नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों ने देशभर को झकझोर कर रख दिया है. इस बीच ट्विटर भी युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुका है जिसकी नई शिकार प्रोफेसर ऑड्री ट्रश्के हैं. ऑड्री अमेरिका के न्यू जर्सी की रटगर्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई इतिहास पढ़ाती हैं.
ट्रश्के ने आज सुबह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ हुई हिंसा का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा कि वहां के कुछ छात्रों की नसें और उंगलिया काट दी गईं हैं.
उन्होंने लिखा कि ‘एक अध्यापक और इंसान होने के नाते मैं डरी हुई हूं’.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के परिसर में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध से माहौल बिगड़ गया था, जिसमें पुलिस द्वारा हिंसा कि ख़बरें भी सामने आयी थीं. यहां के छात्र एक दिन पहले जामिया के छात्रों पर पुलिस द्वारा हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.
ख़बरों के अनुसार, इस घटना में करीब 70 लोग घायल हुए, जिनमें छात्र, 20 पुलिसकर्मी और कुछ गार्ड भी शामिल थे. आने वाले कुछ दिनों तक छात्रों के गंभीर रूप से घायल होने कि खबरें भी सामने आती रहीं.
यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच के लिए एक-सदस्य न्यायिक मंडल नियुक्त किया है जिसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता आंतरिक जांच करेंगे.
‘आपका गुस्सा यहां नहीं कहीं और होना चाहिए’
ट्रश्के के ट्वीट को कई लोगों ने आड़े हाथों लिया और उनके दावों की सत्यता पर सवाल दागे. न्यूज़ एजेंसी एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने कहा कि किसी पढ़े-लिखे इंसान द्वारा बिना जांचे ऐसा ट्वीट करना भयानक है.
Educated? https://t.co/hcUZLYFcQH
— Shoonya (@VGarg12) December 22, 2019
पत्रकार और लेखिका सबा नक़वी ने भी कहा कि ऑड्री को इस भय के माहौल में कुछ भी शेयर करने से पहले खबर के बारे में निश्चित होना चाहिए था.
Dear @AudreyTruschke you have to be certain before putting out such information no matter how carried away in the heat of moment. People are afraid enough as it is.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) December 22, 2019
ट्वीट के कारण उठे विवाद को देखते हुए प्रोफेसर ट्रश्के को अपने बचाव में उतरना पड़ा. उन्होंने ये ट्वीट किया कि उन्हें ये जानकारी एक भरोसेमंद सूत्र से मिली थी और इंटनरेट बंद होने के हालातों में किसी खबर को आम दिनों की तरह सत्यापित नहीं किया जा सकता.
Folks—I’m getting a lot of pushback on this. I have this from a source I trust. I recognise that we can’t apply normal verification standards given the internet shutdowns, etc.
All that said, I sure hope I’m wrong.
— Audrey Truschke (@AudreyTruschke) December 22, 2019
एक अन्य ट्वीट में, उन्होंने लोगों से अपील की अपना गुस्सा उनकी तरफ निकालें जो ‘इंटरनेट बंद कर रहे हैं और मीडिया को मौन रहने पर मजबूर कर रहे हैं.’
Last thought of today (day is ending for us India-focused in New Jersey):
Many are angry at me that we cannot apply usual journalism standards to verify what’s happening in India. Your anger is misplaced. Direct your ire at those turning off the internet and silencing the media.
— Audrey Truschke (@AudreyTruschke) December 22, 2019
ऐसे में कुछ लोग अन्य सूत्रों द्वारा इस खबर का हवाला दिए जाने की बात कहकर ट्रश्के के बचाव में उतरे. एक ट्विटर यूजर ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने भी ट्रश्के के आरोपों का ज़िक्र किया है. वहीं एक अन्य यूजर ने टेलीग्राफ कि रिपोर्ट में इन आरोपों के शामिल होने कि बात कही.
Express report corroborating Ms.Truschke's tweet. Can ANI do real journalism?
"Six injured students continue to be in hospital, while the right hand of one has had to be amputated at the wrist. Doctors fear two others may have to undergo amputation."https://t.co/Eq2wolzAG3
— Roshan (@RoshanReach) December 22, 2019
For those who want proof. pic.twitter.com/NAz4C0rIV8
— Sabina Ahmed (@sabinaahmed22) December 22, 2019
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के आधार पर एक अन्य यूजर ने ट्रश्के के दावों को समर्थन की कोशिश की.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)