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शनिवार, 10 मई, 2025
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राजस्थान हाई कोर्ट के वकीलों ने 12-16 मई तक काम बंद करने की मांग की

प्रस्ताव में एसोसिएशन ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से 12-16 मई को 'नो-वर्क पीरियड' घोषित करने की मांग की है. पंजाब और हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के हाईकोर्ट ने भी अदालती गतिविधियों पर रोक लगा दी है.

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में, राजस्थान हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे 12 से 16 मई तक “क्षेत्र में मौजूदा संवेदनशील और अस्थिर स्थिति, निरंतर ब्लैकआउट और अलगाववादी और विघटनकारी ताकतों द्वारा उत्पन्न आसन्न खतरे के मद्देनजर” कार्य-मुक्त अवधि घोषित करें.

शनिवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया कि “बार के सभी विद्वान सदस्यों और वादियों, न्यायिक अधिकारियों और सभी हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए” यह संकल्प लिया है. प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि यह अपील “विशुद्ध रूप से सावधानी के हित में और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए, तनावपूर्ण कानून और व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए की जा रही है, जिसने कानूनी बिरादरी और आम जनता में गंभीर चिंता पैदा कर दी है.”

इसने हाई कोर्ट के साथ-साथ अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए भी निर्देश देने की मांग की है. इससे पहले, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने “आम जनता, अधिवक्ताओं, वादियों, कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए” कई निचली अदालतों के सीमित कामकाज के निर्देश जारी किए थे.

गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया कि अमृतसर की अदालतें और सीमावर्ती शहर अजनाला की उप-मंडल अदालतें 9 से 14 मई तक लोगों के प्रवेश को सीमित करने के लिए अस्थायी रूप से बंद रहेंगी.

जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के हाई कोर्ट ने भी शुक्रवार को एक परिपत्र जारी किया, “हाल ही में पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से तोपखाने की गोलाबारी में वृद्धि और जारी रहने के कारण मौजूदा स्थिति को देखते हुए.”

परिपत्र में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश ने इन क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति का संज्ञान लिया है और करनाह, क्रालपोरा, गुरेज और उरी की अदालतों के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने निवास स्थान छोड़ने और सुरक्षित क्षेत्रों में जाने का निर्देश दिया है.

हालांकि, इसमें कहा गया है कि इन चार स्थानों पर न्यायिक अधिकारी और अदालतों के कर्मचारी “किसी भी आपातकालीन प्रकृति के व्यवसाय से निपटने के लिए अपने ठहरने के स्थानों पर हर समय उपलब्ध रहेंगे, जिसे वर्चुअल मोड में निपटाया जाएगा.”

सर्कुलर में कहा गया है कि किसी भी तरह की परेशानी, ज़रूरत या कठिनाई में किसी भी अदालत के कर्मचारी को बारामुल्ला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा में प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीशों की सहायता लेनी चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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