसे फेसबुक ने 2020 में ‘खतरनाक’ की सूची में डाला था और इससे संबद्ध हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस). इन संगठनों के सदस्य तर्कवादियों की हत्या में कथित भूमिका के लिए फंसे हैं, जिनमें पत्रकार गौरी लंकेश भी शामिल थीं.

फेसबुक की नीति है कि ‘खतरनाक’ समझे जाने वाले व्यक्तियों और संगठनों को बैन कर दिया जाता है, अगर वो कोई ऐसी ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करते हैं, जो वास्तविक दुनिया में नुकसान पहुंचा सकती है. मंगलवार को मीडिया पोर्टल दि इंटरसेप्ट की ओर से जारी, इन खतरनाक व्यक्तियों और संगठनों की लीक हुई एक लिस्ट के अनुसार, सनातन संस्था उन भारतीय इकाइयों में से है, जिनकी इस रूप में पहचान की गई है. एचजेएस इस सूची में नहीं है.

डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (डीएफआरलैब), जो ऑनलाइन दुष्प्रचार का अध्ययन करती है और वॉशिंगटन स्थित अटलांटिक काउंसिल नाम के एक थिंक टैंक का हिस्सा है, कहती है कि पिछले साल उसने फेसबुक को इन दो संगठनों से जुड़े कई पन्नों और ग्रुप्स के बारे में चेताया था.

डीएफआरलैब के अनुसार, जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 तक की गई रिसर्च, उन्हें 46 फेसबुक पन्नों और 75 समूहों तक ले गई, जो मुस्लिम-विरोधी सामग्री प्रकाशित करने वाले इन दो संगठनों से जुड़े थे. लैब ने अपने निष्कर्षों को दो हिस्सों में प्रकाशित किया- मार्च 2020 और जून 2021 में.

डीएफआरलैब का कहना है कि उन्होंने फेसबुक को सामग्री की सूचना सबसे पहले तब दी थी, जब 2020 में उनके निष्कर्ष प्रकाशित हुए थे, और इस साल उन्होंने और अधिक पन्नों और समूहों के बारे में जानकारी दी है.

ऐसा लगता है कि फेसबुक ने पहली रिपोर्ट पर, अप्रैल 2021 के बाद ही कार्रवाई की है. उस समय टाइम पत्रिका ने सनातन संस्था से जुड़े 30 पन्नों को लेकर फेसबुक से संपर्क किया था, जो सितंबर 2020 में इनके मुख्य पन्नों पर बैन लगने के बाद भी, उस समय तक सक्रिय थे.

लैब का कहना है कि डीएफआरलैब द्वारा फ्लैग किए गए 46 पन्नों में से, फेसबुक ने दो समूहों से जुड़े 35 पन्ने हटा दिए हैं. इस समय 11 पन्ने अभी भी सक्रिय हैं और साथ ही सभी 75 समूह भी एक्टिव हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए, डीएफआरलैब के एक रिसर्च असिस्टेंट आयुष्मान कौल जिन्होंने ये स्टडी की, उन्होंने कहा कि जिन पन्नों और समूहों को फेसबुक ने नहीं हटाया है, उनके अंदर विभाजक सामग्री है.

उन्होंने आगे कहा कि फेसबुक समूह ‘सांप्रदायिक, अपमानजनक, और विभाजक सामग्री के मंच, एचजेएस और एसएस पन्नों के लिंक्स, और सार्वजनिक आयोजनों के लिए एक एग्रीगेटर का काम करता है’.

टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर, फेसबुक ने एक बयान जारी किया, जिसमें ज़ोर देकर कहा गया कि ‘खतरनाक संगठनों के प्रति अपनी पॉलिसी के मद्देनज़र, हम लगातार व्यक्तियों और समूहों की समीक्षा करते रहते हैं और अपनी नीतियों के अनुरूप एक्शन लेते हैं’.

दिप्रिंट ने एसएस और एचजेएस को, उनकी वेबसाइट्स पर दिए गए पतों पर ईमेल किया- जिसमें उनके द्वारा पोस्ट किए जाने वाली कथित मुस्लिम-विरोधी सामग्री और उनके एक दूसरे से संबंधों के बारे में पूछा गया था- लेकिन दोनों में किसी से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.


यह भी पढ़ें: इस बार दशहरा और दिवाली पर कम होंगी खुशियां, क्योंकि दोगुनी से ज्यादा महंगी हो गई हैं सब्जियां


संबंध कैसे स्थापित हुआ

दि मीडियम पर डीएफआरलैब की एक पोस्ट में व्याख्या की गई है कि उन्होंने किस तरह स्थापित किया कि फ्लैग किए गए पन्ने और समूह, एचजेस और एसएस के साथ जुड़े थे.

उसमें कहा गया है, ‘बहुत से मौकों पर, एक ही सामग्री को कुछ मिनटों के अंदर कई पन्नों पर पोस्ट किया गया था, जिससे पेज संचालकों के बीच समन्वय का संकेत मिलता है’.

एक और संकेत ये है कि समूहों और पन्नों के इस नेटवर्क का इस्तेमाल, एचजेएस के आयोजनों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, जहां ‘आमंत्रित मुख्य वक्ताओं में आमतौर पर एसएस के सदस्य, स्थानीय बीजेपी नेता और मीडिया की दक्षिणपंथी हस्तियां शामिल होती हैं’.

उसमें आगे कहा गया है, ‘फेसबुक पन्नों के नेटवर्क का इस्तेमाल, एचजेएस और एसएस की ओर से आयोजित साझा कार्यक्रमों को प्रसारित करने में भी किया जाता है. पन्नों पर बहुत सी पोस्ट्स जो प्रत्यक्ष रूप से एचजेएस से संबद्ध हैं और जिन्हें व्यापक नेटवर्क पर और बढ़ा दिया जाता है, उनमें एसएस से लिए गए ग्राफिक्स इस्तेमाल किए जाते हैं’.

डीएफआरलैब निष्कर्ष भले ही एसएस और एचजेएस को एक दूसरे से जोड़ते हों, लेकिन टाइम पत्रिका में एक एसएस प्रवक्ता का, ये कहते हुए हवाला दिया गया है कि वो दोनों अलग लेकिन ‘समान सोच वाले संगठन हैं, जो एक साझा लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं’. प्रवक्ता ने हत्या के आरोपों से भी इनकार किया.

लेकिन, दोनों को सहयोगी संस्थाओं के तौर पर जाना जाता है, जो साथ मिलकर काम करती हैं. मसलन, एचजेएस वेबसाइट चंदा मांगती है और चंदे का जो पता दिया गया है, वो गोवा में सनातन संस्थान का है.


यह भी पढ़ें: सेना में महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ यौन शोषण के बढ़ते मामलों की अनदेखी नहीं की जा सकती, चुप्पी नहीं साध सकते


क्या है सामग्री

कौल ने कहा कि 11 पन्ने ‘जो अभी भी सक्रिय हैं लगातार सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री पोस्ट कर रहे हैं लेकिन इस्लामोफोबिया के कुछ ज़्यादा प्रकट रूप (जैसे मुस्लिम गोल टोपियों की छाया दिखाना) बंद कर दिए गए हैं.

उनमें से एक पेज ‘हिंदू जनजागृति समिति सनातन’ कहलाता है और उसके 402 फॉलोअर्स हैं. 2016 की एक पोस्ट में कथित रूप से एक रस्म को दिखाया गया है, जिसमें मुसलमान लोग ऊंचाई से एक छोटे बच्चे को फेंक रहे हैं और कुछ लोग एक चादर लेकर बच्चे को पकड़ने के लिए नीचे खड़े हैं. उसके साथ लिखा गया है, ‘दही हांडी (एक हिंदू कर्मकांड) पर प्रतिबंध है और वो पागलपन है लेकिन ये कानूनी है. शामिल हों और समर्थन करें-हिंदी संहति’.

उन्होंने 75 फेसबुक समूहों में से 3 के लिंक्स साझा किए, जिनमें एक ग्रुप ‘महाकाल डेली दर्शन’ कहा जाता है, जिसके 2,82,000 सदस्य हैं. ग्रुप पर की गई पोस्ट्स में 2019 की एक पोस्ट है, जिसमें ‘असम में 700 मुसलमानों’ पर ‘सामूहिक छेड़छाड़’ के प्रयास का आरोप लगाया गया है.

कौल ने कहा कि फेसबुक ने ‘नेटवर्क के कुछ सबसे लोकप्रिय पन्नों को हटाने का फैसला किया है’. उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने हमें कोई और टिप्पणी या स्पष्टीकरण नहीं दिया कि कौन से पेज हटाने हैं और कौन से छोड़ने हैं, ये फैसला उन्होंने किस तरह लिया’.

जब दिप्रिंट ने फेसबुक को ई-मेल करके पूछा कि एचजेएस ‘खतरनाक’ सूची में क्यों नहीं है, तो एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी की ‘नीति इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि हम मंच पर ऐसे समूहों की अनुमति नहीं देते, जो किसी हिंसक मिशन को बढ़ावा देते हों, या हिंसा में लिप्त हों’.

प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘नामित करने की प्रक्रिया गतिशील और निरंतर होती है, जो किसी नई मिली जानकारी या गतिविधि पर आधारित होती है, ‘खतरनाक संगठनों के प्रति अपनी पॉलिसी के मद्देनज़र, हम व्यक्तियों और समूहों की लगातार समीक्षा करते रहते हैं और अपनी नीतियों के अनुरूप एक्शन लेते हैं. ऐसे फैसले धार्मिक संबंधों पर आधारित नहीं होते’.

निष्कर्षों के आने से कुछ दिन पहले ही एक फेसबुक व्हिसिलब्लोअर ने आरोप लगाया था कि कंपनी को मालूम था कि आरएसएस मुस्लिम-विरोधी कथानक को बढ़ावा देती है लेकिन इसे रोकने के लिए उसने कोई एक्शन नहीं लिया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने की शस्त्र पूजा, कहा- शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ, उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है


 

share & View comments