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Thursday, 28 March, 2024
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‘वंदे भारत मेट्रो’ के वादे के साथ रेल मंत्री ने जम्मू में ‘दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल’ का किया निरीक्षण

अश्विनी वैष्णव ने चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे आर्क रेल ब्रिज का निरीक्षण किया, जहां हाल ही में रेल ट्रैक बिछाया गया है.

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रियासी/जम्मू: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) जनवरी 2024 तक पूरी हो जाएगी और जम्मू और श्रीनगर के बीच ‘वंदे भारत मेट्रो’ चलाने की योजना है, जो अंतत: मेट्रो को जोड़ेगी.  अब कश्मीर घाटी ट्रेन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ेगा.

वैष्णव जम्मू के रियासी जिले में चिनाब पुल पर ट्रैक पर लगी ट्रॉली के पहले चक्कर के दौरान मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे. जब उनसे लद्दाख तक रेलवे कनेक्टिविटी का विस्तार करने की योजना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, पूरे हिमालयी क्षेत्र में “तेजी से काम किया जा रहा है”.

वह चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे आर्क रेल ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे थे, जहां हाल ही में ट्रैक बिछाया गया है. चुनौतीपूर्ण USBRL परियोजना के कटरा-बनिहाल खंड में कौड़ी और बल्लाल सिरों को जोड़ने के लिए लगभग 359 मीटर की ऊंचाई और 1.3 किमी लंबाई के साथ रेल पुल का निर्माण किया गया है.

367 किलोमीटर लंबे यूएसबीआरएल, जिसमें चिनाब ब्रिज और भारत का पहला केबल-स्टे ब्रिज, अंजी धर ब्रिज शामिल है, को उत्तर रेलवे द्वारा ” देश की आजादी के बाद भारतीय रेलवे द्वारा किए गए सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य” के रूप में बताया गया है. 1999 में घाटी और इसकी अर्थव्यवस्था को देश के बाकी हिस्सों में खोलने के लिए एक वैकल्पिक और सभी मौसम वाली परिवहन प्रणाली प्रदान करने की योजना बनाई गई थी.

वैष्णव ने आगे कहा, “यह इच्छा शक्ति, नेतृत्व और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विजन ही है जिसके माध्यम से हम उन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं जो इन क्षेत्रों में सामने आती हैं … ऐसी चुनौतियां नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में भी सामने आईं हैं . समान टोपोग्राफी के कारण यहां से अनुभव नॉर्थ ईस्ट में साझा किए जा सकते हैं.

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वैष्णव ने यह भी कहा कि परियोजना में देरी का कारण यह था कि 2014 से पहले प्रति वर्ष केवल 800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसे 2022-2023 में बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था.

चिनाब का पुल सिसमिक जोन में आता है इसलिए इस क्षेत्र में रेलवे का निर्माण काफी चुनौतीपूर्ण रहा. रेलवे ने बताया कि “ये पुल रिक्टर स्केल 8 तक के झटके झेलने की क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया है. यह पुल काफी इनोवेटिक और  मजबूत है कि इससे एक टैंक भी गुजर सकता है. हालांकि यह यात्रा की दूरी को केवल 2-3-1/2 घंटे तक कम करने में सक्षम होगा और सूखे मेवों, पश्मीना शॉल और अन्य उपभोग्य वस्तुओं के व्यापार को लाभ पहुंचाएगा.

वंदे भारत मेट्रो से यात्रा के समय में भी कमी आएगी और यह इन वस्तुओं के परिवहन में सहायक होगी, क्योंकि ये ट्रेनें एसी हैं.

उन्होंने जम्मू में एक अकादमी खोलने की भी बात कही जहां देश भर के इंजीनियरों और तकनीशियनों को रेल परियोजनाओं के रखरखाव के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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