नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है और वैश्विक घटनाक्रमों का इस पर खास प्रभाव नहीं पड़ा है.
‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’ द्वारा वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इसपर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है.”
उनका यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है. इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है.
प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की दुनिया में सबसे प्रमुख उधारदाताओं में से एक, सिलिकॉन वैली बैंक 10 मार्च को जमाकर्ताओं द्वारा बैंक पर धावा बोलने के बाद यह बंद हो गया. इसके बंद होने से संक्रामक प्रभाव पड़ा और बाद में कुछ अन्य बैंकों को भी बंद कर दिया गया.
दास ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समग्र प्रभाव, यूक्रेन में युद्ध और वित्तीय क्षेत्र पर अमेरिका और यूरोप के घटनाओं को देखते हुए फाइनेंसियल सेक्टर में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.
दास ने आगे कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अत्यंत संकट वाली स्थिति में भी भारतीय बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात को न्यूनतम जरूरत से ऊपर रखने में सफल रहेंगे.’’
गवर्नर ने इसके साथ ही अंशधारकों को सतर्क रहने के लिए आगाह करते हुए कहा कि दुनियाभर में परंपरा से हटकर नीतियां अपनाई जा रही हैं. ऐसे में वित्तीय क्षेत्र में किसी तरह का ‘आश्चर्य’ कहीं से भी देखने को मिल सकता है.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक भविष्य के लिए भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने और इसकी सतत वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.
दास ने कहा कि आरबीआई ने हाल के वर्षों में बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं के अपने नियमों और पर्यवेक्षण को काफी मजबूत किया है.
इस बीच, वित्त मंत्रालय ने भी हाल ही में भारत की बैंकिंग प्रणाली के बारे में इसी तरह के विचार व्यक्त किए थे.
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा था कि वैश्विक स्तर पर हो रहे बैंकिंग सिस्टम के बदलाव और नुकसान का भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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