पुरी: भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा की जगन्नाथ मंदिर में वापसी के लिए सोमवार को ओडिशा के पुरी के कलाकार और भक्त गुंडिचा मंदिर में एकत्र हुए. आठ दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रखे जाने के बाद, देवता अब जगन्नाथ मंदिर की ओर अपनी दो दिवसीय यात्रा पर निकल पड़े हैं.
इस यात्रा के लिए जिसने ‘जगरनॉट’ शब्द को प्रेरित किया, भक्त लकड़ी के घोड़ों से सजे हरे, लाल और पीले रंग के रथों को रस्सियों से मंदिर नगर पुरी से खींचेंगे.
ओडिसी, कुचिपुड़ी और कथक नर्तक — 5 साल की उम्र से लेकर 60 साल की उम्र तक — इस वापसी यात्रा का जश्न मनाने के लिए मंदिर के पास एकत्र हुए. शिव, दुर्गा, काली और हनुमान की वेशभूषा में सजे ये कलाकार आम जनता के समक्ष नृत्य प्रस्तुत करते देखे गए.
मंदिर में प्रस्तुति देने के लिए अपनी मंडली के साथ आए ओडिसी नर्तक साहिल ने कहा, “यहां प्रस्तुति देना सम्मान और सौभाग्य की बात है. हम हर साल आते हैं.”
काली अनारकली पहने पुरी के महाराजा दिव्य सिंह देब भी बिगुल की आवाज़ के साथ रथों तक पहुंचे और परंपरा की शुरुआत करने के लिए चांदी और सोने से बनी झाड़ू से फर्श साफ किया.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ओडिशा, पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों से आए लाखों श्रद्धालुओं की आवाजाही को प्रबंधित करने के लिए जिला प्रशासन, अग्निशमन सेवा, भारतीय रिजर्व बटालियन, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और रैपिड एक्शन फोर्स के 10,000 से अधिक कर्मियों को पुरी में तैनात किया गया है.
इससे पहले दिन में रथों के पास खड़े होकर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि 14 जुलाई को खोले गए जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक खजाने रत्न भंडार पर काम 19 जुलाई को रथ यात्रा समाप्त होने के बाद फिर से शुरू होगा.
ओडिशा के उपमुख्यमंत्री प्रवती परिदा और राज्य मंत्री नित्यानंद गोंड भी समारोह में मौजूद थे.
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