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Sunday, 24 November, 2024
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राजनाथ ने चीनी रक्षामंत्री ली शांगफू से नहीं मिलाया हाथ, पड़ोसी देश ने की साझा हितों की बात

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष ली के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ नहीं मिलाया, जबकि उन्होंने ताजिक, ईरानियन और कज़ाख के समकक्षों के साथ हाथ मिलाया.

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नई दिल्ली : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष रक्षामंत्री जनरल ली शांगफू से हाथ नहीं मिलाया, चीन के रक्षामंत्री ने गुरुवार को भारत के साथ ‘व्यापक, दीर्घकालिक और रणनीतिक नजरिए’ की बात कही.

चाइना मिलिट्री ऑनलाइन के रिपोर्ट के मुताबिक, शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक करते हुए, उन्होंने कहा, ‘एक प्रमुख पड़ोसी देश और महत्वपूर्ण विकासशील देश के तौर पर चीन और भारत मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक समान हित साझा करते हैं. दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक-दूसरे के विकास को व्यापक, दीर्घकालिक और सामरिक नजरिए से देखना चाहिए, और दोनों संयुक्त रूप से विश्व और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए ज्ञान और शक्ति के तौर पर योगदान देते हैं.’

गौरतलब है कि, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष ली के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ नहीं मिलाया, जबकि उन्होंने ताजिक, ईरानियन और कज़ाख के समकक्षों के साथ हाथ मिलाया.

चाइना मिलिट्री ऑनलाइन के मुताबिक, ली ने बताया कि वर्तमान में, चीन-भारत सीमा पर स्थिति आमतौर पर सामान्य है और दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए संवाद बनाए रखा है.

ली ने कहा, ‘दोनों पक्षों को एक दीर्घकालिक नजरिया अपनाना चाहिए, सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों में उचित तौर पर रखना चाहिए, और प्रबंधन सामान्य करने के लिए सीमा पर ट्रांजिशन को बढ़ावा देना चाहिए. उम्मीद है कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे और द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए उचित योगदान देंगे.’

सिंह ने स्पष्ट रूप से अवगत कराया था कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर शांति और शांति के प्रसार पर आधारित है.

उन्होंने कहा कि एलएसी पर सारे मुद्दे मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के मुताबिक हल किए जाने की जरूरत है.

सिंह ने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है और सीमा पर पीछे हटने के लिए डी-एस्केलेशन को तार्किक रूप माना जाना चाहिए.

2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के रूप में भारत 28 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा.

एससीओ 2001 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है. एससीओ में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.

सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी एससीओ की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.


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