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मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025
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रायबरेली कोच फैक्ट्री को कॉर्पोरेटाइज करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी को रेलवे तैयार

इस प्रस्ताव से, हर साल 2,000 एलबीएच कोच बनाने वाली, राय बरेली की मॉडर्न कोच फैक्ट्री, कॉरपोरेट ढांचे के साथ एक स्वायत्त इकाई बन जाएगी.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारतीय रेलवे एक कैबिनेट प्रस्ताव पेश करने जा रही है, जिसके तहत रायबरेली मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) का निगमीकरण किया जाएगा ताकि इसकी कार्यक्षमता में सुधार लाया जा सके.

रेल मंत्रालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नीति आयोग, रेलवे और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की इस हफ्ते बैठक करके, योजना के ख़ाके को अंतिम रूप देने की संभावना है.

प्रस्ताव के तहत एमसीएफ, जो हर साल लिंक हॉफमैन बुश के डिज़ाइन किए हुए, क़रीब 2,000 कोच बनाती है, कॉर्पोरेट ढांचे के साथ एक स्वायत्त इकाई बन जाएगी.

दिप्रिंट ने प्लान के बारे में रेलवे के प्रवक्ता, डीजे नारायण को कुछ सवाल भेजे, लेकिन इस ख़बर के प्रकाशित होने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला था.

इस क़दम में क्या होगा

जून 2019 में घोषित 100 दिन की कार्य योजना के अनुसार, रेलवे ने रोलिंग स्टॉक बनाने वाली सभी उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण और अपनी सभी आठ उत्पादन इकाइयों का एक ‘इंडियन रेलवेज़ रोलिंग स्टॉक कॉर्पोरेशन’ में विलय करने का प्रस्ताव दिया था.

उसके बाद रेलवे ने फैसला किया कि पहले वो एमसीएफ का निगमीकरण करेगी, और उसके बाद चरणबद्ध तरीक़े से दूसरी इकाइयों के लिए भी यही करेगी. रेलवे ने ये घोषणा जून 2019 के अंत में ही कर दी थी.

निगमीकरण से एमसीएफ की कार्यक्षमता किस तरह प्रभावित होगी, ये समझाते हुए एक रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘ये इकाइयां पीएसयूज़ बन जाएंगी, जो इंडियन रेलवेज़ रोलिंग स्टॉक कॉर्पोरेशन का हिस्सा होंगी, और मंत्रालय से स्वतंत्र होकर काम करेंगी. एक स्वतंत्र बोर्ड के अंतर्गत, वो स्वयं अपने वित्तीय और जनशक्ति के फैसले ले सकेंगी, और स्वायत्तता से उन्हें ज़्यादा कुशलतापूर्वक काम करने की आज़ादी और लचीलापन मिलेगा’.

अधिकारी ने आगे कहा कि ये इकाइयां, आईआरसीटीसी की तरह काम करेंगी, जो रेलवे के अंतर्गत एक स्वायत्त कंपनी है.

बाजार संचालित इकाइयां

अपनी सभी उत्पादन इकाइयों को ‘बाजार संचालित’, और ‘निर्यात उन्मुख’ बनाने के प्रयास के तहत, रेलवे ने रोलिंग स्टॉक यूनिट्स के निगमीकरण के अध्ययन का काम, अपनी सहायक कंपनी राइट्स को सौंपा था.

एक दूसरे रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘बहुत समय से ऐसा महसूस हो रहा था कि उत्पादन इकाइयां प्रौद्योगिकी के ठहराव का शिकार हो रही हैं, और निगमीकरण से सुनिश्चित हो सकता है कि वो ज़्यादा प्रतियोगी और बाजार संचालित बन जाएं’.

राइट्स को ये भी बताना था कि निगमीकरण की प्रक्रिया के बाद, कंपनियों के मौजूदा कर्मचारियों का क्या होगा.

अधिकारी ने आगे कहा कि एमसीएफ के मामले में, जिसमें क़रीब 2,300 कर्मचारी हैं, उनका पुनर्गठन करने के लिए राइट्स ने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम (वीआरएस) जैसे उपाय सुझाए हैं.

लेकिन इस घोषणा ने विरोध भड़का दिया था, जिसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष, और रायबरेली सांसद सोनिया गांधी भी शामिल थीं.

गांधी ने कहा था, ‘लोग निगमीकरण का असली मतलब नहीं समझते…ये दरअसल निजीकरण की ओर पहला क़दम है. वो देश की संपत्तियों को मिट्टी के दाम, मुठ्ठीभर निजी हाथों में बेच रहे हैं. इससे हज़ारों लोगों का रोज़गार छिन जाएगा’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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