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Sunday, 22 December, 2024
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रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर को मणिपुर पुलिस में SSP (कॉम्बैट) बनाया गया, स्पेशल कमांडो फोर्स की कमान संभालेंगे

कर्नल नेक्टर संजेनबम (सेवानिवृत्त) को भर्ती के लिए ‘पहले से जरूरी मानदंड में छूट देते हुए' नियुक्त किया गया. वह अपना 5 साल का निश्चित कार्यकाल पूरा करेंगे और मणिपुर पुलिस की कमांडो बटालियन का नेतृत्व करेंगे.

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गुवाहाटी: मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कॉम्बैट) का एक नया पद बनाया है. इस पद पर भारतीय सेना के स्पेशल 21 पैरा एसएफ के एक सेवानिवृत्त कर्नल को नियुक्त किया है. यह पोस्ट राज्य में बीते महीनों से चल रही छिटपुट झड़पों के बीच बनाई गई है, जहां कई महीनों से जातीय तनाव चल रहा है.

राज्य के गृह विभाग ने 12 जून को राज्य कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय का हवाला देते हुए 28 अगस्त को यह पद सृजित किया है.

कर्नल नेक्टर संजेनबाम (सेवानिवृत्त), जो सीमा के पास म्यांमार में स्थित विद्रोहियों के खिलाफ सेना द्वारा 2015 में किए गए ऑपरेशन का हिस्सा थे, को इस पद पर नियुक्त किया गया है. म्यांमार में विद्रोहियों के खिलाफ चलाए गए अभियान की कुकी समूहों और एक्टिविस्टों द्वारा काफी आलोचना की गई थी.

मणिपुर के राज्यपाल द्वारा जारी नियुक्ति आदेश में कहा गया है कि उन्हें “एक विशेष मामले के रूप में सभी प्रचलित भर्ती मानदंडों में छूट देते हुए” एसएसपी (कॉम्बैट) के रूप में नियुक्त किया गया है.

आदेश में कहा गया है कि कर्नल संजेनबम अगले तक पांच साल के निश्चित कार्यकाल पर काम करेंगे और मणिपुर पुलिस की कमांडो बटालियन का नेतृत्व करेंगे. आदेश की एक कॉपी दिप्रिंट के पास है.

वह अनुभवी 21 पैरा (स्पेशल फोर्स) का हिस्सा थे और उसे म्यांमार ऑपरेशन के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

8 जून, 2015 को तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल संजेनबम को दिया गया शौर्य चक्र प्रदान किया गया था. उन्हें “सावधानीपूर्वक योजना, अनुकरणीय वीरता, सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में साहसिक और साहसी कार्रवाई” के लिए इस सम्मान से सम्मानित किया गया है है. जिस ऑपरेशन के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था वह मणिपुर में एक विद्रोही शिविर पर छापेमारी को लेकर था.

जिस वक्त यह छापा हुआ था उस वक्त वह लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर थे. बाद में उन्हें कर्नल रैंक पर पदोन्नत किया गया था. उसके बाद उन्होंने असम राइफल्स की एक बटालियन की कमान भी संभाली.

उद्धरण में लिखा है कि वह एक छापेमारी दल का नेतृत्व कर रहे थे जिसने एक विद्रोही शिविर पर हमला किया था. उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपनी खामोश उजी राइफल से कम से कम छह विद्रोहियों को मारने का श्रेय दिया जाता है और साथ ही उन्होंने शिविर में रॉकेट लांचर से हमला करने का आदेश दिया था. यह ऑपरेशन 20 मिनट तक चला था.

मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जारी हिंसा में अभी भी कोई कमी नहीं आई है. हाल ही में 29 अगस्त से 1 सितंबर के बीच हुई गोलीबारी में 8 लोग मारे गए और 29 घायल हो गए.


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