नई दिल्ली: निजी प्लेयर्स को एक बड़ी रियायत देते हुए भारतीय रेलवे ने तय किया है कि निजी ट्रेनों के किराए नियमित करने के लिए किसी व्यापक निकाय का गठन नहीं किया जाएगा. हालांकि उसने भविष्य में ऐसे निकाय के गठन की संभावना को खुला रखा है.
बुद्धवार को निजी ट्रेनों के संचालन को लेकर निजी प्लेयर्स के साथ दूसरी बोली-पूर्व बैठक के बाद रेलवे ने एक शुद्धिपत्र जारी किया, जिसमें इच्छुक प्लेयर्स से कहा गया, ‘किरायों का कोई नियमन नहीं होगा और पीटीओज़ (निजी ट्रेन संचालक) टैरिफ/किराए तय करने के लिए स्वायत्त होंगे.’
जहां तक दरों को नियमित करने का सवाल है. रेलवे ने कहा कि बाज़ार की प्रतिस्पर्धा इस बात को सुनिश्चित करेगी, कि प्लेयर्स ज़्यादा दाम न वसूलें.
रेलवे ने कहा, ‘भारत का परिवहन का नक़्शा काफी प्रतिस्पर्धात्मक है और बाज़ार के अंदर मुक़ाबले का पर्याप्त तनाव है. संभावना ये है कि निजी संचालकों का मुक़ाबला, यातायात के सभी साधनों से होगा और उनके एकाधिकार के माहौल में काम करने का इमकान नहीं है.’
उसने आगे कहा, ‘उसी हिसाब से, पीटीओज़ को किराए तय करने की आज़ादी होगी, लेकिन यात्रियों के पास भी हमेशा, परिवहन के लिए वैकल्पिक ट्रेनों या दूसरे साधनों का विकल्प रहेगा. प्रतिस्पर्धा का ये दबाव पीटीओज़ द्वारा ऊंचे दाम वसूले जाने के ख़तरे को क़ाबू में रखेगा.’
इसके अलावा निजी प्लेयर्स का भारतीय रेल के किरायों पर कोई नियंत्रण नहीं होगा, जिसे वो ख़ुद से कम करने के लिए आज़ाद होगी. ‘भारतीय रेलवे पर अपने मौजूदा किराए घटाने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है.’
रेलवे अपने नेटवर्क में फैले 12 क्लस्टर्स के 109 रूटों पर यात्री ट्रेन सेवाएं चलाने के लिए निजी प्लेयर्स लाना चाह रहा है.
अत्यधिक विनियमन से ख़त्म होगी इच्छा
ये शुद्धिपत्र रेलवे के अभी तक के दावों के विपरीत है कि रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) किरायों के नियमन का काम करेगा, जिसे 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी मिल गई थी. निजी ट्रेनों के संदर्भ में ये कहा गया था कि आरडीए उसी तरह का रोल निभाएगी, जो भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का है.
रेलवे के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘बोली-पूर्व बैठकों का मक़सद यही है कि आप निजी प्लेयर्स की चिंताओं को दूर करें. लेकिन इस मामले पर अंतिम फैसला वही होगा, जो अंतिम टेण्डर में लिखा होगा.’
रेलवे के सूत्रों ने कहा कि चूंकि ये एक नया सेक्टर है, जो अभी खुल रहा है. इसलिए ऐसा माना जाता है कि बहुत ज़्यादा क़ायदे-क़ानून, निजी प्लेयर्स को आगे आने से रोक देंगे.
एक अधिकारी ने कहा, ‘रेलवे सिविल एविएशन की तरह का बंदोबस्त चाहेगी, जिसमें दाम प्रतिस्पर्धा के ज़रिए तय होते हैं, न कि किसी निकाय द्वारा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा किसी तरह के व्यवसायिक समूह बनने या बेहद सस्ते दामों की स्थिति के लिए भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग पहले से ही मौजूद है.’
अधिकारी ने आगे कहा कि यदि निजी प्लेयर्स किरायों के खिलाफ शिकायतें आती हैं, तो रेलवे को उन्हें देखने का अधिकार होगा.
क्या है पेंच
फिर भी, रेलवे ने भविष्य में किराए तय करने में आरडीए की भागीदारी को ख़ारिज नहीं किया है.
शुद्धिपत्र में कहा गया है, ‘संभावना है कि भविष्य में बहुत से निकायों और उनकी गतिविधियों को नियमित करने के लिए, एक रेल नियामक निकाय बनाया जा सकता है. ऐसे निकाय के कार्यों में आर्थिक विनियमन शामिल हो सकता है. किसी भी तरह के आर्थिक विनियमन का परियोजना के राजस्व पर असर पड़ सकता है.’
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शुद्धिपत्र में आगे कहा गया है, ‘अपने उद्देश्यों की बुनियाद पर, (एमओआर) रेल मंत्रालय इस स्पष्टीकरण पर विचार कर सकता है कि ये प्रोजेक्ट प्रस्ताविक विनियामक की निगरानी में नहीं होगा. इससे इच्छुक बोलीदाताओं को स्पष्टता और निश्चितता मिलेगी.’ शुद्धिपत्र में ये भी कहा गया, ‘अगर एमओआर भविष्य में इस प्रोजेक्ट को विनियामक की निगरानी में लाने की इच्छुक है, तो उस आशय के प्रावधान शामिल किए जाने चाहिएं.’
शुद्धिपत्र में हैदराबाद और बेंगलुरू के ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के विकास का उदाहरण दिया गया है.
इसमें कहा गया है, ‘उदाहरण के तौर पर हैदराबाद और बेंगलुरू के ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास और संचालन के लिए, जब पीपीपी प्रोजेक्ट्स दिए गए तो भारत में कोई स्वतंत्र आर्थिक विनियामक नहीं था. लेकिन, चूंकि भारत सरकार ने पहले ही, विनियामक स्थापित करने के बारे में सोचा हुआ था. इसलिए समझौते के अंदर उसका उल्लेख किया गया था.’
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