नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू कराने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) काफ़ी सक्रिय नज़र आ रहा है. इसे लागू किए जाने को लेकर संघ ने मांग की है कि केंद्र सरकार इसके लिए जल्द ही एक समिति का गठन करे. संघ से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के एक ऑनलाइन वर्कशॉप के दौरान संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख प्रोफेसर अनिरुद्ध देशपांडे ने समिति के गठन की मांग को सामने रखा.
देशपांडे ने कहा, ‘इसके क्रियान्वयन में सब कुछ सरकार करे यह उचित नहीं है. हमारा भी दायित्व है कि स्वयं इसके लिए भागीदारी करें. अनुकूल वातावरण बना है, इसका लाभ लेते हुए स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर विश्व का मार्गदर्शन करने का समय है.’
शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए रविवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में भी नीति को लागू किए जाने के लिए जल्द ही देश के प्रमुख शिक्षाविदों के नेतृत्व में एक समिति के गठन की मांग है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचारों, बौद्धिकता और कार्य व्यवहार से भारतीय बनें.
वर्कशॉप के दौरान मांग की गई कि केंद्र सरकार राज्यों में शिक्षा नीति को लागू किए जाने के लिए राज्य स्तर पर समितियों के गठन से जुड़ा निर्देश जारी करे और केंद्रीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के स्तर पर नीति को लागू करने के लिए समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाए.
इस दौरान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने दिप्रिंट को जानकारी दी कि ये प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या न्यास समिति के लिए नाम भी प्रस्तावित करेगा तो उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति को फाइलों से निकालकर वास्तविक धरातल पर लाना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है. हम चाहते हैं इस पर जल्द से जल्द काम शुरू हो. हम किसी के नाम का प्रस्ताव नहीं देंगे.’
वर्कशॉप में न्यास द्वारा शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समिति की घोषणा की गयी जिसमें देश के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित अनेक शिक्षाविद सदस्य बनाए गए हैं. नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा भी एक राष्ट्रीय स्तर की समिति बनाने की घोषणा की गयी है.
इस वर्कशॉप में न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉक्टर पंकज मित्तल और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव डॉक्टर वीके मल्होत्रा सहित अनेक केंद्रीय संस्थानों के प्रमुख और कई विश्वविद्यालयों, एनआईटी, आईआईटी के चांसलर, वीसी, डायरेक्टर उपस्थित थे.