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Sunday, 17 November, 2024
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लूना-25 के क्रैश होने के बाद रूस का चंद्रमा मिशन फेल, दुनिया की निगाहें अब भारत के चंद्रयान-3 पर

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस के स्टेट अंतरिक्ष निगम, रोस्कोस्मोस ने कहा कि शनिवार को एक समस्या पैदा होने के तुरंत बाद अंतरिक्ष यान से उसका संपर्क टूट गया.

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मॉस्को/नई दिल्ली : रूस का चंद्रमा मिशन फेल हो गया. रविवार को जर्मनी के डीडब्ल्यू न्यूज ने अंतरिक्ष निगम रोस्कोस्मोस का हवाला से यह रिपोर्ट दी है. वहीं रॉयटर्स ने रविवार को बताया कि रूस का चंद्रमा मिशन उसके लूना-25 अंतरिक्ष यान के नियंत्रण से बाहर हो जाने और चंद्रमा से टकराने के बाद फेल हो गया है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के स्टेट अंतरिक्ष निगम, रोस्कोस्मोस ने कहा कि शनिवार को एक समस्या पैदा होने के तुरंत बाद अंतरिक्ष यान से उसका संपर्क टूट गया, इसे शनिवार को प्री-लैंडिंग कक्षा में भेज दिया गया था.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रोसकोसमोस ने एक बयान में कहा, “उपकरण समूह एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह के साथ टकराने के परिणामस्वरूप इसका अस्तित्व खत्म हो गया है.”

रूस ने शुक्रवार यानी 11 अगस्त को 47 वर्षों में देश का पहला चंद्र मिशन लूना-25 लॉन्च किया था. रूस स्थित TASS समाचार एजेंसी ने बताया था कि लूना-25 ने रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन लॉन्च सुविधा से उड़ान भरी थी.


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अब दुनिया की निगाहें भारत के चंद्रयान-3 पर

अब सभी की निगाहें भारत पर होंगी, जिसका चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान बुधवार (23 अगस्त) को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 (बुधवार) को लगभग 18:04 IST पर चंद्रमा पर उतरने को तैयार है. अंतरिक्ष यान अब अपने अंतिम गंतव्य, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से केवल तीन दिन दूर है.

इसरो अपने स्पेसक्रॉफ्ट को चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास कर रहा है, जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

इसरो ने रविवार को ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा है, “चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 को लगभग आईएसटी 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है. शुभकामनाओं और सकारात्मकता के लिए धन्यवाद! आइए एक साथ यात्रा का अनुभव जारी रखें.”

इसकी लाइव गतिविधियां इसरो वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, फेसबुक और सार्वजनिक प्रसारक डीडी नेशनल टीवी पर 23 अगस्त, 2023 को 17:27 IST पर उपलब्ध होंगी.

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान बनता

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, सोयुज-2 फ्रीगेट रॉकेट पर लॉन्च किए गए लूना 25 ने शुक्रवार को सुबह 8:10 बजे (स्थानीय समय) उड़ान भरी थी. टीएएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रक्षेपण के लगभग 564 सेकंड बाद फ्रीगेट बूस्टर रॉकेट के तीसरे चरण से अलग हो गया था. लॉन्च के करीब एक घंटे बाद लूना-25 अंतरिक्ष यान बूस्टर से अलग हो गया था.

बोगुस्लाव्स्की क्रेटर क्षेत्र तक पहुंचने से पहले अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर 3 से 7 दिन बिताता. इस बीच, मैन्ज़िनस और पेंटलैंड-ए क्रेटर को वैकल्पिक लैंडिंग साइट के रूप में नामित किया गया था.

मिशन का प्राथमिक लक्ष्य सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक को बेहतर बनाना था. टीएएसएस ने यह अनुमान जताया था कि यह मिशन पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन सकता है.

चंद्रयान-3 से हल्का होने के नाते चांद पर जल्दी पहुंचता

बेंगलुरु के भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के वैज्ञानिक क्रिसफिन कार्तिक ने कहा था, ‘‘क्या होड़ से फर्क पड़ेगा? ब्रह्मांडीय अन्वेषण के विशाल दायरे में, पहुंचने का क्रम चंद्र परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं कर सकता है. फिर भी, प्रत्येक मिशन से प्राप्त ज्ञान चंद्रमा के अतीत और क्षमता के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करेगा. मूल्य हमारे संयुक्त प्रयासों के योग में निहित है.’’

दोनों मिशन के अलग-अलग पहुंचने के समय का एक प्रमुख कारक उनका संबंधित द्रव्यमान और ईंधन दक्षता है. लूना-25 का भार केवल 1,750 किलोग्राम है, जो चंद्रयान-3 के 3,800 किलोग्राम से काफी हल्का है. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार यह कम द्रव्यमान लूना-25 को अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ के. सिवन ने बताया था कि इसके अलावा, लूना-25 का अधिशेष ईंधन भंडारण ईंधन दक्षता संबंधी चिंताओं को दूर करता है, जिससे यह अधिक सीधा मार्ग अपनाने में सक्षम होता है. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, चंद्रयान-3 की ईंधन वहन क्षमता के अवरोध के कारण चंद्रमा तक अधिक घुमावदार मार्ग की जरूरत है.

चांद पर 1 साल रहता- पानी, प्राकृतिक संसाधनों की तलाश था लक्ष्य

अंतरिक्ष यान पानी सहित प्राकृतिक संसाधनों की तलाश और चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष किरणों और विद्युत चुम्बकीय उत्सर्जन के प्रभावों का विश्लेषण करता. लूना 25, जिसे लूना-ग्लोब-लैंडर भी कहा जाता है, एक वर्ष तक चंद्रमा की ध्रुवीय मिट्टी की संरचना और बहुत पतले चंद्र बाह्यमंडल, या चंद्रमा के अल्प वातावरण में मौजूद प्लाज्मा और धूल का अध्ययन करने वाला होता.

लैंडर में कई कैमरे लगे थे और वे लैंडिंग के टाइमलैप्स फुटेज और चंद्रमा के दृश्य की एचडीआर वाइड-एंगल छवि बनाता. TASS ने बताया था कि लूना-25 पूर्व-क्रमादेशित अवधि के दौरान और पृथ्वी से एक संकेत के बाद अपने कैमरे घुमाएगा.

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने बयान में कहा था, “लैंडर का चार पैरों वाला आधार है जिसमें लैंडिंग रॉकेट और प्रोपेलेंट टैंक हैं, एक ऊपरी डिब्बे में सौर पैनल, संचार उपकरण, ऑन-बोर्ड कंप्यूटर और अधिकांश सामान हैं.” विज्ञान उपकरण.”

रूस और भारत के मिशनों पर लगी थीं दुनिया की निगाहें

विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्रयान-3 की योजना चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन बनने की है, वहीं लूना-25 के तेजी से कक्षा तक पहुंचने की होड़ ने इस पर नयी रोशनी डाली है. दोनों की लैंडिंग की तारीखें- लूना-25 के लिए 21-23 अगस्त थीं जबकि चंद्रयान के लिए 23-24 अगस्त, जिससे दुनिया की निगाहें इन दोनों अभियान पर हैं.

1976 में सोवियत युग के लूना-24 मिशन के बाद लगभग पांच दशकों में पहली बार, 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष में भेजा गया. इसने चंद्रमा के लिए अधिक सीधे रास्ते को अपनाया है. संभावित रूप से यह लगभग 11 दिन में 21 अगस्त तक लैंडिंग का प्रयास करने में सफल हो जाता.

तेज यात्रा का श्रेय मिशन में इस्तेमाल यान के हल्के डिजाइन और कुशल ईंधन भंडारण को दिया गया है, जो इसे अपने गंतव्य तक छोटा रास्ता तय करने में सक्षम बनाता है.

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पर हैं खास संभावनाएं

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपने संभावित जल संसाधनों और अद्वितीय भूवैज्ञानिक विशेषताओं के कारण विशेष रुचि जगाता है. अपेक्षाकृत अज्ञात क्षेत्र भविष्य के चंद्र मिशन के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का आगामी आर्टेमिस-तीन मिशन भी शामिल है, जिसका उद्देश्य पांच दशक के अंतराल के बाद मानव को चंद्रमा पर ले जाना है.

कार्तिक ने कहा था, ‘‘चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अज्ञात क्षेत्र हमें हमारे आकाशीय पड़ोसी के बारे में अधिक गहन अंतर्दृष्टि को उजागर करने का वादा करता है. चंद्रमा पर हमारा मिशन अज्ञात का पता लगाने के हमारे संकल्प का एक प्रमाण है.’’

उन्होंने कहा था, ‘‘चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव वैज्ञानिक अवसरों का खजाना प्रदान करता है. इस क्षेत्र की खोज से मूल्यवान जानकारी प्राप्त होगी, जो चंद्रमा के इतिहास और विकास के बारे में हमारी समझ में योगदान देगी.’’

विशेषज्ञों का कहना है कि मिशन के निष्कर्ष न केवल चंद्रमा के पर्यावरण के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करेंगे, बल्कि भविष्य के चंद्र अन्वेषण प्रयासों का मार्ग भी प्रशस्त करेंगे.

सिवन ने कहा था, ‘‘इन मिशन के माध्यम से, हम नयी तकनीकी क्षमताएं हासिल करेंगे जो अंतरिक्ष अन्वेषण में हमारी विशेषज्ञता का विस्तार करेगी. प्रत्येक मिशन में अभूतपूर्व विज्ञान प्रयोगों की क्षमता है जो चंद्रमा के रहस्यों के बारे में हमारी समझ को व्यापक बनाएगी.’’


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