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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश‘सनातन ही शाश्वत है’, विश्व हिंदू कांग्रेस में कहा गया: हमें 'हिंदुइज्म' नहीं 'हिंदू नेस' कहा जाए

‘सनातन ही शाश्वत है’, विश्व हिंदू कांग्रेस में कहा गया: हमें ‘हिंदुइज्म’ नहीं ‘हिंदू नेस’ कहा जाए

इसमें कहा गया, "हिंदू धर्म उन सभी चीजों का प्रतीक है जो शाश्वत रूप से हर चीज को कायम रखता है. यह एक व्यक्ति, एक परिवार, एक समुदाय, एक समाज और यहां तक ​​कि प्रकृति, चाहे वह जीवित हो या निर्जीव दोनों, में विश्वास रखता है."

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नई दिल्ली: विश्व हिंदू कांग्रेस के दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण घोषणा को अपनाया गया कि अब से ‘हिंदू धर्म’ को ‘हिंदू-नेस’ कहा जाए. विश्व हिंदू कांग्रेस शुक्रवार को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में शुरू हुई, जिसमें 61 देशों के 2000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया,

इसमें घोषणा की गई कि ‘हिंदू धर्म’ वैश्विक हिंदू समुदाय और उसे अंदर छुपी अच्छाई को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है.

घोषणा में कहा गया कि ‘हिंदू धर्म’ के पहले शब्द ‘हिंदू’ का अर्थ ‘असीमित’ है, जो उनके ‘सनातन’ यानी शाश्वत को दर्शाता है.

घोषणा में कहा गया है, “हिंदू’ शब्द के बाद ‘धर्म’ आता है, जिसका अर्थ है जो बनाए रखता है.”

इसमें आगे कहा गया, “इस प्रकार हिंदू धर्म उन सभी चीजों का प्रतीक है जो शाश्वत रूप से हर चीज को कायम रखता है. यह एक व्यक्ति, एक परिवार, एक समुदाय, एक समाज और यहां तक ​​कि प्रकृति, चाहे वह जीवित हो या निर्जीव दोनों, में विश्वास रखता है.”

इसमें कहा गया, “लेकिन इसके विपरीत हिंदू धर्म पूरी तरह से अलग है क्योंकि इसमें ‘इज़्म’ जुड़ा हुआ है. ‘इज़्म’ शब्द को एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण या विश्वास के रूप में परिभाषित किया गया है. उन्नीसवीं सदी के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका में यह वाक्यांश ‘इज़्म’ का इस्तेमाल सामूहिक रूप से कट्टरपंथी सामाजिक सुधार आंदोलनों और विभिन्न गैर-मुख्यधारा के आध्यात्मिक या धार्मिक आंदोलनों को अपमानजनक तरीके से संदर्भित करने के लिए किया गया था.”

इसमें आगे कहा गया, “किसी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ‘हिंदू धर्म’ शब्द को लोकप्रिय शब्दकोष में सर मोनियर-मोनियर विलीमास ने अपनी हैंडबुक ‘हिंदूइज्म’ के माध्यम से पेश किया था. इस हैंडबुक को 1877 में सोसाइटी फॉर प्रमोटिंग क्रिश्चियन नॉलेज द्वारा प्रकाशित किया गया था. यह बौद्धिक रूप से बेईमान शब्दावली है जो पिछले 150 वर्षों में वीभत्स हिंदू-विरोधी आख्यानों का बीज है. यही कारण है कि हमारे कई बुजुर्गों ने हिंदू धर्म की तुलना में ‘हिंदुत्व’ शब्द को प्राथमिकता दी, क्योंकि पहले वाला अधिक सटीक शब्द है. इसमें ‘हिंदू’ शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं. हम उनसे सहमत हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए.”

इसमें कहा गया है कि हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है, इसका सीधा सा अर्थ है ‘हिंदू-पन’.

घोषणा में कहा गया, “अन्य लोगों ने वैकल्पिक ‘सनातन धर्म’ का उपयोग किया है, जिसे अक्सर ‘सनातन’ के रूप में संक्षिप्त कर बताया जाता है. हालांकि, वर्तमान चर्चा में कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी नियमित रूप से हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विपरीत के रूप में चित्रित करते हैं, यानी बेहद नकारात्मक रूप से. उनमें से कुछ अपनी अज्ञानता के कारण ऐसा तर्क देते हैं. लेकिन अधिकांश हिंदू धर्म के प्रति अपनी गहरी नफरत और पूर्वाग्रहों के कारण हिंदुत्व विरोधी हैं. राजनीतिक एजेंडे और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई राजनेता भी उस समूह में शामिल हो गए हैं और सनातन धर्म की आलोचना कर रहे हैं.”

यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि DMK नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए ‘सनातन धर्म’ के खिलाफ बयान दिया था, जिसमें उन्होंने इसे “बुखार, मलेरिया, डेंगू और कोरोना” के बराबर बताया था और इसे खत्म करने के लिए कहा था.

इस टिप्पणी पर बीजेपी और हिंदू संतों ने नाराजगी जताई थी, जिन्होंने मांग की कि DMK नेता अपने शब्द वापस लें और बिना शर्त माफी मांगें.

घोषणा में कहा गया, “वैश्विक हिंदू समुदाय की ओर से विश्व हिंदू कांग्रेस घोषणा करती है कि हिंदुत्व या सनातन धर्म या फिर हिंदू धर्म की ऐसी दुर्भावनापूर्ण आलोचना वास्तव में हिंदू समाज और उसमें जो कुछ भी सुंदर, उचित, अच्छा और महान है, उसे लक्षित करती है.” 

इसमें आगे कहा गया, “वास्तव में ये अच्छाई के खिलाफ हमला है. विश्व हिंदू कांग्रेस ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करती है और दुनिया भर के हिंदुओं से संगठित वैश्विक प्रयासों के माध्यम से हिंदुत्व की अभिव्यक्ति और ऐसे हिंदू विरोधी हमलों और कट्टरता में शामिल लोगों पर काबू पाने का आग्रह करती है ताकि हम विजयी हों.”


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