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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशUP के पूर्व मुख्य सचिव रिटायर्ड IAS अनूप चंद्र पाण्डेय बने चुनाव आयुक्त

UP के पूर्व मुख्य सचिव रिटायर्ड IAS अनूप चंद्र पाण्डेय बने चुनाव आयुक्त

2022 में यूपी, पंजाब, गोवा, मणिपुर, और उत्तराखंड में, विधान सभा चुनाव होने से पहले, भारतीय निर्वाचन आयोग में अब तीनों आयुक्त हो गए हैं.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और 1984 बैच के आईएएस अधिकारी अनूप चंद्र पाण्डेय को चुनाव आयुक्त बना दिया है, जिससे भारतीय निर्वाचन आयोग में अब तीनों आयुक्त हो गए हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार चुनाव पैनल के दूसरे दो सदस्य हैं, जिसमें इस साल अप्रैल में सीईसी सुनील अरोड़ा के पद से रिटायर होने के बाद एक रिक्ति पैदा हो गई थी.

बृहस्पतिवार को देर से जारी एक अधिसूचना में, केंद्रीय क़ानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने कहा, ‘राष्ट्रपति प्रसन्नता के साथ अनूप चंद्र पाण्डेय, आईएएस (रिटा) (यूपी:1984) को उस दिन से निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करते हैं, जिस दिन से वो पदभार ग्रहण करेंगे.’

2018 में, ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, 2019 के आगामी लोकसभा चुनावों से पहले, पाण्डेय को राज्य के मुख्य सचिव पद के लिए चुना था. वो क़दम ऐसे समय पर उठाया गया था, जब समझा जा रहा था कि योगी की, प्रशासन पर मज़बूती से पकड़ नहीं थी- पाण्डेय के पूर्ववर्त्ती राजीव कुमार को राज्य के सर्वोच्च पद के लिए, आदित्यनाथ की पसंद नहीं माना जाता था- और ये क़दम उसमें बदलाव का संकेत था.

पाण्डेय अगस्त 2019 में, सिविल सेवा से रिटायर हो गए.

पाण्डेय के लिंक्डइन प्रोफाइल में, 2019 लोकसभा चुनावों को, एक ‘बहुत बड़ी उपलब्धि’ बताया गया है. उसमें कहा गया है, ‘2019 लोकसभा चुनावों को शांतिपूर्ण, पारदर्शी, और घटना मुक्त ढंग से कराना, जहां विभिन्न हितधारकों के बीच बेहद तनाव था, निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी.’


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बतौर चुनाव आयुक्त उनकी निगरानी में, इत्तेफाक़ से पहला विधान सभा चुनाव, उत्तर प्रदेश में होगा जो उनका होम काडर है, जिसके साथ 2022 में पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में भी चुनाव होंगे.

योगी सरकार की फ्लैगशिप स्कीमों के मुख्य प्रबंधक

यूपी में शीर्ष पद पर तरक़्क़ी दिए जाने से पहले, पाण्डेय ने 2018 में बतौर औद्योगिक विकास आयुक्त काम किया था, जब उत्तर प्रदेश इनवेस्टर्स समिट-2018 आयोजित की गई थी, जिसमें आनंद महिंद्रा, टाटा समूह, एसेल समूह, गौतम अधिकारी, कुमार मंगलम बिड़ला, और मुकेश अंबानी जैसे व्यवसायी और समूह, पहली बार उत्तर प्रदेश आए.

उससे पहले 2017 में, ये पाण्डेय ही थे जिन्होंने योगी की, फ्लैगशिप फसल ऋण माफी पहल को संभाला था, जिसके बाद देशभर में ऋण माफी स्कीमों की हवा चल गई थी. सूत्रों के अनुसार यही वो समय था, जिस दौरान पाण्डेय ने आदित्यनाथ का विश्वास जीता था.

पाण्डेय के लिंक्डइन प्रोफाइल में ये भी कहा गया है, कि यूपी में महत्वाकांक्षी ‘एक ज़िला, एक उत्पाद’ स्कीम के लॉन्च के पीछे भी, वो ही ‘सहायक’ थे, जिसे नीति आयोग की ओर से, अब राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित किया जा रहा है.

फसल ऋण माफी और इनवेस्टर्स समिट के अलावा, पाण्डेय ने कुंभ मेला और प्रवासी भारतीय दिवस जैसे आयोजनों का भी संचालन किया, जो विदेश मंत्रालय का फ्लैगशिप आयोजन था, और जिसे प्रवासी भारतीयों से संपर्क साधने, और जुड़ने का मंच माना जाता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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