scorecardresearch
Saturday, 27 April, 2024
होमएजुकेशनकलकत्ता यूनिवर्सिटी VC बहाली: PM Modi की अनदेखी करने वाले पूर्व IAS की पत्नी को नहीं मिली SC से राहत

कलकत्ता यूनिवर्सिटी VC बहाली: PM Modi की अनदेखी करने वाले पूर्व IAS की पत्नी को नहीं मिली SC से राहत

सोनाली चक्रवर्ती बंदोपाध्याय बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की पत्नी हैं, जो कलाईकुंडा में पीएम के साथ एक बैठक में शामिल नहीं होने के बाद केंद्र-राज्य के झगड़े के बीच फंस गए थे.

Text Size:

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार के लिए एक बड़े झटके के रूप में सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बंदोपाध्याय की पुनर्नियुक्ति की घोषणा को ‘कानूनी रूप से अवैध’ घोषित कर दिया था. सोनाली एक पूर्व शीर्ष आईएएस अधिकारी की पत्नी हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवहेलना करते देखा गया था.

कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति (वी-सी) रहीं सोनाली प्रख्यात बंगाली कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की बेटी हैं. वह पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की पत्नी भी हैं, जो वर्तमान में सीएम ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार हैं.

ये पूर्व आईएएस अधिकारी पिछले साल उस समय केंद्र-राज्य के झगड़े के बीच फंस गए थे जब मई, 2021 में चक्रवात यास के बाद हुई समीक्षा बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान वह न तो कलाईकुंडा हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी के लिए पहुंचे और ना ही वह इस बैठक में शामिल हुए. बंदोपाध्याय के साथ आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम को एक फाइल सौंपी थी और फिर वे दोनों बैठक वाले स्थल से निकल गए थे.

उन्हें उसी दिन राज्य की सेवा से वापस बुला लिया गया था, लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने 1987 बैच के इस अधिकारी को पदभार से मुक्त करने से इनकार कर दिया था. फिर 31 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सलाहकार नियुक्त कर दिया गया था.

ये पूर्व आईएएस अधिकारी फ़िलहाल कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसने पिछले साल प्रधानमंत्री के साथ हुई समीक्षा बैठक से अनुपस्थित रहने के लिए उनपर ‘एक आईएएस अधिकारी के रूप में अशोभनीय’ आचरण में शामिल होने का आरोप लगाया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इसी बीच पिछले साल 27 अगस्त को ममता बनर्जी सरकार ने सोनाली को फिर से कलकत्ता विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया था और इस आशय की अधिसूचना भी जारी की थी. यह पुनर्नियुक्ति उसी दिन हुई थी जब कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनका पिछला कार्यकाल समाप्त हो रहा था.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सोनाली की दोबारा नियुक्ति को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर जमकर निशाना साधा.

इसने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा 17 अगस्त, 2021 को लिखे एक पत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखा था, ‘मुझे यहां यह इंगित करने की आवश्यकता है कि चयन और अनुवर्ती चयन प्रक्रिया में भाग लिया बिना, किसी पदस्थ कुलपति (वाइस-चांसलर) को कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम, 1979 की धारा 8 (2) (ए) के मद्देनजर दूसरा कार्यकाल नहीं मिल सकता है.’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा कलकत्ता हाई कोर्ट की उनकी पुनर्नियुक्ति को रद्द किये जाने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के साथ ही सोनाली बंदोपाध्याय को अब कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के पद से हाथ धोना पड़ सकता है.

दिप्रिंट ने फोन कॉल, टेक्स्ट मैसेजेज और व्हाट्सएप के जरिये सोनाली बंदोपाध्याय से सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस समाचार के प्रकाशन के समय तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

दिप्रिंट ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से भी टेलीफोन, टेक्स्ट मैसेज और ईमेल के जरिए संपर्क किया, लेकिन उनसे भी कोई जवाब नहीं मिला. दिप्रिंट द्वारा पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव मनीष जैन को भी एक ईमेल भेजा गया था, लेकिन इस आलेख के प्रकाशन के समय तक उनकी कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी.


यह भी पढ़ें: दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक पाठ्यक्रमों में सत्र के बीच में नवंबर में दे सकता है दाखिला


सोनाली की दोबारा हुई नियुक्ति में हैं ‘खामियां’

इस साल फरवरी में, कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र और जाने माने वकील अनिंद्य सुंदर दास ने सोनाली बंदोपाध्याय की पुनर्नियुक्ति के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया था.

दास ने दिप्रिंट को बताया, ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति नियत प्रक्रिया और पात्रता मानदंडों का पालन किए बिना की गई थी. कलकत्ता हाई कोर्ट ने मेरी जनहित याचिका पर सुनवाई की थी और अपने आदेश में उसने कुलपति को तुरंत पद छोड़ने को कहा था. उन्हें तुरंत काम बंद करना पड़ा और आज सुप्रीम कोर्ट ने भीहाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. अब उन्हें पद छोड़ देना चाहिए.’

13 सितंबर, 2021 के एक अपने आदेश में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सोनाली की पुनर्नियुक्ति के आदेश को पलट दिया था. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने इस पुनर्नियुक्ति को कानून के अनुसार नहीं माना था.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में यह भी कहा कि ‘राज्य सरकार ने यह नियुक्ति करने के लिए कुलाधिपति की शक्ति को हथियाने के इरादे से ’रिमूवल ऑफ़ डिफीकल्टी क्लॉज़’ (‘कठिनाई को दूर करने’ वाले खंड) का दुरुपयोग करके धारा 60 के तहत गलत रास्ता चुना. कोई भी सरकार वैधानिक बंदिशों के कारण उत्पन्न होने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए ‘कठिनाई को दूर करने’ वाले खंड का दुरुपयोग नहीं कर सकती है. इस तरह की कार्रवाइयों की अनुमति देना कानून के शासन के सर्वथा विरुद्ध होगा.’

1979 के कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 60 एक ऐसे परिदृश्य को संदर्भित करता है जहां इस अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी बनाने में इसके प्रावधानों की ‘किसी भी कमी या चूक के कारण’ या किसी अन्य कारण से कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं.

इस धारा के अनुसार, ऐसे मामलों में, राज्य सरकार को ऐसा कुछ भी करने का अधिकार है जो उसे कठिनाई को दूर करने के लिए आवश्यक प्रतीत होता है, जब तक वह इस अधिनियम में कहीं और व्यक्त नियमों या किसी अन्य कानून के विपरीत न हो.

पश्चिम बंगाल सरकार अधीन आने वाले एक शीर्ष विश्वविद्यालय के कुलपति ने उनका नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया,’ किसी कुलपति की नियुक्ति के मामले में, पहले तो इसके लिए कुलाधिपति के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है और दूसरे, इसे यूजीसी के दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता होती है. जहां तक मैं सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि कैसे पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम 1979 की धारा 60 का दुरुपयोग किया गया है, को समझ पा रहा हूँ, सोनाली की ही तरह सभी अन्य कुलपति को भी पद से हटना होगा.‘

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: लखनऊ से लुधियाना तक, क्रिप्टो की दुनिया में ‘टेक ब्रो’ को पीछे छोड़ती छोटे शहरों की महिलाएं


 

share & View comments