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Monday, 4 November, 2024
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ऑड्री ट्रश्के के ट्वीट पर बवाल- एएमयू के छात्रों की नसें, उंगलियां कटने की थी बात

रटगर्स यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने आज सुबह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ हुई हिंसा का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा कि वहां के कुछ छात्रों की नसें और उंगलियां काट दी गईं.

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों ने देशभर को झकझोर कर रख दिया है. इस बीच ट्विटर भी युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुका है जिसकी नई शिकार प्रोफेसर ऑड्री ट्रश्के हैं. ऑड्री अमेरिका के न्यू जर्सी की रटगर्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई इतिहास पढ़ाती हैं.

ट्रश्के ने आज सुबह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ हुई हिंसा का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा कि वहां के कुछ छात्रों की नसें और उंगलिया काट दी गईं हैं.

उन्होंने लिखा कि ‘एक अध्यापक और इंसान होने के नाते मैं डरी हुई हूं’.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के परिसर में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध से माहौल बिगड़ गया था, जिसमें पुलिस द्वारा हिंसा कि ख़बरें भी सामने आयी थीं. यहां के छात्र एक दिन पहले जामिया के छात्रों पर पुलिस द्वारा हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.

ख़बरों के अनुसार, इस घटना में करीब 70 लोग घायल हुए, जिनमें छात्र, 20 पुलिसकर्मी और कुछ गार्ड भी शामिल थे. आने वाले कुछ दिनों तक छात्रों के गंभीर रूप से घायल होने कि खबरें भी सामने आती रहीं.

यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच के लिए एक-सदस्य न्यायिक मंडल नियुक्त किया है जिसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता आंतरिक जांच करेंगे.

‘आपका गुस्सा यहां नहीं कहीं और होना चाहिए’

ट्रश्के के ट्वीट को कई लोगों ने आड़े हाथों लिया और उनके दावों की सत्यता पर सवाल दागे. न्यूज़ एजेंसी एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने कहा कि किसी पढ़े-लिखे इंसान द्वारा बिना जांचे ऐसा ट्वीट करना भयानक है.

पत्रकार और लेखिका सबा नक़वी ने भी कहा कि ऑड्री को इस भय के माहौल में कुछ भी शेयर करने से पहले खबर के बारे में निश्चित होना चाहिए था.

ट्वीट के कारण उठे विवाद को देखते हुए प्रोफेसर ट्रश्के को अपने बचाव में उतरना पड़ा. उन्होंने ये ट्वीट किया कि उन्हें ये जानकारी एक भरोसेमंद सूत्र से मिली थी और इंटनरेट बंद होने के हालातों में किसी खबर को आम दिनों की तरह सत्यापित नहीं किया जा सकता.

एक अन्य ट्वीट में, उन्होंने लोगों से अपील की अपना गुस्सा उनकी तरफ निकालें जो ‘इंटरनेट बंद कर रहे हैं और मीडिया को मौन रहने पर मजबूर कर रहे हैं.’

ऐसे में कुछ लोग अन्य सूत्रों द्वारा इस खबर का हवाला दिए जाने की बात कहकर ट्रश्के के बचाव में उतरे. एक ट्विटर यूजर ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने भी ट्रश्के के आरोपों का ज़िक्र किया है. वहीं एक अन्य यूजर ने टेलीग्राफ कि रिपोर्ट में इन आरोपों के शामिल होने कि बात कही.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के आधार पर एक अन्य यूजर ने ट्रश्के के दावों को समर्थन की कोशिश की.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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