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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशडेढ़ महीने तक डरे देशवासियों की आवाज बने मनोज झा, बोले- गंगा में तैरती लाशों को साझा माफीनामा भेजिए

डेढ़ महीने तक डरे देशवासियों की आवाज बने मनोज झा, बोले- गंगा में तैरती लाशों को साझा माफीनामा भेजिए

आरजेडी सांसद ने मोदी सरकार के 'मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीन' के विज्ञापन पर निशाना साधा कहा- जनता को कुछ भी मुफ्त में नहीं दिया जा रहा, उसका हिस्सा है.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा कोविड की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से मौतों के नकारने का मुद्दा संसद में गरम है. सोशल मीडिया पर भी लोग पुरानी रिपोर्टों, वीडियोज को शेयर कर मोदी सरकार से सवाल कर रहे हैं. विपक्षी नेता केंद्र सरकार की जमकर आलोचना कर रहे हैं. बुधवार को आरजेडी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में एक भावुक भाषण के जरिए सत्तापक्ष को जमकर निशाने पर लिया.

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत की जानकारी नहीं दी.

राजद सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा, ‘उन लोगों की तरफ से माफी जिनकी मौत का भी सरकार संज्ञान नहीं ले रही है. हम सबको मिलकर उन्हेंं एक साझा माफीनामा भेजना चाहिए जिनकी लाशें गंगा में तैर रही थीं. मनोज झा ने कहा 50 लोगों की श्रद्धांजलि आज तक संसदीय इतिहास में एक साथ नहीं दी गई. झा ने सवाल किया कि क्या राजीव सातव की अभी जाने की उम्र थी. रघुनाथ महापात्रा जब मिलते थे गले लगाते थे, वो भी नहीं रहे. मैं आंकड़ा नहीं देना चाहता. आप सब अपनी पीड़ा में आकड़ा ढूढ़िए.’

मनोज झा ने कहा, ‘दोनों सदनों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं जो यह कह दे कि वह किसी जानने वाले को न खोया हो. मैं पीड़ा कह सकता हूं. ऑक्सीजन के लिए लोग फोन करते थे, हम अरेंज नहीं कर पाते थे. लोग समझते हैं सांसद है ऑक्सीजन पहुंचा देगा. हमें आंकड़े नहीं देखना. जो लोग गये हैं वो हमारे फेलियर का जिंदा दस्तावेज छोड़ के गए हैं.’

झा ने कहा आपकी (मोदी सरकार) की बात नहीं कर रहा. आप कहेंगे 70 साल में कुछ नहीं हुआ. वह उस बात में जाना ही नहीं चाहते. यह कलेक्टिव (सामूहिक) फेलियर है, 1947 से लेकर अब तक की सारी सरकारों का.

मनोज झा ने कहा, ‘जब वह घर से निकलते हैं तो बहुत बड़ा विज्ञापन देखते हैं- मुफ्त राशन, मुफ्त दवाई, मुफ्त इलाज का. ये वेलफेयर स्टेट (कल्याणकारी राज्य) है न? अगर एक टिकिया साबुन गांव में कोई खरीद रहा है तो अडानी अंबानी के बराबर का करदाता है. आप उसको कह रहे हो कि मुफ्त, मुफ्त वैक्सीन, मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन. नहीं कुछ भी मुफ्त नहींं है, उसका स्टेक है. इस वेलफेयर स्टेट का कमिटमेंट है, उसे आप कमतर मत करिए, उसे बौना मत बनाइए ये आग्रह है मेरा.’

झा ने कहा कि बहुत बड़े-बड़े कानून, कई सारे राइट्स की बात हो रही है. हम राइट टू हेल्थ की बात क्यों नहीं करते. इसमें कुछ भी किंतु-परंतु नहीं. सीधे संवैधानिक तौर पर गारंटी, राइट टू लाइफ के साथ जोड़िए इसे. किसी अस्पताल की मजाल नहीं कि वो खिलवाड़ कर पाए राइट टू लाइफ का.

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि, ‘आप करना नहीं चाहते. राइट टू वर्क पर काम करिए. पॉपुलेशन को लेकर बहुत बातें हो रही हैं. डेमोग्राफी को डेमोग्राफर्स पर छोड़ दीजिए. बड़ा संसलिस्ट विज्ञान है, लेकिन ये हम कर सकते हैं, इस (राज्यसभा) और उस सदन (लोकसभा) में.’

कोरोनाकाल में लोगों की नौकरी छीने जाने पर झा ने कहा कि हास्पिटैलिटी सेक्टर को लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया. उन्होंने लगातार आवाज उठाई. कोई सुनने वाला नहीं है. जब आप सांसद को नहीं सुन रहे हैं तो उस अदना से आदमी की कौन सुनेगा जिसे संविदा की नौकरी से निकाला गया है.

झा ने कहा, ‘जब आईसीयू और बेड्स के लिए हाहाकार मचा हुआ था, दवाई का हाहाकार मचा हुआ था, उस समय केवल केंद्र ही नहीं कई राज्य सरकारें भी नदारद थीं. डेढ़ महीने इस मुल्क ने कैसे बिताया है. हमारे सदन के कई लोग मुश्किल से बच के आए हैं. मैं नाम नहीं लेना चाहता. ये सब डरावना लगता है.’

उन्होंने कहा कि, ‘मेरा एक स्टूडेंट 37 साल का, उसके लिए हॉस्पिटल का बेड जब तक मैंने अरेंज किया वह दुनिया छोड़ के जा चुका था. इसलिए इसमें व्यक्तिगत पीड़ा को ढूढ़िए, तब हम इसका निदान ढूंढ़ पाएंगे.’ झा ने आगे कहा कि, ‘मेरी नाव, तुम्हारी नाव, मेरा काल, तुम्हारा काल इस भौकाल से आपको कुछ हासिल नहीं होगा.’

राजद सांसद ने कहा कि उस समय यह कहा गया कि सरकारें फेल नहीं हुई, सिस्टम फेल हुआ. उन्होंने सवाल किया कि यह सिस्टम क्या है. बचपन से सुनते हैं कि सिस्टम के पीछे व्यक्ति होता है, सिस्टम के पीछे एक संरचना होती है, अगर वो सिस्टम फेल किया है, चाहे दिल्ली में या किसी गांव की गलियों में तो वहां की सरकारें फेल कीं, इसे सिस्टम का नाम मत दीजिए. क्योंकि यही वो सिस्टम बनाते हैं.

उन्होंने कहा कि इसको लेकर किसी से शिकायत नहीं की. आहत हूं, जगाना चाहता हूं स्वयं को भी, आपको (सरकार को) भी. गंगा में बहती लाशें जिन्हें सम्मान नहीं मिला. जिंदगी में सम्मान चाहिए, लेकिन मौत में उससे भी बड़ा सम्मान चाहिए. अगर इसे हमने दुरुस्त नहीं किया तो आने वाली सदियां माफ नहीं करेंगी.

मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आप बड़े-बड़े इश्तहार छपवाओ, अखबारों के चार पन्ने रंग दो, फलाना थैंक्यू कह लो, इतिहास को थैंक्यू कहने का मौका मिलना चाहिए.

झा ने कहा कि अगर फिर भी मेरी किसी बात से किसी कष्ट पहुंचा हो तो उन्हीं लाखों मृतकों की तरफ माफी मांगता हूं.

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