नई दिल्ली: राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त बनाने के गृह मंत्रालय के फैसले के खिलाफ गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया और कहा गया कि यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का ‘उल्लंघन’ है. प्रस्ताव में यह फैसला वापस लेने का आह्वान भी किया गया.
एमएचए ने सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के रूप में सेवानिवृत्ति से मात्र तीन दिन पहले मंगलवार को अस्थाना को नई दिल्ली का नया सीपी बनाने का फैसला किया. अस्थाना ने बालाजी श्रीवास्तव की जगह ली है.
गुरुवार को दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय मानसून सत्र शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने सदन में एक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का फैसला न केवल अवैध है बल्कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी है.
झा ने मार्च 2019 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद के लिए ऐसे किसी भी अधिकारी के नाम पर विचार नहीं किया जाना चाहिए जिसके कार्यकाल में छह महीने से कम का ही समय बचा हो. अन्य राज्यों में जहां डीजीपी पुलिस प्रमुख होते हैं, वहीं दिल्ली पुलिस का नेतृत्व आयुक्त द्वारा किया जाता है.
अस्थाना, जिनका नाम मई 2019 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद के लिए सबसे आगे चल रहा था, को शीर्ष अदालत के फैसले के बाद इस रेस से बाहर कर दिया गया था.
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आप विधायक क्या बोले
झा ने गुरुवार को विधानसभा में कहा. ‘ऐसा लगता है कि जैसे उन्हें किसी खास मिशन पर दिल्ली भेजा गया है…क्या पूरे एजीएमयूटी कैडर में कोई अन्य वरिष्ठ अधिकारी नहीं है जो इस पद के योग्य हों और शहर और अपराध समेत इसकी तमाम समस्याओं को समझता हो?’
उन्होंने 2018 में सीबीआई के अंदर छिड़े संघर्ष, जब अस्थाना का तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ टकराव चल रहा था, का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि ‘उस अधिकारी की ईमानदारी पर कैसे भरोसा किया जाए जिसने उस संस्थान के भीतर जोड़-तोड़ की कोशिश की थी जिसका वह हिस्सा थे.’
आप विधायक गुलाब सिंह ने आरोप लगाया, ‘अस्थाना को ‘आप’ का मुंह बंद करने और प्रताड़ित करने के लिए दिल्ली लाया गया है. अधिकारी ने भाजपा के लिए धन इकट्ठा करने से लेकर गुजरात में ‘मोदी और शाह के काले कारनामों’ को छिपाने तक सब कुछ किया है.’
2006 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (प्रकाश सिंह और अन्य बनाम भारत संघ) का एक पैराग्राफ पढ़ने के बाद आप विधायक सोमनाथ भारती ने स्पीकर से कहा, ‘वरिष्ठ आईपीएस संजय बेनीवाल और सतिंदर गर्ग पुलिस आयुक्त बनने की कतार में थे…लेकिन उनकी जगह अचानक न जाने कहां से अस्थाना को ले आया गया.’
आप पहले भी कई मौकों पर दिल्ली पुलिस की आलोचना करने में काफी मुखर रही है.
नेता विपक्ष क्या बोले
हालांकि, नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इन सभी आरोपों के जवाब में अस्थाना का बचाव किया और कहा, ‘1996-97 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब राकेश अस्थाना को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था. चारा घोटाले में बिहार के मुख्यमंत्री का हाथ उजागर करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.’
उन्होंने कहा कि अस्थाना कई अहम आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं, जिन्हें उन्होंने प्रभावी ढंग से निपटाया.
बिधूड़ी ने आगे कहा, ‘अगर कुछ होना चाहिए तो यह कि सदन को आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय का आभार जताना चाहिए. यह राष्ट्रीय राजधानी में अपराध और भ्रष्टाचार के लिए एक झटका है.’
बिधूड़ी ने यह दावा भी किया कि अस्थाना का एक साल का कार्यकाल बाकी बचा है. इस पर दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने बिधूड़ी से पूछा कि अगर अस्थाना का एक साल का कार्यकाल बचा है तो उन्हें सीबीआई निदेशक के तौर पर नियुक्त क्यों नहीं किया गया.
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