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Monday, 23 December, 2024
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अर्थव्यवस्था पर चर्चा के दौरान खाली-खाली रहा राज्य सभा, चिंतित विपक्ष ने आर्थिक संकट के प्रति किया आगाह

आनंद शर्मा ने कहा, आज बाजार ठंडे पड़े और और मांग टूट गयी है. लोगों के पास खरीदने की क्षमता नहीं बची है तथा किसान ‘त्राहि-त्राहि’ कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: बुधवार को राज्यसभा में देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान सदन करीब करीब खाली ही रहा, सदन में सदस्यों की संख्या बहुत ही कम देखी गई. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में पूरे समय मौजूद रहीं वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, आनंद शर्मा, वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह मौजूद रहे.

चर्चा की शुरुआत करते हुए आनंद शर्मा ने कहा देश की आर्थिक स्थिति अलार्मिंग स्तर पर पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र मंदी के दौर से गुजर रहा है, क्या ऑटोमोबाइल सेक्टर, निवेशक, किसान, पीएसयू, प्राइवेट सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर सभी त्राही-त्राही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में पैसा नहीं है. गांव की हालत बहुत खराब है. किसी के हाथ में पैसा नहीं है इसलिए बाजार में मांग नहीं है. निवेशकों का विश्वास टूटा है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा कि वह पांच साल में कृषि में 25 लाख करोड़ का निवेश करेगी यानी हर साल 5 लाख करोड़ लेकिन बजट में केवल 53,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.

बेरोजगारी, नोटबंदी और बंद होते उद्योग

आर्थिक मंदी पर अपना विचार रखते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर, बंद होते उद्योग और गिरती अर्थव्यवस्था देश के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है. आनंद शर्मा ने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, फैक्ट्री बंद हो रही है. उन्होंने पूछा कि क्या जो देश की स्थिति बनी हुई है वह अचानक पैदा हुई है. नहीं यह सरकार की सोच नीति और निर्णय का नतीजा है. उन्होंने कहा असंगठित क्षेत्र जो सबसे बड़ा ( 40 फीसदी) रोजगार देता है वह पूरी तरह से टूट चुका है. 8 नवंबर 2016 को सरकार ने जो नोटबंदी का फैसला लिया उसने असंगठित क्षेत्र को तोड़ कर रख दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार देश के आंकड़ों से भी खेल रही है. एनएसओ का डाटा रोका जा रहा है.

देश की आर्थिक स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा की उच्च सदन में शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि आज हालात ऐसे हो गये हैं कि अर्थतंत्र ‘चरमरा’ रहा है और आर्थिक प्रगति ठहर गयी है. उन्होंने कहा कि आज बाजार ठंडे पड़े और और मांग टूट गयी है. लोगों के पास खरीदने की क्षमता नहीं बची है तथा किसान ‘त्राहि-त्राहि’ कर रहे हैं.

शर्मा ने कहा कि हम इस स्थिति को सरकार की तरह आर्थिक सुस्ती (स्लोडाउन) या चक्रीय गिरावट (साइकिलिक रिसेशन) नहीं कह सकते. उन्होंने दावा किया, ‘हम गहरे आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं. ’

उन्होंने कहा कि किसी भी अर्थव्यवस्था को गति देने के चार इंजन…निवेश, औद्योगिक उत्पादन, कर्ज लिया जाना और निर्यात होते हैं. आज हमारे देश में ये चारों इंजन बंद पड़े हैं. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर गिरकर पांच प्रतिशत के आसपास आ गयी है जो सात साल में सबसे निचले स्तर पर है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक एवं निजी निवेश मिलाकर सकल निवेश दर गिरकर महज 30 प्रतिशत रह गयी है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और कृषि विकास दर में लगातार गिरावट आ रही है. उन्होंने कहा कि आटो क्षेत्र और कपड़ा क्षेत्र में 25 लाख रोजगार कम हुए हैं. नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गये जीएसटी के कारण छोटे व्यापारियों और असंगठित क्षेत्र की हालात बहुत खराब हो गयी है.

शर्मा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार केवल अमीरों के लिए ही नीति बनाती है और उन्हीं को लाभ पहुंचाने के बारे में सोचती है. यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई काफी गहरी हो गयी है तथा अमीर और अमीर हो गये हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में निगमित कर को 35 प्रतिशत से घटाकर जो 25 प्रतिशत किया है, उससे आम आदमी और छोटे व्यापारियों को कोई लाभ नहीं मिलेगा और अर्थव्यवस्था को कोई प्रोत्साहन भी नहीं मिलेगा.

कांग्रेस नेता ने सलाह दी कि सरकार को सार्वजनिक निवेश में वृद्धि कर मनरेगा के तहत लोगों को 150 दिन का रोजगार देना चाहिए और कम से कम 400 रूपये प्रति दिन की दर से मजदूरी दी जानी चाहिए. उन्होंने सरकार को बढ़ते राजकोषीय कोषीय घाटे को लेकर भी आगाह किया.

उन्होंने इस मंदी का एक और कारण जीएसटी भी है जिसने छोटे उद्योग को तोड़ कर रख दिया. इसके स्ट्रक्चर में कई बदलाव किए गए लेकिन यह भी देश को नहीं बचा सका. देश की आर्थिक स्थिति को बूस्ट करने के लिए सरकार ने रिजर्व बैंक का भी सहारा लिया, सरकार ने पिछले साल 1.76 लाख करोड़ रुपया लिया लेकिन इससे भी मंदी को बूस्ट नहीं किया जा सका. सरकार ने वादा किया था कि कृषि के क्षेत्र में 4 फीसदी की बढ़ोतरी होगी लेकिन यह गिरकर 1.2 फीसदी रह गई है.

संजय सिंह आप के सांसद ने आर्थिक मंदी के दो कारण नोटबंदी और जीएसटी को बताया. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक रहा है जिसे सरकार ने छुपा कर रखा. वहीं सरकार लगातार पीएसयू को बेच रहे हैं. जो मुनाफा देने वाली कंपनी है उसे बेचने जा रही है वहीं संजय सिंह ने कहा कि ये सरकार सबकुछ बेचने की नीति पर काम कर रही है.

ऑटोमोबाइल कंपनी में भारी मंदी देखने को मिल रही है. इसमें बैंको घाटा लगातार बढ़ रहा है. बैंकों से देशवासियों का विश्वास उठ रहा है. अडाणी और अंबानी के भरोसे देश को नहीं चलाया जा सकता. रुपया लगातार गिरता जा रहा है लेकिन सरकार पांच ट्रिलियन डॉलर की बात कर रही है.

आर्थिक व्यवस्था पहुंची खतरनाक स्थिति पर

कर्नाटक से कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने कहा कि पिछले तीन महीने में लगातार जीडीपी गिर रही है. उन्होंने कहा कि हमें यह मानना होगा कि हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है. नोटबंदी पर बात करते हुए कहा कि भले ही पार्टी और सरकार को इसे फायदा होता हुआ दिखाई दिया हो लेकिन देश ने इसका खामियाजा आर्थिक मंदी के तौर पर भुगता है. वहीं उन्होंने जीएसटी पर सरकार पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि जीएसटी की बात सबसे पहले 2004 में हुई थी लेकिन इसे लागू ऐसे समय में किया गया जब देश नोटबंदी के दौर से गुजर रहा थी.

उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने कहा था डायरेक्ट निवेश निवेश नहीं है यह एक साइकोलॉजिकल निर्णय होता है.

वैसे वित्त मंत्री देश की स्थिति को संभालने के लिए जो करना चाहिए वित्त मंत्री हर वो चीज कर रही हैं लेकिन सही दिशा में नहीं किया जा रहा है. रमेश ने सरकार द्वारा निजीकरण न करने की सलाह दी.

यूपीए कार्यकाल मंदी की वजह

इस बहस के दौरान भाजपा के ओडिशा से सांसद अश्विनी वैष्णव ने आर्थिक मंदी की वजह पूरी तरह से यूपीए को ठहराया. वैष्णव ने कहा कि यूपीए की नीतियां ऐसी थीं कि आज देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. कांग्रेस नेता के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वर्तमान हालात चक्रीय गिरावट के कारण हैं. उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि हालात अगले मार्च के बाद से सुधरने शुरू होंगे. वहीं भाजपा के सांसद ने यह भी कहा कोल स्कैम, 2 जी स्कैम जैसे घोटालों का खामियाजा देश भुगत रहा है. वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनधन योजना को बेहतरीन योजना बताया और कहा कि आज एक वर्ग जिसका बैंक में एकाउंट नहीं था 37 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने हाल में क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (आरईसीपी) पर हस्ताक्षर नहीं करने का जो निर्णय किया है वह एक बहुत बड़ा फैसला है. इससे देश के औद्योगिक क्षेत्र के हितों को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी.

वैष्णव ने विपक्ष को अर्थव्यवस्था की धूमिल तस्वीर पेश नहीं करने के प्रति आगाह करते हुए कहा कि हमें अर्थव्यवस्था के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए जमीनी सच्चाई पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों, बिजली के कनेक्शन, जनधन खातों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल गयी है. इससे हमारे स्थानीय उद्योगों को काफी लाभ मिलेगा.

टूटा विश्वास

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने चर्चा में भाग लेते हुए सवाल किया कि आज देश के लोगों और उद्योगों में अनिश्चितता क्यों है? उन्होंने कहा कि इसका एक ही जवाब है कि ‘विश्वास’ टूट गया है. उन्होंने कहा कि अब तो यह स्थिति आ गयी है कि सरकार के घटक दल ही उस पर विश्वास नहीं कर रहे हैं. उद्योग आप पर विश्वास नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने दावा किया कि सरकार जो आंकड़े पेश कर रही है, उनकी विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किये जा रहे हैं. उन्होंने प्याज सहित जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर भी चिंता जतायी.

सतीश चंद्र मिश्रा बीएसपी ने कहा कि बैंक को मर्ज किया जा रहा है. सरकार की पॉलिसी और प्राथमिकता बिलकुल अलग है. जो बैंक के खराब स्थिति में है उन्हें अच्छे बैंक और प्रॉफिट बैंक वालों के साथ मर्ज करा कर अच्छे बैंक को भी डुबोने का काम चल रहा है.

मनोज झा, आरजेडी, बिहार ने कहा कि हम पिछले पांच सालों से लगातार आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की हर बड़ी इकाई को बेचा जा रहा है. एनसीआरबी डाटा 26000 दिहाड़ी मजदूर अपनी जिंदगी लील रहे हैं क्योंकि बाजार में पैसा नहीं है और मजदूर भारी कर्ज में डूबा हुआ है. किसान अपने खेत में आत्म हत्या कर रहा है, असंगठित क्षेत्र में जुटे लोग मौत को गले लगा रहा है. मुझे लगता है कि अब जब सभा में आर्थिक मंदी की बात की जाए तो जीडीपी और जीएसटी नहीं बल्कि किसानों की हत्या पर अगर नजर डाल लेंगे तो पता चल जाएगा कि देश की हालत खराब है.

सुधांशू त्रिवेदी भाजपा से सांसद ने कहा कि मोदी और भाजपा विरोधी बाते हैं तब जब सभी जानते हैं कि 90 फीसदी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट है. चाहें वह यूरोप की स्थिति हो या फिर अमेरिका चीन का ट्रेड वार की वजह से हो दुनिया पूरी तरह से आर्थिक चपेट में है और यह हम नहीं आईएमएफ की अध्यक्ष कह रहे हैं.

जो दिख रहा है वो सुनाई नहीं पड़ रहा है . हमारी सरकार ने बड़े व्यवसाइयों के लिए काम कर रही है गरीबों की नहीं..इसपर सुधाशूं त्रिवेदी ने कहा कि पीएम ने अपने पहले भाषण में जनधन की योजना की बात पीएम ने की.

जीएसटी बहुत बड़ा वित्तीय परिवर्तन था..जब जब बड़ा परिवर्तन होता है तो उसे एडजस्ट करने में समय लगता है. कॉर्पोरेट टैक्स में की गई कमी सिर्फ कॉर्पोरेट के लोगों के लिए नहीं बल्कि वहां काम करने वाले लोगों के लिए भी है.

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