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Monday, 6 May, 2024
होमदेशइस दुनिया में भौतिक सुख बढ़ रहा है लेकिन हर कोई दुखी है और आंदोलन कर रहा है: भागवत

इस दुनिया में भौतिक सुख बढ़ रहा है लेकिन हर कोई दुखी है और आंदोलन कर रहा है: भागवत

भागवत ने कहा, 'ऐशो-आराम में बढ़ोतरी के बावजूद हर कोई नाखुश है और आंदोलन कर रहा है. चाहे वह मालिक हो या नौकर, विपक्षी दल हो या आम आदमी, छात्र हो या शिक्षक, हर कोई नाखुश और असंतुष्ट है.'

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अहमदाबाद: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भौतिक सुख में कई गुणा वृद्धि के बावजूद समाज में हर कोई नाखुश है और लगातार आंदोलन कर रहा है. भागवत ने अहमदाबाद में दिए अपने व्याख्यान में कहा कि आज कोई खुश नहीं है. हर कोई प्रदर्शन कर रहा है, आंदलोन कर रहा है. मिल का मालिक हो या फिर मजदूर आंदलोन कर रहे हैं. नियोक्ता और कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं, सरकार और जनता आंदोलन कर रही है. छात्र और शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं. हर कोई दुखी और असंतुष्ट है.

गुजरात के अहमदाबाद में व्याख्यान देते हुए भागवत ने कहा कि जो राजनीतिक दल सत्ता में नहीं हैं, वे भी आंदोलन कर रहे हैं.

भागवत ने कहा, ‘ऐशो-आराम में बढ़ोतरी के बावजूद हर कोई नाखुश है और आंदोलन कर रहा है. चाहे वह मालिक हो या नौकर, विपक्षी दल हो या आम आदमी, छात्र हो या शिक्षक, हर कोई नाखुश और असंतुष्ट है.’

संघ प्रमुख ‘वर्तमान विश्व परिदृश्य में भारत की भूमिका’ विषय पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘भारत को धर्म (ज्ञान) देना है, ताकि ज्ञान फैले लेकिन मनुष्य रोबोट न बने. हमने हमेशा वैश्विक परिवार की बात की है न कि वैश्विक बाजार की.’

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भागवत ने कहा कि वर्तमान दौर में कट्टरता, हिंसा और आतंकवाद बढ़ रहा है.

व्याख्यान का आयोजन ‘माधव स्मृति न्यास’ ने किया था. यह संगठन आरएसएस से जुड़ा हुआ है.

संघ प्रमुख ने कहा, ‘यह सोचना कि हम बेहतर दुनिया में जी रहे हैं, अर्द्धसत्य है. सुविधाएं समान रूप से सबको हासिल नहीं हो रही हैं. जंगल का नियम चल रहा है. आगे बढ़ने के लिए सक्षम व्यक्ति कमजोर को दबा रहा है. दुनिया में तबाही के लिए ज्ञान का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है.’

भागवत ने कहा कि लोग ‘गलत सूचना’ प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का दुरूपयोग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ‘हर किसी को एक रूप से देखने’ का प्रयास करना भी कट्टरता है.

भागवत ने कहा, ‘अमेरिका और रूस सुपरपावर हैं. चीन भी सुपर पावर बन जाएगा. सुपर पावर राष्ट्रों ने दूसरों के लिए क्या किया? अपने एजेंडा के लिए वे दूसरे देशों पर नियंत्रण कर लेते हैं. ये सुपर पावर तभी लौटाना शुरू करते हैं जब उन्हें ऐसा करने के लिए कहा जाता है. अन्यथा उन्होंने दूसरों को कभी कुछ नहीं दिया.’

उन्होंने दुख जताया कि भारतीय युवक ‘देश की ज्ञान शक्ति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और सोचते हैं कि भारत में जो भी अच्छा है वह दूसरे देशों से आया है.’

उन्होंने लोगों से अपील की कि भारत को ज्यादा ताकतवर बनाएं ‘क्योंकि दुनिया ताकतवर की ही सुनती है.’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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