नई दिल्ली: जांचकर्ताओं को शक है कि लाल किले के ब्लास्ट के आरोपी बम बनाने वाले डॉ. उमर उन नबी ने सीरियल ब्लास्ट के लिए केमिकल और विस्फोटक का जो मिश्रण तैयार किया था, वह फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में अपने कमरे में ही बनाया था. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
एक सूत्र ने कहा: “अब तक जांच में सामने आया है कि नबी ने ही अपने कमरे में IEDs बनाए. बाकी लोगों ने कुछ असेंबलिंग में मदद ज़रूर की, लेकिन पूरा दिमाग उसी का था. जांच के दौरान मिली जानकारी भी यही दिखाती है.”
सूत्रों के अनुसार, लाल किले पर फटी सफेद i20 कार “मुख्य प्लान” का हिस्सा थी, कोई बैक-अप नहीं.
पहले सूत्र ने बताया: “प्लान यह था कि कई और कारों में भी विस्फोटक लगाकर उन्हें अलग-अलग जगहों पर रखा जाए. इसी उद्देश्य से यह i20 खरीदी गई थी और इसके साथ और कारें भी खरीदने की योजना थी. सभी आईइडी लगी कारों को लगभग एक ही वक्त पर रखने का प्लान था ताकि सीरियल ब्लास्ट सफल हो. i20 वह पहली कार थी जिसमें आईइडी लगाया गया.”
पिछले हफ्ते, अल-फलाह मेडिकल कॉलेज ने गिरफ्तार डॉक्टरों और उनकी कथित गतिविधियों से दूरी बना ली थी और कहा था कि उनके लैब का इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में नहीं हुआ.
सूत्रों ने पुष्टि की कि 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके (जिसमें 13 लोग मारे गए और 31 घायल हुए) में इस्तेमाल विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट और TATP (ट्राइएसिटोन ट्राइपरॉक्साइड) का मिश्रण था जो बेहद अस्थिर और खतरनाक माना जाता है.
एक अन्य सूत्र ने कहा: “ये सब डॉक्टर हैं, इन्हें असेंबलिंग का ज्ञान है. उमर उन नबी ही एक्सपर्ट था, वही बाकी को गाइड कर रहा था.”
डॉ. मुज़म्मिल शकील, जिसे 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, वो भी फरीदाबाद में अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में नबी के ही ब्लॉक में रहता था. शकील, डॉ. अदील राठर, अहमद, डॉ. शाहीन शाहिद उन अन्य डॉक्टरों में शामिल हैं जिन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस ने “व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल” का हिस्सा होने के आरोप में पकड़ा.
रविवार को, एनआईए ने आमिर राशिद को गिरफ्तार किया, जो i20 के साथ वायरल फोटो में दिखाई दे रहा था. वह 29 अक्टूबर को नबी के साथ फरीदाबाद के एक कार डीलर के पास कार खरीदने गया था.
दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की थी कि नबी धमाके वाले दिन i20 में विस्फोटकों के साथ नूंह गया था. वह वहां किराए के एक कमरे में छिपा रहा. जांचकर्ताओं के पास नबी का नाम 3 नवंबर को आ गया था, लेकिन वो उसे पकड़ नहीं पाए क्योंकि वह कई मोबाइल फोन इस्तेमाल करता था.
कार 13-14 साल पुरानी है और नबी तथा राशिद ने डीलर से संपर्क ओएलएक्स के ज़रिए किया था.
इस टेरर मॉड्यूल की जांच तब शुरू हुई जब 17 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश के समर्थन वाले पोस्टरों की जांच कर रही स्थानीय पुलिस ने तीन ओवरग्राउंड वर्कर्स को पकड़ा. इससे पुलिस एक अहम संदिग्ध शोपियां के मौलवी इरफान अहमद तक पहुंची, जिसकी पूछताछ ने पुलिस को शकील तक पहुंचाया.
8 से 10 नवंबर के बीच, धमाके से कुछ घंटे पहले भी, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने शकील के दो किराए के ठिकानों से 2,900 किलो विस्फोटक बरामद किए थे.
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