नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी विवेक अग्निहोत्री की फिल्म दि कश्मीर फाइल्स के समर्थन में खड़ा हो गया है. संघ ने इसे ‘ऐतिहासिक वास्तविकता’ का लिखित प्रमाण क़रार देते हुए कहा, ‘ये सब सच्चाई है और इसे सच्चाई के तौर पर ही पीढ़ियों के सामने पेश किया जाना चाहिए.
इस तरह के बयान आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य राम माधव और संगठन के सहसरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) अरुण कुमार ने, संघ विचारक रतन शारदा और यशवंत पाठक की पुस्तक, ‘कनफ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन, दि आरएसएस वे’ के विमोचन के मौक़े पर दिए. पुस्तक में आरएसएस के संकल्पों की बात की गई है, और बताया गया है कि संगठन ने किस तरह, कश्मीर, पंजाब, और उत्तरपूर्व जैसे क्षेत्रों में, ‘संघर्ष के समाधान’ के लिए काम किया.
राम माधव ने कश्मीर फाइल्स को ‘ऐतिहासिक वास्तविकता’ का लिखित प्रमाण क़रार दिया. उन्होंने कहा, ‘लोग दि कश्मीर फाइल्स के बारे में बातें कर रहे हैं. ये सब सच्चाई है और इसे सच्चाई के तौर पर ही, पीढ़ियों के सामने पेश किया जाना चाहिए.’
इसी दौरान अरुण कुमार ने कहा: ‘दि कश्मीर फाइल्स अब सार्वजनिक संवाद में हावी हो गई है, इस फिल्म पर व्यापक रूप से चर्चा और बहस हो रही है. फिल्म में 1991 से 1994 के बीच के इतिहास को बताया गया है. उस दौरान आरएसएस कई चीज़ें कर रहा था, जिनके कई आयाम थे. संगठन उस समय कश्मीर बचाओ आंदोलन की अगुवाई कर रहा था.’
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस वह संगठन है, जो सरकार पर कश्मीर को सेना के हवाले करने का दवाब डाल रहा था. उन्होंने दावा किया, ‘हमें लगा कि कश्मीर की कमान सेना के हाथ में होनी चाहिए. वहां पर हिंदू ख़ौफज़दा थे, आरएसएस जवाबी हमला करने में हिंदुओं की मदद कर रहा था. हम जानते थे कि अगर सभी हिंदू कश्मीर से चले गए, तो वे (पाकिस्तान) जीत जाएंगे. उनका एजेण्डा पूरा हो जाएगा.’
कुमार ने आगे कहा, ‘हमने ठान रखी थी कि हम कश्मीरियों को, उनकी जन्मभूमि कश्मीर से अलग नहीं होने देंगे. उन्हें अस्थायी तौर पर भागना पड़ा था, लेकिन वे अपनी मातृभूमि को लौटेंगे’.
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‘मुसलमानों और ईसाइयों को RSS के क़रीब ला रहे हैं’
राम माधव ने कहा कि संघ ने कभी ‘किसी को अपना दुश्मन’ नहीं समझा था. उन्होंने आगे कहा, ‘वे सब हमारे भाई हैं. हम सब का ताल्लुक़ एक ही वंश और पूर्वजों से है. हम उनकी तरफ हाथ बढ़ाना चाहते हैं और उन्हें (मुसलमानों, ईसाइयों) अपने क़रीब लाना चाहते हैं, ताकि वे हमें अपने विरोधियों के तौर पर न देखें. उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि वे हम में से नहीं हैं.’
हालांकि, इसी का समर्थन करते हुए कुमार ने आगे कहा, कि आरएसएस ‘एक देश, एक लोग’ में विश्वास करती है और वह कभी लोगों के बीच विभाजन नहीं करना चाहती.
उन्होंने आगे कहा, ‘एक पूरा माहौल है जो हमारे खिलाफ चल रहा है. वे ज़मीन से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन हम हैं. हम 10 दिन के भीतर तक़रीबन आधी आबादी तक पहुंच सकते हैं, ये संघ की पहुंच है. लोग हमारे साथ जुड़ते हैं और अगर हमने कुछ ग़लत किया होता, तो ये देश हमें ख़ारिज कर चुका होता. तूफान आते और जाते रहते हैं, वे कुछ हिस्सों में तबाही लाते हैं, लेकिन समाज फिर से बन जाता है और चीज़ें पहले से ज़्यादा मज़बूत होकर उभरती हैं.’
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