लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय ताकत राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने ‘भाजपा की तरफ से ध्रुवीकरण के किसी भी प्रयास’ को रोकने के लिए विधानसभा चुनावों का ऐलान होने से पहले ही अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने का फैसला किया है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक घोषणापत्र अगले दो महीनों में तैयार हो जाएगा. उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी अपने घोषणापत्र में गाजीपुर सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों के इनपुट को शामिल करेगी.
उन्होंने कहा, ‘हमारी घोषणापत्र समिति की गाजीपुर सीमा पर बैठे किसानों के साथ पहले ही एक बैठक हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर यूपी के हैं. उन्होंने हमें अपनी जरूरतें और किसी राजनीतिक दल से अपनी अपेक्षाओं के बारे में बताया है. हम उनके साथ कुछ और बैठकें करेंगे और उनके सुझावों को अपने घोषणापत्र में शामिल करेंगे.’
उन्होंने कहा कि समिति स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों से मिलने की योजना बना रही है, ‘ताकि हम इन महत्वपूर्ण फैक्टर से जुड़े कुछ बिंदुओं को भी इसमें शामिल कर सकें.’
रालोद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि चुनाव से पहले घोषणापत्र तैयार करना राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने की रणनीति का हिस्सा है.
पदाधिकारी ने कहा, ‘हमारी पार्टी अपने एजेंडे को लेकर एकदम स्पष्ट है—सपा के साथ गठबंधन और पश्चिमी यूपी में हम भाजपा को कोई जगह नहीं देना चाहते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा की तरफ से ध्रुवीकरण शुरू किया जाए, इससे पहले ही हम उसके मुकाबले के लिए जनता के बीच एक स्पष्ट घोषणापत्र पेश कर देंगे. पहले तो हम चुनाव से ठीक पहले अपना घोषणापत्र जारी करते थे लेकिन अब हमने भाजपा की तरफ से बनाई जा रही धारणाओं का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बदल दी है.’
किसानों के मुद्दों पर फोकस
रालोद के प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि घोषणापत्र का बड़ा हिस्सा किसानों के मुद्दों पर केंद्रित होगा.
उन्होंने कहा, ‘हमने एक लोक-संकल्प समिति (घोषणापत्र तैयार करने के लिए एक समिति) बनाई है जो समाज के विभिन्न वर्गों से इनपुट लेगी.’
उन्होंने कहा, ‘आगामी चुनावों में किसानों की भूमिका अहम होगी, और इसलिए हम उनके मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम इसमें उन मुद्दों को भी शामिल करेंगे जिनका उन्हें रोजमर्रा के जीवन में सामना करना पड़ता है, उदाहरण के तौर पर उन्हें मिलने वाली बिजली और उनके खेत-खलिहानों से जुड़े मुद्दे. हम अपने घोषणापत्र में उनके जीवन और आजीविका के हर पहलू को शामिल करेंगे.’
पार्टी के एक दूसरे पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि इस साल अक्टूबर के अंत तक घोषणापत्र जारी किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘हम चुनाव से तीन से चार महीने पहले इसे जारी करने की योजना बना रहे हैं. यह जनता का घोषणापत्र होगा. फिलहाल हमें सपा के साथ सीट बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप देना है. जैसे ही ऐसा होगा, हम उन सीटों से जुड़े स्थानीय मुद्दों को भी शामिल करेंगे जो हमारे खाते में आएंगी.’
पार्टी सूत्रों के अनुसार, रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों, खासकर कृषि कानूनों को लेकर जाटों में राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी को भुनाने की कोशिश कर रही है.
पार्टी ने हाल ही में जाटों को मुसलमानों और क्षेत्र के अन्य समुदायों के साथ एकजुट करने के लिए अपना ‘भाईचारा जिंदाबाद’ अभियान भी शुरू किया था.
रालोद के एक तीसरे वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभियान में कविता, नाटक और संगोष्ठियों के जरिये कई विषयों को उठाने के लिए एक सामाजिक-सांस्कृतिक मंच भी बनाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘इसके जरिये मुख्य तौर पर जाटों और मुसलमानों, दलितों और अन्य कमजोर वर्गों के लोगों के बीच खाई को पाटने का प्रयास किया जाएगा. लेकिन हमारा मुख्य ध्यान एक ठोस और आकर्षक घोषणापत्र तैयार है जिसके जरिये हम उन्हें अपनी क्षमताओं और योजनाओं के बारे में बता पाएं.’
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