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Saturday, 21 December, 2024
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ऋषिगंगा का जल स्तर बढ़ने कारण रुका राहत-बचाव कार्य और अधिक सतर्कता से हुआ शुरू

एनडीआरएफ कर्मियों का कहना है, 'जल स्तर बढ़ रहा है इसलिए टीमों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया. ऑपरेशन को सीमित टीमों के साथ फिर से शुरू किया गया है.'

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उत्तराखंड: चमोली ज़िले के ऋषिगंगा में जलस्तर बढ़ जाने से चल रहे बचाव कार्य को एक घंटे के लिए रोके जाने के बाद फिर से शुरू कर दिया गया है. फिलहाल ऑपरेशन सीमित टीमों के साथ फिर से शुरू किया गया है.

एनडीआरएफ कर्मियों का कहना है, ‘जल स्तर बढ़ रहा है इसलिए टीमों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया. ऑपरेशन को सीमित टीमों के साथ फिर से शुरू किया गया है.’ इसके साथ रैणी गांव के पास अलर्ट जारी किया गया है.

एनटीपीसी के परियोजना निदेशक उज्जवल भट्टाचार्य ने बताया,’ हम 6 मीटर की दूरी तक पहुंच गए और फिर महसूस किया कि वहां पानी आ रहा है. अगर हम काम जारी रखते हैं तो चट्टानों के खिसकने का डर है जिससे बचाव कार्य में दिक्कतें आ सकती हैं. इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए रोक दिया है.’

उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि ऋषि गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण फिलहाल बचाव के काम को रोक दिया है. और आदेश दिया गया है कि इलाके को खाली कर दिया जाए.

वहीं चमोली पुलिस ने भी आदेश जारी कर कहा गया है कि नदी का जलस्तर बढ़ रहा है इसलिए आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. लोगों से निवेदन है कि वे घबराएं नहीं अलर्ट रहें.

चार दिन से अधिक समय बीत जाने पर टनल में फंसे लोगों के परिवार वाले गुरुवार को काफी दुखी नजर आए. कई परिजनों ने उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल चमोली के तपोवन पहुंचे जहां लोगों का गुस्सा और दुख उनके सामने फूट पड़ा. राज्यपाल ने लोगों को ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘ हम लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं. यह प्राकृतिक आपदा है जो किसी के वशमें नहीं है. ईश्वर से प्रार्थना है कि अंदर फंसे लोग जल्दी बाहर आएं.’

इस दौरान बातचीत के दौरान एनटीपीसी के इंजीनियर ने मीडिया को बताया कि श्रमिक जो वहां काम कर रहे थे और वर्तमान में वहां हैं, सुरक्षित हैं.

उन्होंने आगे कहा, श्रमिकों को टनल में भेजे जाने से पहले 3 दिनों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, उसके बाद ही उन्हें अंदर भेजा जाता है. उन्हें समय-समय पर पेप टॉक भी दिया जाता है. सभी उपकरण परीक्षण और प्रमाणित हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि जो चालक दल वहां काम कर रहा था वह सक्षम है.


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तीन इंजीनियर सहित 170 लोग की खोज  

बचावकर्ताओं ने उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी तपोवन सुरंग में फंसे 30-35 लोगों तक पहुंचने के लिए बृहस्पतिवार को खुदाई अभियान शुरू कर दिया. इस बाढ़ के कारण 34 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 170 अन्य लोग लापता हैं.

बचाव अभियान में कई एजेंसियां लगी हैं और पिछले चार दिन से उनके अभियान का केंद्र यह सुरंग है और हर गुजरता क्षण इसके भीतर फंसे लोगों की सुरक्षा संबंधी चिंता को बढ़ा रहा है.

बचाव कार्य में लगी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया बचाव दलों ने कीचड़ से भरी सुरंग में जाने के लिए देर रात दो बजे से खुदाई अभियान शुरू किया.

उन्होंने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में लगातार आ रहा कीचड़ सबसे बड़ा अवरोधक बन रहा है. ऐसे में यह पता लगाने के लिए एक बड़ी मशीन से खुदाई की जा रही है कि क्या इस समस्या को किसी और तरीके से सुलझाया जा सकता है तथा क्या बचावकर्मी और गहराई में जा सकते हैं.

एनटीपीसी परियोजना स्थल पर बचाव कार्य की निगरानी कर रहे गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन ने बताया कि सुरंग के भीतर करीब 68 मीटर से मलबे की खुदाई शुरू की गई है.

उन्होंने कहा कि इस समय नई रणनीति उस स्थान तक जीवनरक्षक प्रणाली मुहैया कराने पर केंद्रित है, जहां लोग फंसे हो सकते हैं और खुदाई करके उन तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है.

रमन ने कहा कि सुरंग में कई टन गाद होने के कारण फंसे लोगों तक पहुंचने में काफी समय लग सकता है, इसलिए इस समय ऑक्सीजन सिलेंडर इत्यादि जैसे जीवन रक्षक उपकरणों को खुदाई करके फंसे लोगों तक पहुंचाना है.

सुरंग के मुंह से बुधवार तक करीब 120 मीटर मलबा साफ किया जा चुका था और ऐसा बताया जा रहा है कि लोग 180 मीटर की गहराई पर कहीं फंसे है, जहां से सुरंग मुड़ती है.

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रमुख एसएस देसवाल ने बुधवार को कहा था कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को ढूंढने का अभियान तब तक चलेगा, जब तक कि यह किसी तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाता.

उन्होंने कहा कि बचावकर्मी फंसे लोगों का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


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