रायपुर: विगत एक हफ्ते के अंदर दो शेरों की मौत ने छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारियों को सकते में डाल दिया है. नया रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी महज़ तीन साल पुराना है. सफारी के अधिकारी शेर की मौत का कारण बता पाने में असमर्थता ज़ाहिर कर रहे हैं, शेर की मौत को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है.
राज्य वन विभाग के अधिकारियों का कहना है पहली मौत 2 साल के एक शावक की हुई और फिर करीब तीन दिन के अंदर ही 10 साल के एक जवान शेर की मौत हो गयी. अधिकारियों का तर्क (जो शायद वन्यजीव विशेषज्ञों के गले न उतरे) है कि शावक की मौत सभवतः अंतःप्रजनन (इसे इन ब्रीडिंग भी कहते हैं. इनब्रीडिंग की वजह से डीएनए या अनुवांशिकी भिन्नता यानी परिवर्तनशीलता नही हो पाती जिसके कारण अधिकारियों का मानना है कि वन्यजीवों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे रोग ग्रसित हो जाते हैं) के कारण होनेवाले शारीरिक विकार हैं. वहीं दूसरे शेर की मौत के कारण के सबंध में कोई भी अधिकारी जुबान खोलने को तैयार नही है.
दिप्रिंट ने जब अधिकारियों से संपर्क किया तो वन्यजीव सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) एचएल रात्रे ने बताया कि शावक मौत संभवतः उसके जन्मांत शारीरिक विकारों से हुई है. (अनुवांशिकी बीमारी या)उन्होंने ने कहा कि शावक जन्म से ही किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित जो अंतःप्रजनन के कारण होती है. वहीं बड़े शेर की मौत के संबंध में रात्रे ने पूर्णतः अनभिज्ञता जाहिर करते हुए बताया कि दोनों के मौत का असल कारण उनके विसरा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा. रात्रे का कहना है की दोनों बड़ी बिल्लियों के विसरा सैंपल जांच के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) और प्रदेश के दुर्ग जिले में अंजोरा स्थित पशु अनुसंधान केंद्र को भेज दिया गया है.
वहीं दूसरी तरफ सफारी प्रबंधन का कहना है कि बीमारी की आशंका को देखते हुए वरिष्ठ पशु चिकित्सकों की राय के बाद विभाग ने दूसरे पशुओं के खून के सैम्पल इन्हीं दोनों संस्थानों को भेज दिया गया है ताकि किसी प्रकार की बीमारी की आशंका होने पर एहतियातन उनकी सुरक्षा के लिए उचित कार्यवाई की जा सके. वन विभाग के अफसर अब विसरा रिपोर्ट के इंतजार में डिप्टी डायरेक्टर जंगल सफारी एम मर्शिबेला का कहना है कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद उसे पीसीसीएफ वन्यजीव छत्तीसगढ़ और एनटीसीए को भेज जाएगा.
बीमारी की आशंका को देखते हुए वन्यजीवों को संक्रमण से बचने के लिए सफारी प्रबंधन ने हर बाड़े के बाहर पोटैशियम का घोल रखवा दिया है. इस छेत्र में आने वाले हर व्यक्ति को अब पोटैशियम घोल से निकलकर जाना होगा. वहीं दूसरी तरफ प्रबंधन ने दूसरे शावकों की सुरक्षा काफी बढ़ दिया है और उनके देख रेख भी की जा रही है. सफारी प्रबंधन का कहना है कि शावकों के खाने का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
ज्ञात हो कि नया रायपुर स्थित इस जंगल सफारी को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल 2016 में स्थापित किया गया था. सफारी की 2016 में हुई स्थापना के समय यहां करीब 10 शेर थे परंतु दो की मौत के बाद आज इनकी संख्या करीब 8 रह गयी है.
सफारी प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि इन शेरों के मौत का वास्तविक कारण तो विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन उनके द्वारा की गयी प्राथमिक जांच के बाद यह पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है कि ये मौतें प्राकृतिक है. उन्होंने किसी पोचिंग के संभावना से साफ इन्कार किया.
गौरतलब है कि एक ओर जहां गुजरात सरकार ने शेरों के संरक्षण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया जिससे देश में इनकी जनसंख्या 2015 में 523 से बढ़कर 2018 में 600 हो गयी. ज्ञात हो कि एशियाटिक शेर भारत में सिर्फ गुजरात के गीर में ही पाए जाते हैं. एशियाटिक शेर अंतराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में शिड्यूल (1) का एक विलुप्त होने वाली प्राणियों के श्रेणी में आते हैं.