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Saturday, 21 December, 2024
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सबरीमाला: मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में केरल बंद

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केरल बंद को भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का समर्थन है. मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा- भक्त नहीं फैला रहे हिंसा, यह दूसरे लोगों का काम है.

तिरुवनंतपुरम: सबरीमाला कर्म समिति द्वारा गुरुवार को बुलाए गए राज्यव्यापी बंद का व्यापक असर दिखाई दे रहा है. राज्य में सिर्फ इक्का-दुक्का वाहन चलते दिखाई दे रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक के इस बंद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का समर्थन है. यह बंद बुधवार को प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के हमले को लेकर बुलाया गया है.

ये प्रदर्शनकारी 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश को मंजूरी मिलने देने का विरोध कर रहे थे. कोझीकोड, मलप्पुरम व यहां के कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम के बसों पर पथराव किया, जिसके बाद उनका संचालन रोक दिया गया.

महानवमी के मौके पर सभी राज्य व केंद्र सरकार के कार्यालय, बैंक व शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. दुकानें व बाजार भी बंद है. तिरुवनंतपुरम व कोच्चि के आईटी पार्क में भी लोगों की कम मौजूदगी रही. बंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ा उन्हें स्टेशनों से टैक्सी व सार्वजनिक वाहनों पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

भगवान अयप्पा का मंदिर बुधवार को शाम पांच बजे मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया. सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले के बाद बुधवार को पहली बार मंदिर खोला गया. सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर के अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी.

दिल्ली की महिला पत्रकार को सबरीमाला में प्रवेश से रोका

प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच गुरुवार को दिल्ली की एक महिला पत्रकार को प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ ने आगे बढ़ने नहीं दिया. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के लिए भारत की संवाददाता सुहासिनी राज अपने साथी के साथ पंबा तक पहुंच गईं थी लेकिन गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया और उनके सामने मानवश्रृंखला बनाकर खड़े हो गए.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने दोनों पत्रकारों को लौटने पर मजबूर कर दिया. सुहासिनी प्रदर्शनकारियों से यह कहती रहीं कि वह यहां पूजा करने नहीं बल्कि अपने काम के सिलसिले में आई हैं.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, भक्तों का यह बहुत बड़ा प्रदर्शन था. प्रदर्शनकारी रास्ते में बैठे थे और नारे लगा रहे थे. उसके पास कोई और रास्ता नहीं था और उसे मजबूरन लौटना पड़ा.

वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम रेंज के आईजीपी ने बताया कि हम सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षा दे रहे हैं. यह हमारा कर्तव्य है. सभी रास्तों को सुरक्षित करने के लिए हम और ज्यादा लोगों को सुरक्षा में तैनात कर रहे हैं. पत्रकार सुहासिनी राज को वापस आने के लिए दबाव नहीं बनाया गया था लेकिन वह वापस आ गई.

सर्वोच्च न्यायालय के 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने वाले आदेश का विरोध कर रहे कुछ संगठनों और पुलिस के बीच बुधवार को झड़पे हुईं. जिला प्रशासन ने मंदिर परिसर के 30 वर्ग किलोमीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर रखी है और राज्य में हिंदूवादी संगठन के आह्वान पर गुरुवार को राज्य में बंद का आह्वान किया गया है. इसमें शामिल संगठन को भाजपा का समर्थन प्राप्त है.

मुख्य पुजारी ने कहा, भक्त नहीं फैला रहे हिंसा

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी कंदारारू राजीवरू ने कहा, ‘स्थिति बहुत खतरनाक हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ज्यादातर श्रद्धालु गुस्से में हैं. मेरी विनती है कि मंदिर की प्रणाली को बनाए रखें. मैं हिंसा से सहमत नहीं हूं. यह भक्तों के द्वारा नहीं बल्कि दूसरे लोगों के द्वारा फैलाई जा रही है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट केवल कानून के बारे में सोच रहा है लेकिन परंपरा के बारे में नहीं सोच रहा. ज्यादातर श्रद्धालु चाहते हैं कि पुरानी परंपरा को जारी रखा जाए. मेरी केवल एक ही विचारधारा है कि पुरानी परंपरा को स्थापित करना चाहिए.’

वहीं, केरल भाजपा के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने महिला पत्रकारों पर हो रहे हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह योजना सीपीआईएम के लोगों की बनाई हुई है, वही यह सब कर रहे हैं. 300 पुलिसवाले जिनकी ट्रेनिंग पूरी नहीं हुई है, उन्हें यहां लाया गया है जिससे ऐसी स्थिति बनी है.’

(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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